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रोहतास में रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ श्मशान घाट पहुंची बेटी, पिता को दी मुखाग्नि, देखें VIDEO - Daughter Performed Her Father Last Rites

रोहतास में एक बेटी ने अपने पिता का अंतिम संस्कार कर बेटे का फर्ज निभाया (Daughter Performed Duty Of Son In Rohtas) है. जिसकी चोरों ओर चर्चा हो हो रही है. दरअसल मृतक 60 वर्षीय राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव को कोई बेटा नहीं था. उनको दो बेटियां है. जिसकी परवरिश उन्होंने बेटों की तरह की थी. अंत समय में बेटी चांदनी कुमारी ने ही उनके चिता को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया. पढ़ें पूरी खबर...

बेटी ने दी पिता को मुखाग्नि
बेटी ने दी पिता को मुखाग्नि
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Published : Nov 1, 2022, 8:57 PM IST

रोहतास: कहते हैं ना बेटियां बेटों से कम नहीं (Daughters Are Not Less Than Sons) होतीं. जो काम बेटा कर सकता है, वहीं काम बेटी भी कर सकती है. काम चाहे घर का हो या फिर चारदिवारी के बाहर का. ऐसा ही एक नजारा रोहतास में भी देखने को मिला. जिले के डेहरी में आज कुछ ऐसा ही अनोखा नजारा शमशान घाट में देखने को मिला. जब एक बेटी अपनी पिता की मौत के बाद खुद शव लेकर श्मशान घाट पहुंची और पिता को मुखाग्नि दी. बेटी के द्वारा अपने पिता को मुखाग्नि देने की घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. गौरतलब है कि बेटा ही पिता की चिता को मुखाग्नि देता है. लेकिन यह बात अब गुजरे जमाने की हो चुकी है.

ये भी पढ़ें- 'मुझे मुखाग्नि सिर्फ तुम ही देना...' पति की आखिरी इच्छा पत्नी ने की पूरी

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बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि : जिले में मंगलवार को यह रूढ़ीवादी परंपरा तब टूटती नजर आई, जब एक बेटी ने बेटे का फर्ज निभाते हुए, पिता का अंतिम संस्कार किया. बेटी पिता की अंतिम यात्रा में श्मशान तक साथ गई और वहां उन सभी रीति-रिवाजों को निभाया जो बेटा करता है. डेहरी इलाके के न्यू एरिया जोड़ा मंदिर मोहहले में किराये के मकान में रहने वाले 60 वर्षीय राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव कबाड़ी का काम कर परिवार का जीवन यापन करते थे. उनका कोई बेटा नहीं था, सिर्फ दो बेटियां थी. पर बेटियों को भी वो बेटों से कम नहीं समझते थे.

मृतक कबाड़ी का काम करता था : मिली जानकारी के अनुसार कल यानी 31 अक्टूबर सोमवार को वो रात में घर से निकले थे. लेकिन जब अगले दिन घर नहीं पहुंचे. इसके बाद अचानक उनकी छोटी बेटी चांदनी के मोबाइल पर रेल पुलिस का फोन आया कि उनके पिता की दुर्घटना में मौत हो चुकी है. रोते-भागते किसी तरह उसने पिता के शव का पोस्टमार्टम करा डेड बॉडी को लेकर श्मशान घाट पहुंची और खुद अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी. मृतक की पुत्री चांदनी ने बताया कि मूलत: उनका परिवार सुपौल का रहने वाला है.

'दो बहन हैं. बड़ी बहन बिंदु की शादी हो गई हुई है. वो दिल्ली से यहां पर कुछ दिनों के लिए पिता के पास आई थी. भाई नहीं होने के कारण पिता उसे बेटे की तरह समझते थे, उनकी मौत के बाद किसी ने मदद नहीं की. किसी तरह मकान मालिक ने कुछ मदद की. अब मेरे पापा दोबारा नहीं आएंगे. मेरा भाई भी नहीं है, वो अपनी बेटियों को बेटे की तरह समझते थे. कभी हमें कम नहीं समझे, इसलिए मैंने खुद उनकी चिता को मुखाग्नि देने का फैसला किया.' - चांदनी कुमारी, मृतक की बेटी

रोहतास: कहते हैं ना बेटियां बेटों से कम नहीं (Daughters Are Not Less Than Sons) होतीं. जो काम बेटा कर सकता है, वहीं काम बेटी भी कर सकती है. काम चाहे घर का हो या फिर चारदिवारी के बाहर का. ऐसा ही एक नजारा रोहतास में भी देखने को मिला. जिले के डेहरी में आज कुछ ऐसा ही अनोखा नजारा शमशान घाट में देखने को मिला. जब एक बेटी अपनी पिता की मौत के बाद खुद शव लेकर श्मशान घाट पहुंची और पिता को मुखाग्नि दी. बेटी के द्वारा अपने पिता को मुखाग्नि देने की घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. गौरतलब है कि बेटा ही पिता की चिता को मुखाग्नि देता है. लेकिन यह बात अब गुजरे जमाने की हो चुकी है.

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बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि : जिले में मंगलवार को यह रूढ़ीवादी परंपरा तब टूटती नजर आई, जब एक बेटी ने बेटे का फर्ज निभाते हुए, पिता का अंतिम संस्कार किया. बेटी पिता की अंतिम यात्रा में श्मशान तक साथ गई और वहां उन सभी रीति-रिवाजों को निभाया जो बेटा करता है. डेहरी इलाके के न्यू एरिया जोड़ा मंदिर मोहहले में किराये के मकान में रहने वाले 60 वर्षीय राजेंद्र कुमार श्रीवास्तव कबाड़ी का काम कर परिवार का जीवन यापन करते थे. उनका कोई बेटा नहीं था, सिर्फ दो बेटियां थी. पर बेटियों को भी वो बेटों से कम नहीं समझते थे.

मृतक कबाड़ी का काम करता था : मिली जानकारी के अनुसार कल यानी 31 अक्टूबर सोमवार को वो रात में घर से निकले थे. लेकिन जब अगले दिन घर नहीं पहुंचे. इसके बाद अचानक उनकी छोटी बेटी चांदनी के मोबाइल पर रेल पुलिस का फोन आया कि उनके पिता की दुर्घटना में मौत हो चुकी है. रोते-भागते किसी तरह उसने पिता के शव का पोस्टमार्टम करा डेड बॉडी को लेकर श्मशान घाट पहुंची और खुद अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी. मृतक की पुत्री चांदनी ने बताया कि मूलत: उनका परिवार सुपौल का रहने वाला है.

'दो बहन हैं. बड़ी बहन बिंदु की शादी हो गई हुई है. वो दिल्ली से यहां पर कुछ दिनों के लिए पिता के पास आई थी. भाई नहीं होने के कारण पिता उसे बेटे की तरह समझते थे, उनकी मौत के बाद किसी ने मदद नहीं की. किसी तरह मकान मालिक ने कुछ मदद की. अब मेरे पापा दोबारा नहीं आएंगे. मेरा भाई भी नहीं है, वो अपनी बेटियों को बेटे की तरह समझते थे. कभी हमें कम नहीं समझे, इसलिए मैंने खुद उनकी चिता को मुखाग्नि देने का फैसला किया.' - चांदनी कुमारी, मृतक की बेटी

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