रोहतासः बिहार के रोहतास में साइबर ठगी (cyber fraud in rohtas) का मामला सामने आया है. पेटीएम की मदद से अपराधी साइबर फ्रॉड की घटना को अंजाम देता था. 48 हजार धोखाधड़ी मामले में अलग-अलग दो आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिससे पूछताछ की जा रही है. दोनों साइबर अपराधी दुकानदारों का पेटीएम इंस्टॉल कर समान क्रय करने व राशि का भुगतान ऑनलाइन के माध्यम से कर धोखाधड़ी से पैसे रिफंड कर लेता था.
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धोखाधड़ी कर रुपए रिफंडः इस कार्रवाई के बारे में रोहतास एसपी विनीत कुमार ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 16 जून 2023 को गोड़ारी बाजार के मुकेश कुमार के दुकान पर दो अज्ञात व्यक्तियों के द्वारा खरीदारी की गई थी. कुल 48200 रुपए का सामान खरीदा गया, जिसका भुगतान पेटीएम के माध्यम से किया गया था. इसके बाद उन अज्ञात व्यक्तियों द्वारा धोखाधड़ी कर रुपए रिफंड करा लिया गया.
पुलिस की विशेष टीम ने की कार्रवाईः एसपी ने बताया कि इस साइबर क्राइम को बहुत गंभीरता से लिया गया. मामले में शामिल अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए काराकाट थाना एवं रोहतास साइबर थाना की पुलिस की विशेष टीम बनाई गई. गठित टीम द्वारा तकनीकी जांच के आधार पर छापेमारी शुरू की गई. इस क्रम में टीम को गुप्त सूचना मिली की घटना में संलिप्त एक अपराधकर्मी बघैला थाना क्षेत्र के चनकी गांव में तथा दूसरा सासाराम नगर थाना के गौरक्षणी में छिपा हुआ है.
दो आरोपी की गिरफ्तारीः सूचना के बाद छापेमारी की गई, जिसमें पवन कुमार व राहुल को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार अपराधी की पहचान पवन कुमार बघैला चनकी गांव के निरंजन सिंह का पुत्र और राहुल नोखा थाना क्षेत्र के दुमरा गांव के अभय चौधरी का पुत्र के रूप में हुई है. उक्त दोनों अपराधियों ने उक्त काण्ड में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है.
"इस मामले में शिकायत मिली थी. टीम का गठन कर इस दो आरोपी को गिरफ्तार किया गया, जिसने अपनी संलिप्ता स्वीकार कर ली है. आरोपी में एक युवक दिल्ली में पेटीएम में काम करता था. वहीं वह सबकुछ सीख लिया और बिहार आकर ठगी करने का काम करता था. दो आरोपी को गिरफ्तार किया गया है, जिससे पूछताछ की जा रही है." - विनीत कुमार, एसपी, रोहतास
दिल्ली में करता था कामः इस मामले में पेटीएम से जानकारी प्राप्त की गई है. पता चला कि पवन दिल्ली में पेटीएम के फिल्ड ऑफिसर का काम करता था. इस दौरान ये जाना कि मर्चेंट एप में एक से ज्यादा एडमिन हो सकते हैं. यहां लौट कर दुकान में पेटीएम इंस्टाल कर खुद एडमिन बन जाता था, इसके बाद खरीदार से मिलीभगत कर अमांउट को कस्टमर के एकांउट में रिफंड करा लेता था. रिफंट रुपए को आपस में बांट लेता था.