पूर्णिया: कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों से मजदूर वापस बिहार आ गए. लेकिन प्रदेश में जब रोजगार नहीं मिला तो वो फिर से पलायन को मजबूर हो गए हैं. वहीं, इन मजदूरों को वापस काम पर लाने के लिए दूसरे राज्य से बड़े-बड़े किसानों ने बस भेजी है.
बता दें कि जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर अमौर प्रखंड के नितेंद्र पंचायत और मच्छटटा पंचायत के करीब ढाई दर्जन मजदूर हरियाणा के लिए पलायन कर गए. पेट की भूख ने इन मजदूरों को कोरोना के खतरे के बीच फिर से अपनों से दूर वापस दूसरे प्रदेशों में पलायन के लिए मजबूर किया है.
रोजगार नहीं मिलने के कारण पलायन को मजबूर
बताया जाता है कि लॉकडाउन में राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों को दुसरे प्रदेश से सही-सलामत घर तक तो वापस ले आई. घर आए मजदूरों ने तो दोबारा कभी दूसरे राज्य नहीं लौटने की कसमें खाई थी. लेकिन रोजगार के समुचित साधन मुहैया नहीं होने के कारण मजदूरों को मजबूरी में अपने और परिवार के पेट की भूख को शांत करने के लिए वापस दूसरे राज्यों में लौटना पड़ रहा है.
राज्य सरकार से शिकायत
हरियाणा वापस काम के लिए लौट रहे मजदूरों ने मायूस होते हुए कहा कि पलायन जैसे उनके लिए नियति बन गई हो. हरियाणा से बिहार वापस लौटते समय उन्हें लगा था कि इस बार सरकार ने हम मजदूरों के लिए पूरी तैयारी की होगी. घर लौटने पर कामों की कमी नहीं होगी. लेकिन मनरेगा की राह निहारते-निहारते सारा समय गुजर गया. मगर रोजगार का अवसर उसके हाथ नहीं लग सका. वहीं, काम न मिलने से हम सभी मजदूर काफी समय से परेशान थे. जिसके बाद हरियाणा से काम को लेकर कॉल आया. जिसके बाद हमने बगैर किसी देरी के अपनी हामी भर दी.
परिजनों की आंखों से छलके आंसू
हरियाणा जा रहे मजदूर अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि कोरोना वायरस के खतरे को जानते हुए भी उन्हें अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए मजबूरन हरियाणा जाना पड़ रहा है. जिले के कन्हरिया, लरहैया, सिमलबाडी के 30 मजदूर वापस हरियाणा के नालथा और पानीपत के लिए रवाना हो रहे हैं. वहां के बड़े किसान ने सरकार से परमिट लिया है और वापस पंजाब जाने के लिए बस भेजा है. कोरोना के खतरे के बीच वापस दूसरे राज्य जाने की वजह से इन मजदूरों के परिजनों के आंखों से आंसू छलक गए.
परमिशन लेकर आए बस ड्राइवर
हरियाणा से आए हुए ड्राइवर ने कहा कि वहां के किसान ने इन सभी लोगों का आधार कार्ड मंगवाया था. सरकार से परमिशन लेकर और लॉकडाउन के नियमों के तहत सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए, इन सभी को वापस वहां ले जाया जा रहा है. वहां ये लोग खेती समेत दूसरे अन्य काम करेंगे.