रोहतासः करगहर प्रखंड के रुपैठा गांव के आंगनबाड़ी केंद्र पर सरकारी नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. जिस आंगनबाड़ी केंद्र को सरकार ने लाखों रुपए खर्च कर बच्चों को शिक्षा देने के लिए बनाया था. वहां अब ताला लटका हुआ है. आलम ये है कि सेविका और सहायिका के निजी घरों में आंगनबाड़ी केंद्र चलाया जा रहा है. वहीं, अधिकारी आंख मूंदकर बैठे हुए हैं.
कार्रवाई से बच रहे अधिकारी
बता दें कि इससे पहले भी कई घरों में आंगनबाड़ी केंद्र चलते रहे हैं. जिसपर सरकार ने सख्ती दिखाते हुए आदेश दिया था कि अब कोई भी आंगनबाड़ी केंद्र निजी घरों में नहीं चलेगा. अगर केंद्र के पास अपना सामुदायिक भवन नहीं है, तो वह पास के सरकारी स्कूल में चलाया जाएगा. लेकिन रुपैठा गांव में सरकार के आदेशों को दरकिनार कर आंगनबाड़ी केंद्र निजी घर में चलाया जा रहा है. वहीं, अधिकारी इस पर कार्रवाई करने के बजाय बचते नजर आ रहे हैं.
'सुपरवाइजर को दी थी जानकारी'
आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका ने बताया कि सुपरवाइजर को इसकी जानकारी दी गई थी. लेकिन इसके बावजूद भी सरकारी स्कूल में जगह मुहैया नहीं कराई गई. जिसके चलते सेविका के घर में आंगनबाड़ी चलया जा रहा है. ऐसे में बच्चों को अच्छी शिक्षा कैसे मिलेगी? वहीं, सीडीपीओ के दौरे को लेकर उसने बताया कि यहां कई सालों से किसी ने दौरा नहीं किया है.
डीपीएम ने दिया डेटा का हवाला
जब इस मामले में डीपीएम सुनिता से बात की गई. तो उन्होंने डेटा का हवाला देते हुए कहा कि हमारी जानकारी में ऐसे बहुत से आंगनबाड़ी केंद्र हैं. जो प्राथमिक विघालय में चलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुछ ही ऐसे केंद्र होंगे. जिनके पास प्राथमिक विघालय में जगह नहीं होने पर निजी घर में चलाया जा रहा होगा.