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रोहतास में शिक्षा व्यवस्था की उड़ रही धज्जियां, आंगनवाड़ी केंद्र पर आराम फरमाती हैं सेविका

इस बारे में जब सेविका से सवाल पूछा गया तो उसने कोई भी जवाब देना मुनासिब नहीं समझा. शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है. ताकि बुनियादी तालीम बच्चों को दी जा सके. लेकिन, इस तरह की लापरवाही राह में रोड़े की तरह है.

आंगनवाड़ी केंद्र पर आराम फरमाती सेविका
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Published : Aug 9, 2019, 12:01 PM IST

रोहतास : सरकार एक तरफ जहां शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने की बात करती है तो वहीं इससे जुड़े कर्मी महज खानापूर्ति करते नजर आ रहे हैं. कुछ ऐसा ही मामला रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के पिपरा खुर्द गांव में देखने को मिला है. जहां एक आंगनवाड़ी केंद्र पर सेविका आराम फरमा रही थी और बच्चे जमीन पर बैठकर खेल रहे थे. इतना ही नहीं आंगनवाड़ी केंद्र पर न तो केंद्र संख्या अंकित था और ना ही केंद्र का नाम.

रोहतास में शिक्षा व्यवस्था की उड़ रही धज्जियां

सेंटर पर दिखी कई सारी खामियां
वहीं, आंगनबाड़ी केंद्र पर अवैध रूप से सेविका ने खाद्य पदार्थ को भी डंप कर दिया था. इस दौरान सेंटर पर कई सारी खामियां भी देखने को मिलीं. इस बारे में जब सेविका से सवाल पूछा गया तो उसने कोई भी जवाब देना मुनासिब नहीं समझ. गौरतलब है कि आंगनवाड़ी पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है ताकि बुनियादी तालीम बच्चों को दी जा सके. लेकिन आंगनवाड़ी का हाल बेहद खराब है.

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आंगनवाड़ी केंद्र पर अवैध रूप से डंप किया गया खाद्य पदार्थ

सेंटर पर आराम फरमा रही थी सेविका
सबसे अहम सवाल यह है कि अधिकारी के रहते हुए कोई सेविका इतनी गैर जिम्मेदार कैसे हो सकती है? वह सेंटर पर आकर आराम फरमाती नजर आयीं. जिस सेंटर पर बच्चों को बिछाने के लिए दरी दी गई थी. वह सेविका अपने सर के नीचे तकिए के रूप में इस्तेमाल कर रही है. हालांकि इस बारे में जब डीपीओ से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जांच की जाएगी. अगर जांच में दोषी पाया जाएगा तो उस पर विभागीय कार्रवाई होगी.

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सुनिता सिंह, डीपीओ

लोगों के अंदर जागरूकता बेहद जरूरी
डीपीओ ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि लोगों के अंदर जागरूकता आना बेहद जरूरी है. तभी जाकर केंद्र का संचालन सही तरीके से हो पाएगा. क्योंकि आंगनवाड़ी चलाने के लिए पूरी कमेटी गठित होती है और कमेटी के हर एक मेंबर को आंगनवाड़ी केंद्र की मॉनिटरिंग करनी होती है. जाहिर है अगर कमेटी के सदस्य आंगनवाड़ी केंद्र की मॉनिटरिंग सही ढंग से करें तो खामियां काफी हद तक दूर की जा सकती. बहरहाल, लगातार गिर रहे शिक्षा व्यवस्था के स्तर के लिए आंगनवाड़ी भी कम दोषी नहीं है.

रोहतास : सरकार एक तरफ जहां शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने की बात करती है तो वहीं इससे जुड़े कर्मी महज खानापूर्ति करते नजर आ रहे हैं. कुछ ऐसा ही मामला रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के पिपरा खुर्द गांव में देखने को मिला है. जहां एक आंगनवाड़ी केंद्र पर सेविका आराम फरमा रही थी और बच्चे जमीन पर बैठकर खेल रहे थे. इतना ही नहीं आंगनवाड़ी केंद्र पर न तो केंद्र संख्या अंकित था और ना ही केंद्र का नाम.

रोहतास में शिक्षा व्यवस्था की उड़ रही धज्जियां

सेंटर पर दिखी कई सारी खामियां
वहीं, आंगनबाड़ी केंद्र पर अवैध रूप से सेविका ने खाद्य पदार्थ को भी डंप कर दिया था. इस दौरान सेंटर पर कई सारी खामियां भी देखने को मिलीं. इस बारे में जब सेविका से सवाल पूछा गया तो उसने कोई भी जवाब देना मुनासिब नहीं समझ. गौरतलब है कि आंगनवाड़ी पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है ताकि बुनियादी तालीम बच्चों को दी जा सके. लेकिन आंगनवाड़ी का हाल बेहद खराब है.

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आंगनवाड़ी केंद्र पर अवैध रूप से डंप किया गया खाद्य पदार्थ

सेंटर पर आराम फरमा रही थी सेविका
सबसे अहम सवाल यह है कि अधिकारी के रहते हुए कोई सेविका इतनी गैर जिम्मेदार कैसे हो सकती है? वह सेंटर पर आकर आराम फरमाती नजर आयीं. जिस सेंटर पर बच्चों को बिछाने के लिए दरी दी गई थी. वह सेविका अपने सर के नीचे तकिए के रूप में इस्तेमाल कर रही है. हालांकि इस बारे में जब डीपीओ से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जांच की जाएगी. अगर जांच में दोषी पाया जाएगा तो उस पर विभागीय कार्रवाई होगी.

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सुनिता सिंह, डीपीओ

लोगों के अंदर जागरूकता बेहद जरूरी
डीपीओ ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि लोगों के अंदर जागरूकता आना बेहद जरूरी है. तभी जाकर केंद्र का संचालन सही तरीके से हो पाएगा. क्योंकि आंगनवाड़ी चलाने के लिए पूरी कमेटी गठित होती है और कमेटी के हर एक मेंबर को आंगनवाड़ी केंद्र की मॉनिटरिंग करनी होती है. जाहिर है अगर कमेटी के सदस्य आंगनवाड़ी केंद्र की मॉनिटरिंग सही ढंग से करें तो खामियां काफी हद तक दूर की जा सकती. बहरहाल, लगातार गिर रहे शिक्षा व्यवस्था के स्तर के लिए आंगनवाड़ी भी कम दोषी नहीं है.

Intro:रोहतास। रोहतास जिला साक्षरता के मामले में बिहार के पहले पायदान पर है। लेकिन जिले के आंगनबाड़ी केंद्र का हाल बेहद खराब है।


Body:गौरतलब है कि सरकार एक तरफ जहां शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने की बात करती है तो वही इससे जुड़े कर्मी महज खानापूर्ति करते नजर आ रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के पिपरा खुर्द गांव में देखने को मिला। जहां एक आंगनबाड़ी केंद्र पर सेविका आराम फरमा रही थी और बच्चे जमीन पर बैठकर खेल रहे थे। इतना ही नहीं आंगनवाड़ी केंद्र पर न तो केंद्र संख्या अंकित था और ना ही केंद्र का नाम। वही आंगनबाड़ी केंद्र पर अवैध रूप से सेविका के द्वारा खाद्य पदार्थ को भी डंप कर दिया गया था। इस दौरान सेंटर पर कई सारी खामियां भी देखने को मिली। वहीं इस बारे में जब सेविका से सवाल पूछा गया तो उसने कोई भी जवाब देना मुनासिब नहीं समझ। गौरतलब है कि आंगनबाड़ी पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है ताकि बुनियादी तालीम बच्चों को दी जा सके। लेकिन आंगनबाड़ी का हाल बेहद खराब है। हालांकि इसे लेकर लोगों को भी सचेत होना पड़ेगा तभी जाकर इस तरह के केंद्र पर सुधार लाया जा सकता है। सबसे अहम सवाल यह है कि अधिकारी के रहते हुए कोई सेविका इतना गैर जिम्मेदार कैसे हो सकती है कि वह सेंटर पर आकर आराम कर रही हो। जिस सेंटर पर बच्चे को बिछाने के लिए दरी दी गई थी। वह सेविका अपने सर के नीचे उस दरी का तकिए के रूप में इस्तेमाल कर रही है। हालांकि इस बारे में जब डीपीओ से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जांच की जाएगी कि किस हालत में व केंद्र पर सो रही थी। अगर जांच में दोषी पाया जाएगा तो उस पर विभागीय कार्रवाई होगी। वही डीपीओ ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि लोगों के अंदर जागरूकता आना बेहद जरूरी है। तभी जाकर केंद्र का संचालन सही से हो पाएगा। क्योंकि आंगनबाड़ी चलाने के लिए पूरी कमेटी गठित होती है और कमेटी के हर एक मेंबर को आंगनबाड़ी केंद्र का मॉनिटरिंग करना होता है। जाहिर है अगर कमेटी के सदस्य आंगनबाड़ी केंद्र की मॉनिटरिंग करें तो खामियां काफी हद तक दूर की जा सकती।


Conclusion:बहरहाल लगातार गिर रहे शिक्षा व्यवस्था पर आंगनबाड़ी भी कम दोषी नहीं है। यहां पर वैसे ही बच्चे एडमिट होते हैं जिनकी आर्थिक हालत कमजोर होती है और जिन्हें बुनियादी तालीम दी जाती है।

बाइट। डीपीओ
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