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रोहतास: निजी घरों में संचालित हो रहे हैं आंगनबाड़ी केंद्र, सरकारी आदेश की अवहेलना - Apathy of Anganwadi workers

सरकार के आदेश के मुताबिक सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को पास के सरकारी स्कूलों में या आंगनबाड़ी केंद्र भवन में शिफ्ट करने की बात कही गई थी. लेकिन सासाराम के मदार दरवाजा का आंगनबाड़ी केंद्र अभी भी निजी घरों में चल रहा है.

निजी घरों में संचालित हो रहा आंगनबाड़ी केंद्र
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Published : Sep 13, 2019, 11:53 AM IST

रोहतास: जिला मुख्यालय में कई आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल इन दिनों बदहाल है. केंद्र के लिए स्थायी भवन का अभाव संचालन के मार्ग में बड़ी बाधा साबित होने लगा है. सासाराम के मदार दरवाजा का आंगनबाड़ी केंद्र अभी भी निजी घरों में चल रहा है. लिहाजा सेविका और सहायिका का निजी घर होने की कारण लापरवाही बरत रही हैं. ऐसे में बच्चों के भविष्य पर भी अब खतरा मंडराने लगा है.

सरकार आंगनबाड़ी केंद्र पर करोड़ों रुपए खर्च करती है ताकि बुनियादी तालीम बच्चों को दी जा सके. आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों को कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं. पोषाहार से लेकर टीकाकरण तक इसी आंगनबाड़ी केंद्र पर किया जाता है. लेकिन आंगनबाड़ी कर्मियों की उदासीनता की वजह से केंद्र पर बच्चे नहीं पहुंच पा रहे हैं. जाहिर है बच्चे का न पहुंच पाना अपने आप में सवाल खड़ा करता है.

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निजी घरों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र

निजी घरों में संचालित हो रहा आंगनबाड़ी केंद्र
कई ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र सासाराम में मौजूद है जो निजी घरों में संचालित हो रहे हैं. जबकि सरकार के आदेश के मुताबिक सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को पास के सरकारी स्कूलों में या आंगनबाड़ी केंद्र भवन में शिफ्ट करने की बात कही गई थी. लेकिन सासाराम के मदार दरवाजा का आंगनबाड़ी केंद्र अभी भी निजी घरों में चल रहा है. लिहाजा सेविका और सहायिका लापरवाह नजर आती हैं.

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सुनीता, डीपीओ

सेविका और सहायिका की लापरवाही
ईटीवी भारत की टीम जब ऐसे केंद्रों का जायजा लेने पहुंची तो लापरवाही का आलम साफ देखने को मिला. सेंटर पर मौजूद सेविका बच्चों को बुलाकर खुद घर के काम में व्यस्त थीं. वहीं 40 बच्चे के नामांकन में महज 7 बच्चे ही केंद्र पर उपस्थित थे. ऐसे में सहायिका की जिम्मेदारी होती है कि वो बच्चे को घर-घर जाकर लाए. लेकिन सेविका और सहायिका की लापरवाही की वजह से बच्चे सेंटर पर नहीं पहुंच पा रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

लोगों को जागरूक होना जरूरी
इस बारे में जब जिला प्रोग्राम पदाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सेंटर पर लापरवाही बरतने के लिए हम सब जिम्मेदार हैं. यह सेंटर एक कम्युनिटी के तहत चलता है और इसकी देखरेख करना सभी का दायित्व है. उन्होंने कहा कि कोई भी अधिकारी सेंटर पर जाकर कितना जांच करेगा. हालात सुधारने के लिए सबसे अहम चीज है लोगों के अंदर जागरूकता लाना. तभी लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ मिलेगा. लापरवाही बरतने के सवाल पर डीपीओ ने कहा कि जो भी दोषी होंगे, उनपर कार्रवाई की डाएगी.

रोहतास: जिला मुख्यालय में कई आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल इन दिनों बदहाल है. केंद्र के लिए स्थायी भवन का अभाव संचालन के मार्ग में बड़ी बाधा साबित होने लगा है. सासाराम के मदार दरवाजा का आंगनबाड़ी केंद्र अभी भी निजी घरों में चल रहा है. लिहाजा सेविका और सहायिका का निजी घर होने की कारण लापरवाही बरत रही हैं. ऐसे में बच्चों के भविष्य पर भी अब खतरा मंडराने लगा है.

सरकार आंगनबाड़ी केंद्र पर करोड़ों रुपए खर्च करती है ताकि बुनियादी तालीम बच्चों को दी जा सके. आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों को कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं. पोषाहार से लेकर टीकाकरण तक इसी आंगनबाड़ी केंद्र पर किया जाता है. लेकिन आंगनबाड़ी कर्मियों की उदासीनता की वजह से केंद्र पर बच्चे नहीं पहुंच पा रहे हैं. जाहिर है बच्चे का न पहुंच पाना अपने आप में सवाल खड़ा करता है.

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निजी घरों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र

निजी घरों में संचालित हो रहा आंगनबाड़ी केंद्र
कई ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र सासाराम में मौजूद है जो निजी घरों में संचालित हो रहे हैं. जबकि सरकार के आदेश के मुताबिक सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को पास के सरकारी स्कूलों में या आंगनबाड़ी केंद्र भवन में शिफ्ट करने की बात कही गई थी. लेकिन सासाराम के मदार दरवाजा का आंगनबाड़ी केंद्र अभी भी निजी घरों में चल रहा है. लिहाजा सेविका और सहायिका लापरवाह नजर आती हैं.

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सुनीता, डीपीओ

सेविका और सहायिका की लापरवाही
ईटीवी भारत की टीम जब ऐसे केंद्रों का जायजा लेने पहुंची तो लापरवाही का आलम साफ देखने को मिला. सेंटर पर मौजूद सेविका बच्चों को बुलाकर खुद घर के काम में व्यस्त थीं. वहीं 40 बच्चे के नामांकन में महज 7 बच्चे ही केंद्र पर उपस्थित थे. ऐसे में सहायिका की जिम्मेदारी होती है कि वो बच्चे को घर-घर जाकर लाए. लेकिन सेविका और सहायिका की लापरवाही की वजह से बच्चे सेंटर पर नहीं पहुंच पा रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

लोगों को जागरूक होना जरूरी
इस बारे में जब जिला प्रोग्राम पदाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सेंटर पर लापरवाही बरतने के लिए हम सब जिम्मेदार हैं. यह सेंटर एक कम्युनिटी के तहत चलता है और इसकी देखरेख करना सभी का दायित्व है. उन्होंने कहा कि कोई भी अधिकारी सेंटर पर जाकर कितना जांच करेगा. हालात सुधारने के लिए सबसे अहम चीज है लोगों के अंदर जागरूकता लाना. तभी लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ मिलेगा. लापरवाही बरतने के सवाल पर डीपीओ ने कहा कि जो भी दोषी होंगे, उनपर कार्रवाई की डाएगी.

Intro:रोहतास। जिला मुख्यालय में कई आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल इन दिनों खस्ता है। केंद्र पर बच्चे का नहीं पहुंच पाना यह अपने आप में चिंता का विषय है।


Body:गौरतलब है कि सरकार आंगनबाड़ी केंद्र पर करोड़ों रुपए खर्च करती है ताकि बुनियादी तालीम बच्चों को दी जा सके। आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों को कई तरह की सुविधाएं दी जाती है। पोषाहार से लेकर टीकाकरण तक इसी आंगनबाड़ी केंद्र पर किया जाता है। लेकिन आंगनबाड़ी कर्मियों की उदासीनता की वजह से केंद्र पर बच्चे नहीं पहुंच पा रहे हैं। जाहिर है बच्चे का ना पहुंच पाना अपने आप में सवाल खड़ा कर रहा है। वहीं कई ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र सासाराम में मौजूद है जो निजी घरों में संचालित हो रहे हैं। जबकि सरकार के आदेश के मुताबिक सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को पास के सरकारी स्कूलों में या आंगनबाड़ी केंद्र भवन में शिफ्ट करने की बात कही गई थी। लेकिन सासाराम के मदार दरवाजा का आंगनबाड़ी केंद्र अभी भी निजी घरों में चल रहा है। लिहाज़ा यही वजह है कि सेविका और सहायिका का निजी घर होने की वजह से वह लापरवाह नजर आती है। ईटीवी भारत की टीम जब ऐसे केंद्रों का जायजा लेने सेंटर पर पहुंची तो तस्वीर भी कुछ वैसी ही दिखी। सेंटर पर मौजूद सहायिका बच्चों को बुलाकर खुद घर के काम में व्यस्त थी। वही 40 बच्चे के नामांकन में महज 7 बच्चे ही केंद्र पर उपस्थित थे। ऐसे में सहायिका की जिम्मेदारी होती है कि बच्चे को घर-घर जाकर लाया जा सके ताकि वह सेंटर पर आकर पढ़ाई कर सकें। लेकिन सेविका और सहायिका की लापरवाही की वजह से बच्चे सेंटर पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। वही इस बारे में जब जिला प्रोग्राम पदाधिकारी से बात किया गया तो उनका भी जवाब कुछ अजीब सा था। डीपीओ ने बताया कि सेंटर पर लापरवाही बरतने के लिए हम सब जिम्मेदार हैं। क्योंकि यह सेंटर एक कम्युनिटी के तहत चलता है और इसकी देखरेख करना यह सारे लोगों का दायित्व है। वहीं उन्होंने बताया कि कोई भी अधिकारी सेंटर पर जाकर कितना जांच करेगा। सेविका सहायिका लापरवाह होगी तो उन पर कार्रवाई होगी लेकिन हालात सुधरने वाले नहीं है। हालात को सुधारने के लिए सबसे अहम चीज है कि लोगों के अंदर जागरूकता लाना होगा तभी जाकर उन लोगों को सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ मिलेगा।


Conclusion:बहहरहाल आंगनबाड़ी को लेकर सरकार पर आए दिन सवालिया निशान लगते रहते हैं कि आंगनवाड़ी केंद्र पर लूटखसोट की स्थिति पैदा हो गई है। वहीं बच्चों के भविष्य पर भी अब खतरा मंडराने लगा है।

बाइट। सेविका मिना कुमारी
बाइट। डीपीओ सुनीता
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