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गेहूं खरीद में सहकारिता विभाग की तैयारी फेल, किसान औने-पौने दामों पर बेचने को विवश

सरकार ने 1 अप्रैल से 30 जून तक गेहूं खरीदने का निर्देश सहकारिता विभाग को दिया गया था. लेकिन विभाग ने गेहूं की खरीदारी अब तक शुरू नहीं की है.

गेहूं का टाल
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Published : Jun 15, 2019, 4:07 PM IST

रोहतासः धान का कटोरा कहे जाने वाले रोहतास में इन दिनों किसान गेहूं की फसल को लेकर परेशान हैं. किसानों के अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं. सरकार के जरिए गेहूं खरीदने में लापरवाही को लेकर किसानों के चेहरे पर मायूसी साफ देखी जा सकती है. किसान अपने गेहूं को औने-पौने दाम पर बेच को मजबूर हैं.

निर्देश के बाद भी नहीं हुई गेंहू की खरीद
सरकार ने 1 अप्रैल से 30 जून तक गेहूं खरीदने का निर्देश सहकारिता विभाग को दिया गया था. लेकिन विभाग ने गेहूं की खरीदारी अब तक शुरू नहीं की है. विभागीय सूत्रों के अनुसार 25 मार्च के बाद ही गेहूं खरीद की सुगबुगाहट होने लगी थी. तैयारी के साथ-साथ बैंक में पैक्स के सीसी करने की भी तैयारी की जा रही थी. आखिर क्या हुआ कि अब गेहूं खरीद की बात करने में अधिकारी भी हिचकिचाने लगे हैं. लोगों का कहना है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि धान खरीद की तरह गेहूं खरीद में भी विभागीय अधिकारियों को कमीशन में मुनाफा नहीं हो रहा है. किसान ये पूछ रहे हैं कि 1 अप्रैल के बाद गेहूं की खरीद क्यों नहीं हुई. सरकारी निर्देश के बाद भी गेहूं की खरीदारी नहीं होना विभाग की घोर लापरवाही है.

wheat
गेहूं का लगा टाल

किसान 13 से 14 रुपये क्विंटल बेच रहे गेंहू
गौरतलब है कि पिछले साल भी जिले में मात्र अकोला पैक्स में ही गेहूं की खरीद की थी. राज्य सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1840 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. लेकिन किसान अपने गेहूं को बिचौलियों के हाथों 13 से 14 सौ रुपये प्रति क्विंटल बेचने को मजबूर हैं. जिले में गेहूं खरीद नहीं होने से किसानों को 300 से 400 रुपये का घाटा हुआ है.

जानकारी देते किसान और जिला सहकारिता पदाधिकारी

गेहूं को भंडारित करने की जगह नहीं
एक किसान ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि अप्रैल में ही गेहूं की कटाई पूरी कर ली जाती है. लिहाजा छोटे किसानों के पास इतना बड़ा भंडार करने की जगह नहीं होती है. जिससे कि वह बड़े पैमाने पर गेहूं को भंडारित कर सके. कुछ किसान उसी वक्त औने-पौने दाम में गेहूं की बिक्री कर देते हैं. जिसका फायदा बिचौलिया उठाकर अधिक मुनाफा कमाते हैं. वहीं, किसान का आरोप है कि अगर सरकार अप्रैल माह में ही गेहूं की खरीदारी कर ले तो किसानों को इसका लाभ अधिक मिलेगा. क्योंकि गेहूं भंडारित करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

इस संबंध में जब जिला सहकारिता पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गेहूं की खरीदी शुरू हो चुकी है. गेहूं का सरकारी मूल्य 1840 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है.

रोहतासः धान का कटोरा कहे जाने वाले रोहतास में इन दिनों किसान गेहूं की फसल को लेकर परेशान हैं. किसानों के अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं. सरकार के जरिए गेहूं खरीदने में लापरवाही को लेकर किसानों के चेहरे पर मायूसी साफ देखी जा सकती है. किसान अपने गेहूं को औने-पौने दाम पर बेच को मजबूर हैं.

निर्देश के बाद भी नहीं हुई गेंहू की खरीद
सरकार ने 1 अप्रैल से 30 जून तक गेहूं खरीदने का निर्देश सहकारिता विभाग को दिया गया था. लेकिन विभाग ने गेहूं की खरीदारी अब तक शुरू नहीं की है. विभागीय सूत्रों के अनुसार 25 मार्च के बाद ही गेहूं खरीद की सुगबुगाहट होने लगी थी. तैयारी के साथ-साथ बैंक में पैक्स के सीसी करने की भी तैयारी की जा रही थी. आखिर क्या हुआ कि अब गेहूं खरीद की बात करने में अधिकारी भी हिचकिचाने लगे हैं. लोगों का कहना है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि धान खरीद की तरह गेहूं खरीद में भी विभागीय अधिकारियों को कमीशन में मुनाफा नहीं हो रहा है. किसान ये पूछ रहे हैं कि 1 अप्रैल के बाद गेहूं की खरीद क्यों नहीं हुई. सरकारी निर्देश के बाद भी गेहूं की खरीदारी नहीं होना विभाग की घोर लापरवाही है.

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गेहूं का लगा टाल

किसान 13 से 14 रुपये क्विंटल बेच रहे गेंहू
गौरतलब है कि पिछले साल भी जिले में मात्र अकोला पैक्स में ही गेहूं की खरीद की थी. राज्य सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 1840 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. लेकिन किसान अपने गेहूं को बिचौलियों के हाथों 13 से 14 सौ रुपये प्रति क्विंटल बेचने को मजबूर हैं. जिले में गेहूं खरीद नहीं होने से किसानों को 300 से 400 रुपये का घाटा हुआ है.

जानकारी देते किसान और जिला सहकारिता पदाधिकारी

गेहूं को भंडारित करने की जगह नहीं
एक किसान ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि अप्रैल में ही गेहूं की कटाई पूरी कर ली जाती है. लिहाजा छोटे किसानों के पास इतना बड़ा भंडार करने की जगह नहीं होती है. जिससे कि वह बड़े पैमाने पर गेहूं को भंडारित कर सके. कुछ किसान उसी वक्त औने-पौने दाम में गेहूं की बिक्री कर देते हैं. जिसका फायदा बिचौलिया उठाकर अधिक मुनाफा कमाते हैं. वहीं, किसान का आरोप है कि अगर सरकार अप्रैल माह में ही गेहूं की खरीदारी कर ले तो किसानों को इसका लाभ अधिक मिलेगा. क्योंकि गेहूं भंडारित करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

इस संबंध में जब जिला सहकारिता पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गेहूं की खरीदी शुरू हो चुकी है. गेहूं का सरकारी मूल्य 1840 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है.

Intro:रोहतास। धान का कटोरा कहा जाने वाला रोहतास में इन दिनों किसानों के अच्छे दिन नहीं चल रहे हैं। सरकार के द्वारा गेहूं खरीदने में लापरवाही को लेकर किसान के चेहरे पर मायूसी साफ देखी जा सकती है।


Body:गौरतलब है कि सरकार द्वारा 1 अप्रैल से 30 जून तक गेहूं खरीद का निर्देश सहकारिता विभाग को दिया गया था। लेकिन विभाग द्वारा गेहूं की खरीदारी अभी तक शुरू नहीं की गई है। इस कारण किसान अपने गेहूं को औने पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार विभाग में 25 मार्च के बाद ही गेहूं खरीद की सुगबुगाहट होने लगी थी। तैयारी के साथ-साथ बैंक में पैक्स के सीसी करने की भी तैयारी की जा रही थी। आखिर क्या हुआ कि वह अब गेहूं खरीद की बात करने में अधिकारी भी हिचकी जाने लगे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं है की धान खरीद की तरह गेहूं खरीद में विभागीय अधिकारियों को कमिशन में मुनाफा नहीं हो रहा है। एक वजह यह भी हो सकता है या जिले में किसानों के पास पैक्स को देने के लिए गेहूं ही नहीं था। क्योंकि 1 अप्रैल के बाद गेहूं की खरीद क्यों नहीं हुई। किसान अब इसकी चर्चा करने लगे हैं। निर्देश आने के बाद भी गेहूं कि खरीदारी नहीं होना विभाग की घोर लापरवाही है। गौरतलब हो कि पिछले साल भी जिले में मात्र अकोला पैक्स में ही गेहूं की खरीद की थी। हम आपको बता दें कि सरकारी मूल्य 1840 में प्रति क्विंटल तय किया गया था। राज्य सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य ₹840 प्रति क्विंटल तय किया गया। लेकिन किसान अपने गेहूं को बिचौलियों के हाथों 13 से ₹14 क्विंटल बेचने को मजबूर हैं। जिले में गेहूं खरीद नहीं होने से किसानों को तीन से ₹400 का घाटा हुआ है। बहरहाल इस संबंध में जब जिला सहकारिता पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गेहूं की खरीदी शुरू हो चुकी है। लिहाजा सरकारी मूल्य 1840 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। लेकिन किसानों को मार्केट में इससे अधिक दाम पर गेहूं व्यापारी द्वारा खरीदा जा रहा है। जिससे किसान सरकारी दाम पर गेहूं बेचने में असमर्थ हैं। वही एक किसान ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि अप्रैल में ही गेहूं की कटाई पूरी कर ली जाती है। लिहाजा छोटे किसानों के पास इतना बड़ा भंडार करने का जगह नहीं होता है जिससे कि वह बड़े पैमाने पर गेहूं को भंडारित कर सके। लिहाज़ा कुछ किसान उसी वक्त औने पौने दाम में गेहूं की बिक्री कर देते हैं। जिसका फायदा बिचौलिया उठाकर अधिक मुनाफा कमाते हैं। वही किसान का आरोप है कि अगर सरकार अप्रैल माह में ही गेहूं की खरीदारी कर ले तो किसानों को इसका लाभ अधिक मिलेगा। क्योंकि गेहूं भंडारित करने के लिए उसको आवश्यकता नहीं पड़ेगी।


Conclusion:वही सहकारिता विभाग द्वारा गेहूं की खरीदारी नहीं करने की वजह से किसानों में मायूसी भी है। साथ ही देश के प्रधानमंत्री ने जिस तरह से किसानों के हित की बात करते हुए कहा था कि समर्थन मूल्य से अधिक मूल्य पर किसानों का गेहूं खरीदा जायेगा। लेकिन यह महज लॉलीपॉप ही साबित हुआ। बहरहाल आलम यह है कि किसानों को अपने गेहूं औने पौने भाव में बेचकर किसी तरह पूंजी बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।

बाइट। किसान
बाइट। जिला सहकारिता पदाधिकारी
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