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रोहतास में 150 साल पुरानी धूप घड़ी की प्लेट उठा ले गए चोर, ब्रिटिश काल में हुआ था निर्माण

बिहार के रोहतास में 150 साल पुरानी प्राचीन धूप घड़ी की चोरी (Rohtas World Fame Sun Watch ) होने की खबर सामने आ रही है. जिसके संबंध में बताया जा रहा है कि चोरों ने धूप घड़ी को क्षतिग्रस्त कर उसके धातु का प्लेट चुरा लिया. सूचना पर पहुंची पुलिस मामले की जांच कर रही है. पढ़ें पूरी खबर..

रोहतास में धूप घड़ी चोरी
रोहतास में धूप घड़ी चोरी
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Published : Feb 9, 2022, 10:41 AM IST

Updated : Feb 9, 2022, 8:20 PM IST

रोहतास: रोहतास: बिहार के रोहतास जिले के डेहरी नगर थाना क्षेत्र से शातिर चोरों ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक 150 साल पुरानी धूप घड़ी (150 years old sun clock in Rohtash) को क्षतिग्रस्त कर उसके धातु का ब्लेड चुरा लिया. यह घड़ी यह डिहरी (Dehri Historical Watch) के एनीकट इलाके में सिंचाई विभाग के कैंपस में एक चबूतरे पर बनी हुई थी. बताया जाता है कि ब्रिटिश काल में 1871 में इसका निर्माण कराया गया था तब से ये संरक्षित था. दूर-दूर से लोग इस ऐतिहासिक धूप घड़ी को देखने आते थे.

यह भी पढ़ें - रोहतास में बिना बैटरी और चाबी के 150 सालों से चल रही है अद्भुत घड़ी, यकीन न हो तो देखे लें VIDEO

अति सुरक्षित इलाके में वारदात : शहर का यह यह इलाका अति सुरक्षित माना जाता है, यहां डीआईजी, एसपी, एएसपी सहित तमाम आला पुलिस अधिकारियों के कार्यालय और आवास है. इसके बावजूद चोरों ने धूप घड़ी को क्षतिग्रस्त कर उसे चुरा लिया. बता दें कि 'सन- वॉच' का परिसर भी पहले से टूटा हुआ है. स्थानीय प्रशासन ने इसका रख-रखाव नहीं किया. जिसका नतीजा यह हुआ कि चोरों ने इस धूप घड़ी को चुराकर डेहरी की एक पहचान को खत्म कर दिया. स्थानीय लोग इस करतूत से काफी मायूस हैं. उधर मौके पर पुलिस पहुंच गई है और मामले की जांच कर रही है.

स्थानीय लोगों के मुताबिक, धूप घड़ी की स्थापना सन 1871 ई. में ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा की गई थी. बताया जाता है कि सोन नहर प्रणाली को विकसित करने के दौरान डेहरी में एक यांत्रिक कार्यशाला का संचालन किया था, जिसमें काम करने वाले कामगारों के लिए धूप घड़ी बनाई गई (Sun watch installed by british for laborers) थी. यह धूप घड़ी प्रत्येक आधा घंटा के अंतराल पर सही समय दिखाती थी, सूरज की पहली किरण से लेकर सूर्यास्त के अंतिम किरण तक इस घड़ी का उपयोग किया जाता था.

इलाके के लोग पहले ही आरोप लगाते थे कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस प्राचीन धूप घड़ी की दीवारें टूट चुकी थी और सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं था. इस इलाके से हर रोज वीवीआईपी का आना जाना होता था, लेकिन इसके बावजूद किसी की निगाहें इस ओर नहीं पड़ीं. लोग सरकार से इस धरोहर को सुरक्षित कर इसे पर्यटन के रूप में विकसित की लगातार मांग कर रहे थे.

बता दें कि जिला मुख्यालय सासाराम से 18 किलोमीटर दूर डेहरी ऑन सोन स्थित एनीकट और बीएमपी के बीच यह ऐतिहासिक धूप घड़ी बना हुआ था. जो बिना बैटरी और बगैर चाबी दिए 150 सालों से लगातार क्रियाशील थी. यह घड़ी सूर्य की रोशनी से संचालित होती थी. धूप घड़ी सिंचाई विभाग कैंपस के एक चबूतरे पर बना था. जिस पर धातु की तिकोनी प्लेट लगी हुई थी, जो स्थिर था और जिसपर रोमन-इंग्लिश भाषा में अंक अंकित है. जहां धातु के तिकोने प्लेट पर सूर्य का प्रकाश पड़ने पर समय पता चलता है. लेकिन रख-रखाव और सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण चोरों ने धूप घड़ी के इस धातु के तिकोने प्लेट पर हाथ साफ कर दिया.

यह भी पढ़ें - आधुनिक युग में भी विष्णुपद मंदिर में स्थापित है धूप घड़ी, तीर्थयात्री होते हैं आकर्षित

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रोहतास: रोहतास: बिहार के रोहतास जिले के डेहरी नगर थाना क्षेत्र से शातिर चोरों ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक 150 साल पुरानी धूप घड़ी (150 years old sun clock in Rohtash) को क्षतिग्रस्त कर उसके धातु का ब्लेड चुरा लिया. यह घड़ी यह डिहरी (Dehri Historical Watch) के एनीकट इलाके में सिंचाई विभाग के कैंपस में एक चबूतरे पर बनी हुई थी. बताया जाता है कि ब्रिटिश काल में 1871 में इसका निर्माण कराया गया था तब से ये संरक्षित था. दूर-दूर से लोग इस ऐतिहासिक धूप घड़ी को देखने आते थे.

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अति सुरक्षित इलाके में वारदात : शहर का यह यह इलाका अति सुरक्षित माना जाता है, यहां डीआईजी, एसपी, एएसपी सहित तमाम आला पुलिस अधिकारियों के कार्यालय और आवास है. इसके बावजूद चोरों ने धूप घड़ी को क्षतिग्रस्त कर उसे चुरा लिया. बता दें कि 'सन- वॉच' का परिसर भी पहले से टूटा हुआ है. स्थानीय प्रशासन ने इसका रख-रखाव नहीं किया. जिसका नतीजा यह हुआ कि चोरों ने इस धूप घड़ी को चुराकर डेहरी की एक पहचान को खत्म कर दिया. स्थानीय लोग इस करतूत से काफी मायूस हैं. उधर मौके पर पुलिस पहुंच गई है और मामले की जांच कर रही है.

स्थानीय लोगों के मुताबिक, धूप घड़ी की स्थापना सन 1871 ई. में ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा की गई थी. बताया जाता है कि सोन नहर प्रणाली को विकसित करने के दौरान डेहरी में एक यांत्रिक कार्यशाला का संचालन किया था, जिसमें काम करने वाले कामगारों के लिए धूप घड़ी बनाई गई (Sun watch installed by british for laborers) थी. यह धूप घड़ी प्रत्येक आधा घंटा के अंतराल पर सही समय दिखाती थी, सूरज की पहली किरण से लेकर सूर्यास्त के अंतिम किरण तक इस घड़ी का उपयोग किया जाता था.

इलाके के लोग पहले ही आरोप लगाते थे कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस प्राचीन धूप घड़ी की दीवारें टूट चुकी थी और सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं था. इस इलाके से हर रोज वीवीआईपी का आना जाना होता था, लेकिन इसके बावजूद किसी की निगाहें इस ओर नहीं पड़ीं. लोग सरकार से इस धरोहर को सुरक्षित कर इसे पर्यटन के रूप में विकसित की लगातार मांग कर रहे थे.

बता दें कि जिला मुख्यालय सासाराम से 18 किलोमीटर दूर डेहरी ऑन सोन स्थित एनीकट और बीएमपी के बीच यह ऐतिहासिक धूप घड़ी बना हुआ था. जो बिना बैटरी और बगैर चाबी दिए 150 सालों से लगातार क्रियाशील थी. यह घड़ी सूर्य की रोशनी से संचालित होती थी. धूप घड़ी सिंचाई विभाग कैंपस के एक चबूतरे पर बना था. जिस पर धातु की तिकोनी प्लेट लगी हुई थी, जो स्थिर था और जिसपर रोमन-इंग्लिश भाषा में अंक अंकित है. जहां धातु के तिकोने प्लेट पर सूर्य का प्रकाश पड़ने पर समय पता चलता है. लेकिन रख-रखाव और सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के कारण चोरों ने धूप घड़ी के इस धातु के तिकोने प्लेट पर हाथ साफ कर दिया.

यह भी पढ़ें - आधुनिक युग में भी विष्णुपद मंदिर में स्थापित है धूप घड़ी, तीर्थयात्री होते हैं आकर्षित

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Last Updated : Feb 9, 2022, 8:20 PM IST
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