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बत्तख पालन कर लाखों कमा रहा किसान, लोगों के लिए बना रोल मॉडल

रोहतास के एक किसान ने जिले में बत्तख पालन कर पूरे जिले का नाम रोशन किया है. आज इसी बत्तख पालन से किसान हरिद्वार सिंह लाखों की कमाई कर रहे है्ं.

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Published : Apr 13, 2019, 8:36 PM IST

रोहतास: ये जिली वैसे तो धान का कटोरा कहा जाता है. मगर यहां रहने वाले हरिद्वार सिंह ने इसकी परिभाषा ही बदल दी. हरिद्वाप सिंह से मारेडन युग में ट्रेडिशनल खेती को छोड़ मॉर्डन खेती कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहे हैं. इससे पूरे गांव के लोगों को इन पर गर्व है.

एक वक्त था जब तिलौथू प्रखंड के रहने वाले हरिद्वार सिंह ट्रेडिशनल खेती के माध्यम से अपने खेतों में धान और गेहूं जैसे फसलों की खेती करते थें. लेकिन इन फसलों से उन्हें उतना लाभ नहीं मिलता था जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें. इसलिए उन्होंने अपना रूख मोड़कर मॉर्डन युग के साथ चलने का फैसला किया. इससे आज वो लाखों रुपये महीने की कमाई रहे हैं.

बत्तख पालन कर लाखों कमा रहा किसान

बत्तख पालन का लिया फैसला
हरिद्वार सिंह अपने गांव में ही बत्तख पालन कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहे हैं. इतना ही नहीं अपने साथ उन्होंने कई ऐसे लोगों को भी जोड़ रखा है, जिससे उनका परिवार खुशी से चल रहा है.

तीन हजार बत्तख का करते है पालन
हरिद्वार सिंह ने बताया कि शुरुआती दौर में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लेकिन धीरे-धीरे वक्त के साथ-साथ सब कुछ सामान्य होता चला गया और अब बत्तख पालन एक बड़े व्यापार के रूप में विकसित हो गया है. फिलहाल उन्होंने तकरीबन तीन हजार बत्तख पाल रखा है, जिससे वो प्रतिमाह एक लाख रुपयों की कमाई कर रहें हैं.

20 से 22 लाख रुपयों पूंजी हूई खर्च
उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में उन्हें तकरीबन 20 से 22 लाख रुपयों की पूंजी खर्च करनी पड़ी. उस पूंजी से उन्होंने हैचरी जैसे महंगे मशीन को खरीदा ताकि बत्तख के बच्चे का अंडा उस हैचरी में तैयार कर बत्तख का उत्पादन किया जा सके.

ठंड में बढ़ती है मांग
उन्होंने बताया कि बत्तख का डिमांड ठंड के दिनों में काफी बढ़ जाती है. ये मांगें बिहार के अलावा दूसरे राज्यों में भी काफी अधिक हो जाती है. शुरुआती दौर में एक बत्तख 40 रुपये के हिसाब से बिकता है, जो मार्केट में पहुंचते-पहुंचते तकरीबन 200 रुपये में बिकता है.

12 सालों से कर रहे ये काम
हरिद्वार सिंह ने बताया कि इस रोजगार से उन्हें काफी फायदा हो रहा है जो पुरानी खेती में नहीं हुआ करता था. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि पिछले 12 सालों से वह इसी तरह बत्तख का पालन कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने कई एकड़ में तलाब खुदा रखा है.

अधिक से अधिक बढ़े रोजगार
हरिद्वार सिंह ने बताया कि बत्तख पालन के माध्यम से उन्होंने कई लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया है. उनकी ख्वाहिश है कि इस उद्योग में के बारे में हर किसानों को बताया जाए. ताकि जितने भी किसान हैं वह अधिक से अधिक इस बिजनेस को करके मुनाफा कमा सकें.

रोहतास: ये जिली वैसे तो धान का कटोरा कहा जाता है. मगर यहां रहने वाले हरिद्वार सिंह ने इसकी परिभाषा ही बदल दी. हरिद्वाप सिंह से मारेडन युग में ट्रेडिशनल खेती को छोड़ मॉर्डन खेती कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहे हैं. इससे पूरे गांव के लोगों को इन पर गर्व है.

एक वक्त था जब तिलौथू प्रखंड के रहने वाले हरिद्वार सिंह ट्रेडिशनल खेती के माध्यम से अपने खेतों में धान और गेहूं जैसे फसलों की खेती करते थें. लेकिन इन फसलों से उन्हें उतना लाभ नहीं मिलता था जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें. इसलिए उन्होंने अपना रूख मोड़कर मॉर्डन युग के साथ चलने का फैसला किया. इससे आज वो लाखों रुपये महीने की कमाई रहे हैं.

बत्तख पालन कर लाखों कमा रहा किसान

बत्तख पालन का लिया फैसला
हरिद्वार सिंह अपने गांव में ही बत्तख पालन कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहे हैं. इतना ही नहीं अपने साथ उन्होंने कई ऐसे लोगों को भी जोड़ रखा है, जिससे उनका परिवार खुशी से चल रहा है.

तीन हजार बत्तख का करते है पालन
हरिद्वार सिंह ने बताया कि शुरुआती दौर में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लेकिन धीरे-धीरे वक्त के साथ-साथ सब कुछ सामान्य होता चला गया और अब बत्तख पालन एक बड़े व्यापार के रूप में विकसित हो गया है. फिलहाल उन्होंने तकरीबन तीन हजार बत्तख पाल रखा है, जिससे वो प्रतिमाह एक लाख रुपयों की कमाई कर रहें हैं.

20 से 22 लाख रुपयों पूंजी हूई खर्च
उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में उन्हें तकरीबन 20 से 22 लाख रुपयों की पूंजी खर्च करनी पड़ी. उस पूंजी से उन्होंने हैचरी जैसे महंगे मशीन को खरीदा ताकि बत्तख के बच्चे का अंडा उस हैचरी में तैयार कर बत्तख का उत्पादन किया जा सके.

ठंड में बढ़ती है मांग
उन्होंने बताया कि बत्तख का डिमांड ठंड के दिनों में काफी बढ़ जाती है. ये मांगें बिहार के अलावा दूसरे राज्यों में भी काफी अधिक हो जाती है. शुरुआती दौर में एक बत्तख 40 रुपये के हिसाब से बिकता है, जो मार्केट में पहुंचते-पहुंचते तकरीबन 200 रुपये में बिकता है.

12 सालों से कर रहे ये काम
हरिद्वार सिंह ने बताया कि इस रोजगार से उन्हें काफी फायदा हो रहा है जो पुरानी खेती में नहीं हुआ करता था. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि पिछले 12 सालों से वह इसी तरह बत्तख का पालन कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने कई एकड़ में तलाब खुदा रखा है.

अधिक से अधिक बढ़े रोजगार
हरिद्वार सिंह ने बताया कि बत्तख पालन के माध्यम से उन्होंने कई लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया है. उनकी ख्वाहिश है कि इस उद्योग में के बारे में हर किसानों को बताया जाए. ताकि जितने भी किसान हैं वह अधिक से अधिक इस बिजनेस को करके मुनाफा कमा सकें.

Intro:रोहतास। रोहतास को वैसे तो धान का कटोरा कहा जाता है। लेकिन इस परिभाषा को एक किसान ने ही बदल दिया है। आज ये किसान ट्रेडिशनल खेती ना कर मॉडर्न खेती कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहा है।


Body:जिला मुख्यालय से तकरीबन चालीस किलोमीटर दूर तिलौथू प्रखंड के रहने वाले हरिद्वार सिंह ने ट्रेडिशनल खेती की तस्वीर ही बदल डाली है। एक वक्त में हरिद्वार सिंह अपने खेतों में धान और गेहूं जैसे फसलों की खेती करते थे। लेकिन इन फसलों से उन्हें उतना लाभ नहीं मिलता था जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें। लेकिन बदलते वक्त ने हरिद्वार सी को भी एक ऐसा मोड़ दिखाया जिसे वह आज लाखों रुपए महीने का कमाई रहे हैं। हरिद्वार सिंह अपने गांव में ही बत्तख पालन कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहे हैं। इतना ही नहीं अपने साथ वह कई ऐसे लोगों को भी जोड़ रखा है जिससे उनका परिवार खुशी खुशी चल रहा है। वहीं हरिद्वार सिंह ने बताया कि शुरुआती दौर में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन धीरे-धीरे वक्त के साथ-साथ सब कुछ सामान्य होता चला गया और अब बत्तख पालन एक बड़े व्यापार के रूप में विकसित हो गया है। फिलहाल वह तकरीबन तीन हज़ार बत्तख पाल रखा है। जिससे वो प्रतिमाह एक लाख रुपयों की कर रहें हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में उन्हें तकरीबन 20 से 22 लाख रुपयों की पूंजी खर्च करनी पड़ी। क्योंकि उस पूंजी से वो हैचरी जैसे महंगे मशीन को खरीदा ताकि बत्तख के बच्चे का अंडा उस हैचरी में तैयार कर बत्तख का उत्पादन किया जा सके। उन्होंने बताया कि बत्तख का डिमांड जाड़े के दिनों में काफी बढ़ जाती है। जिससे उसकी मांग बिहार राज्य के अलावा दूसरे राज्यों में भी काफी अधिक हो जाती है। शुरुआती दौर में एक बत्तख ₹40 के हिसाब से बिकता हैं जो मार्केट में पहुंचते-पहुंचते तकरीबन ₹200 में बिकता है। उन्होंने बताया कि इस रोजगार से उन्हें काफी फायदा हो रहा है जो पुरानी खेती में नहीं हुआ करता था। इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि पिछले बारह सालों से वह इसी तरह बत्तख का पालन कर रहे हैं। जिसके लिए उन्हें कई एकड़ में तलाब खुदा रखा है। जाहिर है जिस तरह से महीने का वह लाखों रुपया कमा रहे हैं उससे साफ माना जा सकता है कि यह रोजगार काफी उपयोगी और किफायती है।


Conclusion:बहरहाल हरिद्वार सिंह ने बताया कि बत्तख पालन से कई लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया है और उनकी ख्वाहिश है कि इस उद्योग में के बारे में हर किसानों को बताया जाए। ताकि जितने भी किसान हैं वह अधिक से अधिक इस बिजनेस को करके मुनाफा कमा सकें।

बाइट। हरिद्वार सिंह
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