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बिहार: 3 दिव्यांग बेटों को नहीं मिली सरकारी मदद, अब PM मोदी से इच्छा मृत्यु की मांग

3 दिव्यांग बेटों का मजदूर पिता अपनी लचारी की दास्तां सुनाते-सुनाते रो रहा है. सरकार से परिवार समेत इच्छा मृत्यु की मांग कर रहा है.

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Published : Jul 16, 2019, 8:16 PM IST

रोहतास: जिले के एक परिवार ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. गरीबी से लाचार इस परिवार ने सिर्फ इसलिए पीएम मोदी को खत लिखा है क्योंकि उनके पास अपने तीन दिव्यांग बेटों का इलाज कराने के लिए रुपये नहीं है. रोता हुआ बाप, मासूम दिव्यांग बच्चे और मदद की गुहार के बावजूद किसी प्रकार का सरकारी लाभ न मिल पाने से मायूस मां, दिव्यांग भाईयों को अच्छा देखने के सपने लिए एक लाचार बहन, ये सभी अब इस संसार में जीना नहीं चाहते.

पूरा मामला रोहतास जिले के संझौली प्रखंड के छुलकार गांव का है. यहां बेबस पिता देवमुनि सिंह ने पीएम मोदी को खत लिखकर परिवार समेत इच्छा मृत्यु की मांग की है. देवमुनि सिंह का कहना है कि उन्होंने अपने तीनों दिव्यांग बच्चों के इलाज के लिए अपनी पुस्तैनी जमीन बेच दी. बच्चे जन्म से दिव्यांग नहीं थे लेकिन देखते ही देखते तीनों बच्चे दिव्यांग हो गए.

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ये रहे तीनों दिव्यांग बेटे

सुन लो सरकार...
देवमुनि सिंह के बड़े बेटे 16 वर्षीय मंतोष के पैर और हाथ की हड्डियां सूख चुकी है. वहीं, दूसरा बेटा 10 वर्षीय धंतोष भी कुछ ऐसे ही दिव्यांगता का शिकार हो गया. दोनों का इलाज करा रहे देवमुनि उस समय सबसे ज्यादा आहत हो गए, जब उनका छोटा बेटा 8 वर्षीय रमतोष भी दिव्यांग हो गया. अपना सबकुछ बेच चुके देवमुनि अब इतने लाचार हैं कि वो बेटों का इलाज नहीं करा सकते. लिहाजा, उन्होंने पीएम मोदी से इच्छामृत्यु की मांग की है.

लाचारी की दास्तां सुनाता परिवार

नहीं मिली बुनियादी सुविधा
बेटों को इलाज में अपना सब कुछ बेच चुके देवमुनि सिंह का परिवार इन दिनों बेहद तंगी से गुजर रहा है. खेती के नाम पर उनके पास कुछ भी नहीं है. बावजूद इसके उन्हें न तो बीपीएल कार्ड मिला है और न ही किसी सरकारी योजना का लाभ. वहीं, कच्चे मकान में रह रहे इस परिवार को इंदिरा आवास योजना के तहत मकान भी नहीं मिला है. बच्चों के इलाज की बात तो दूर, कोई जिम्मदार नौकरशाह इनकी इस दशा पर हालचाल भी लेना उचित नहीं समझ रहा.

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बेबसी के आंसू

पिता के आंसू, मां की बेबसी और बहन की गुहार

  • मजदूरी कर रहे पिता अपनी लचारी की दास्तां सुनाते-सुनाते रो पड़ता है और सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग कर डालता है. देवमुनि सिंह का कहना है कि सरकार मेरे पूरे परिवार को इच्छा मृत्यु की इजाजत दे दे.
    a-family-from-rohtas-write-a-letter-to-prime-minister-for-euthanasia
    बहन मधु
  • वहीं, अनिता देवी का कहना है कि आज अगर हमें कुछ भी हो जाता है, तो उनके ये बेटे तड़प-तड़प के मर जाएंगे. इससे अच्छा है कि सरकार हमें इच्छा मृत्यु दे दे.
  • बहन मधु ने बताया कि भाईयों को शौच के लिए गोद में उठाकर ले जाना पड़ता है. भाईयों की इस दशा की वजह से उसकी पढ़ाई छूट गई. किसी प्रकार की कोई सरकारी सुविधा नहीं मिली है.
    https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/3855712_itledddd.jpg
    मां की गुहार

एक तरफ सरकार जहां दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चला रही हैं लेकिन न जाने क्यों, इन योजनाओं का लाभ सुदूरवर्ती इलाकों में नहीं पहुंच पा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ अभी तक इस परिवार से किसी भी अधिकारी ने मिलने की जरूरत नहीं समझी. देखना होगा पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे इनके खत पर सरकार किस तरह एक्शन लेती है और इस बेबस परिवार को किस तरह की सरकारी मदद मिल पाती है.

रोहतास: जिले के एक परिवार ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है. गरीबी से लाचार इस परिवार ने सिर्फ इसलिए पीएम मोदी को खत लिखा है क्योंकि उनके पास अपने तीन दिव्यांग बेटों का इलाज कराने के लिए रुपये नहीं है. रोता हुआ बाप, मासूम दिव्यांग बच्चे और मदद की गुहार के बावजूद किसी प्रकार का सरकारी लाभ न मिल पाने से मायूस मां, दिव्यांग भाईयों को अच्छा देखने के सपने लिए एक लाचार बहन, ये सभी अब इस संसार में जीना नहीं चाहते.

पूरा मामला रोहतास जिले के संझौली प्रखंड के छुलकार गांव का है. यहां बेबस पिता देवमुनि सिंह ने पीएम मोदी को खत लिखकर परिवार समेत इच्छा मृत्यु की मांग की है. देवमुनि सिंह का कहना है कि उन्होंने अपने तीनों दिव्यांग बच्चों के इलाज के लिए अपनी पुस्तैनी जमीन बेच दी. बच्चे जन्म से दिव्यांग नहीं थे लेकिन देखते ही देखते तीनों बच्चे दिव्यांग हो गए.

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ये रहे तीनों दिव्यांग बेटे

सुन लो सरकार...
देवमुनि सिंह के बड़े बेटे 16 वर्षीय मंतोष के पैर और हाथ की हड्डियां सूख चुकी है. वहीं, दूसरा बेटा 10 वर्षीय धंतोष भी कुछ ऐसे ही दिव्यांगता का शिकार हो गया. दोनों का इलाज करा रहे देवमुनि उस समय सबसे ज्यादा आहत हो गए, जब उनका छोटा बेटा 8 वर्षीय रमतोष भी दिव्यांग हो गया. अपना सबकुछ बेच चुके देवमुनि अब इतने लाचार हैं कि वो बेटों का इलाज नहीं करा सकते. लिहाजा, उन्होंने पीएम मोदी से इच्छामृत्यु की मांग की है.

लाचारी की दास्तां सुनाता परिवार

नहीं मिली बुनियादी सुविधा
बेटों को इलाज में अपना सब कुछ बेच चुके देवमुनि सिंह का परिवार इन दिनों बेहद तंगी से गुजर रहा है. खेती के नाम पर उनके पास कुछ भी नहीं है. बावजूद इसके उन्हें न तो बीपीएल कार्ड मिला है और न ही किसी सरकारी योजना का लाभ. वहीं, कच्चे मकान में रह रहे इस परिवार को इंदिरा आवास योजना के तहत मकान भी नहीं मिला है. बच्चों के इलाज की बात तो दूर, कोई जिम्मदार नौकरशाह इनकी इस दशा पर हालचाल भी लेना उचित नहीं समझ रहा.

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बेबसी के आंसू

पिता के आंसू, मां की बेबसी और बहन की गुहार

  • मजदूरी कर रहे पिता अपनी लचारी की दास्तां सुनाते-सुनाते रो पड़ता है और सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग कर डालता है. देवमुनि सिंह का कहना है कि सरकार मेरे पूरे परिवार को इच्छा मृत्यु की इजाजत दे दे.
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    बहन मधु
  • वहीं, अनिता देवी का कहना है कि आज अगर हमें कुछ भी हो जाता है, तो उनके ये बेटे तड़प-तड़प के मर जाएंगे. इससे अच्छा है कि सरकार हमें इच्छा मृत्यु दे दे.
  • बहन मधु ने बताया कि भाईयों को शौच के लिए गोद में उठाकर ले जाना पड़ता है. भाईयों की इस दशा की वजह से उसकी पढ़ाई छूट गई. किसी प्रकार की कोई सरकारी सुविधा नहीं मिली है.
    https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/3855712_itledddd.jpg
    मां की गुहार

एक तरफ सरकार जहां दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चला रही हैं लेकिन न जाने क्यों, इन योजनाओं का लाभ सुदूरवर्ती इलाकों में नहीं पहुंच पा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ अभी तक इस परिवार से किसी भी अधिकारी ने मिलने की जरूरत नहीं समझी. देखना होगा पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे इनके खत पर सरकार किस तरह एक्शन लेती है और इस बेबस परिवार को किस तरह की सरकारी मदद मिल पाती है.

Intro:bihar desk
report _ravi kumar /sasaram
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बिहार के रोहतास में अपने तीन दिव्यांग बेटों को इलाज कराने में अक्षम एक परिवार ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पूरे परिवार सहित इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी है मामला जिले के संझौली प्रखंड के छुलकार गांव का है


Body:दरअसल जिले के संझौली प्रखंड अंतर्गत फुल कार गांव में देव मुनि सिंह का परिवार रहता है जिनके 3 बच्चे धीरे-धीरे पूर्ण रूप से विकलांग हो गए हैं जन्म से तो यह बच्चे सामान्य थे लेकिन धीरे-धीरे एक ही परिवार के तीन बच्चे विकलांग हो गए सबसे पहले 16 वर्षीय मंतोष के पैर तथा हाथ की हड्डियां सूखने लगी मंतोष का इलाज शुरू ही हुआ था कि दूसरा बेटा 10 वर्षीय संतोष को भी यही समस्या होने लगी दोनों चलने फिरने में असमर्थ हो गए अपने दोनों बेटे के इलाज के लिए पिता 2 मोनी सिंह ने अपने 10 कट्ठा पुश्तैनी जमीन को भी बेच दिया फिर भी कोई सुधार नहीं हुआ लेकिन दुख का पहाड़ तब और टूट पड़ा जब देव मुनि सिंह का तीसरा बेटा रमतोश भी अपने भाइयों के राह चल पड़ा और विकलांगता का शिकार हो गया

एक तरफ इलाज में पुश्तैनी जमीन तो बिकती चली गई उधर घर के बच्चे एक के बाद एक दिव्यांग होते चले गए आज इन लोगों के पास बचा एक मिट्टी का घर है जिसमें वक्त कट रहा है गरीबी का आलम यह है कि दिव्यांगों के पिता देव मुनि सिंह जो कल तक किसान थे जमीन बिक जाने के बाद अब मजबूर हो गए हैं घर में एक बेटी का पढ़ाई छूट गया 10 कट्ठा जमीन बिकने से पहले हुए सर्वेक्षण के कारण बीपीएल में नाम भी नहीं है जिस कारण इंदिरा आवास भी नहीं मिल पाया बिहार का सबसे पहला खुले में शौच मुक्त प्रखंड संझौली होने के बावजूद घर में शौचालय तक नहीं है आलम यह है कि बाप अपने तीनों दिव्यांग बच्चों को गोद में उठाकर शौच के लिए बाहर ले जाते हैं इन तमाम परिस्थितियों से थका हारा पीता अब इच्छा मृत्यु की गुहार लगा रहा है खेत की जमीन तो पहले ही बिक गए अब बस एक मिट्टी का घर बचा है पिता का कहना है कि वह भी भेज देंगे तो बच्चों की रातें कहां कटेंगे





Conclusion:एक तरफ सरकार जहां दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चला रही हैं लेकिन न जाने क्यों इन योजनाओं का लाभ सुदूरवर्ती इलाकों में नहीं पहुंच पा रहा है वहीं दूसरी तरफ अभी तक इस परिवार से किसी भी अधिकारी ने मिलने की जरूरत नहीं समझी

बाइट- देव मुनि सिंह पिता
बाइट - मधु बेटी
बाईट - अनिता देवी पत्नी
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