रोहतास: जिले के एक परिवार ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. गरीबी से लाचार इस परिवार ने सिर्फ इसलिए पीएम मोदी को खत लिखा है क्योंकि उनके पास अपने तीन दिव्यांग बेटों का इलाज कराने के लिए रुपये नहीं है. रोता हुआ बाप, मासूम दिव्यांग बच्चे और मदद की गुहार के बावजूद किसी प्रकार का सरकारी लाभ न मिल पाने से मायूस मां, दिव्यांग भाईयों को अच्छा देखने के सपने लिए एक लाचार बहन, ये सभी अब इस संसार में जीना नहीं चाहते.
पूरा मामला रोहतास जिले के संझौली प्रखंड के छुलकार गांव का है. यहां बेबस पिता देवमुनि सिंह ने पीएम मोदी को खत लिखकर परिवार समेत इच्छा मृत्यु की मांग की है. देवमुनि सिंह का कहना है कि उन्होंने अपने तीनों दिव्यांग बच्चों के इलाज के लिए अपनी पुस्तैनी जमीन बेच दी. बच्चे जन्म से दिव्यांग नहीं थे लेकिन देखते ही देखते तीनों बच्चे दिव्यांग हो गए.
सुन लो सरकार...
देवमुनि सिंह के बड़े बेटे 16 वर्षीय मंतोष के पैर और हाथ की हड्डियां सूख चुकी है. वहीं, दूसरा बेटा 10 वर्षीय धंतोष भी कुछ ऐसे ही दिव्यांगता का शिकार हो गया. दोनों का इलाज करा रहे देवमुनि उस समय सबसे ज्यादा आहत हो गए, जब उनका छोटा बेटा 8 वर्षीय रमतोष भी दिव्यांग हो गया. अपना सबकुछ बेच चुके देवमुनि अब इतने लाचार हैं कि वो बेटों का इलाज नहीं करा सकते. लिहाजा, उन्होंने पीएम मोदी से इच्छामृत्यु की मांग की है.
नहीं मिली बुनियादी सुविधा
बेटों को इलाज में अपना सब कुछ बेच चुके देवमुनि सिंह का परिवार इन दिनों बेहद तंगी से गुजर रहा है. खेती के नाम पर उनके पास कुछ भी नहीं है. बावजूद इसके उन्हें न तो बीपीएल कार्ड मिला है और न ही किसी सरकारी योजना का लाभ. वहीं, कच्चे मकान में रह रहे इस परिवार को इंदिरा आवास योजना के तहत मकान भी नहीं मिला है. बच्चों के इलाज की बात तो दूर, कोई जिम्मदार नौकरशाह इनकी इस दशा पर हालचाल भी लेना उचित नहीं समझ रहा.
पिता के आंसू, मां की बेबसी और बहन की गुहार
- मजदूरी कर रहे पिता अपनी लचारी की दास्तां सुनाते-सुनाते रो पड़ता है और सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग कर डालता है. देवमुनि सिंह का कहना है कि सरकार मेरे पूरे परिवार को इच्छा मृत्यु की इजाजत दे दे.
- वहीं, अनिता देवी का कहना है कि आज अगर हमें कुछ भी हो जाता है, तो उनके ये बेटे तड़प-तड़प के मर जाएंगे. इससे अच्छा है कि सरकार हमें इच्छा मृत्यु दे दे.
- बहन मधु ने बताया कि भाईयों को शौच के लिए गोद में उठाकर ले जाना पड़ता है. भाईयों की इस दशा की वजह से उसकी पढ़ाई छूट गई. किसी प्रकार की कोई सरकारी सुविधा नहीं मिली है.
एक तरफ सरकार जहां दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चला रही हैं लेकिन न जाने क्यों, इन योजनाओं का लाभ सुदूरवर्ती इलाकों में नहीं पहुंच पा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ अभी तक इस परिवार से किसी भी अधिकारी ने मिलने की जरूरत नहीं समझी. देखना होगा पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे इनके खत पर सरकार किस तरह एक्शन लेती है और इस बेबस परिवार को किस तरह की सरकारी मदद मिल पाती है.