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Watch Video : पूर्णिया मेडिकल कॉलेज पानी-पानी, इमरजेंसी से लेकर ऑपरेशन थियेटर तक डूबा.. दूसरी जगह शिफ्ट हो रहे मरीज

पिछले 24 घंटे से लगातार पूर्णिया में बारिश हो रही है. वहीं पूरे शहर के साथ पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में जलजमाव हो चुका है.यहां पानी घुस जाने के कारण लाखों रुपये की वैक्सीन बर्बाद हो गई है. वहीं ओटी और लेबर रूम में एडमिट मरीज को भारी परेशानी हो रही है. साथ ही गंदे पानी से इंफेक्शन का डर सता रहा है.

पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में जलजमाव
पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में जलजमाव
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Published : Aug 8, 2023, 8:43 PM IST

पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में जलजमाव

पूर्णिया : बिहार के पूर्णिया में भारी बारिश के बाद हर जगह जलजमाव की स्थिति बन गई है. सबसे भयावह मंजर मेडिकल कॉलेज का है. पूर्णिया मेडिकल काॅलेज में जलजमाव की स्थिति ऐसी है कि लगभग दो से ढाई फीट पानी भर गया है. इलाज करवाने आए मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बरसात के पानी में कैंपस के अंदर बने नाले का पानी भी मिल गया है. इससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ गया है.

ये भी पढ़ें : Bihar News: इस दर्द को महसूस कीजिए.. घर में जमा था पानी.. बेड से नीचे गिरी 5 महीने की मासूम.. डूबने से मौत

इंफेक्शन का बढ़ा खतरा : अस्पताल प्रशासन कोशिश कर रही है कि मोटर से पानी को बाहर निकलने का प्रयास किया जा रहा है. पूर्णिया में हो रही लगातार बारिश ने मेडिकल कॉलेज के हाईटेक और अपग्रेड होने के दावों की पोल खोलकर रख दी है. 24 घंटे से लगातार हो रही जोरदार बारिश की वजह से लेबर वार्ड के ऑपरेशन थियेटर, सर्जरी रूम, महिला वार्ड और नर्स रूम में लबालब पानी भरा है. तेज बारिश के बाद ये वार्ड झील में तब्दील हो गए. इसके चलते कुछ मरीज घर वापस लौट गए तो, वहीं कुछ मरीजों को कहीं और शिफ्ट किया गया है.

गर्भवती व प्रसूताओं को हो रही परेशानी : इन महत्वपूर्ण वार्डों में पानी घुस जाने से गर्भवती महिलाओं को खासी परेशानी हो रही है. यहां भारी बारिश के बाद घुटने से ऊपर तक पानी भर गया है. बारिश के पानी में एंबुलेंस से लेकर ऑटो तक फंस गए. बारिश के कारण लेबर रूम के ऑपरेशन थियेटर और सर्जरी रूम में इंफेक्टेड बारिश का पानी प्रवेश कर गया है. इसके बाद बमुश्किल यहां से मरीजों को शिफ्ट कराया गया है.

चार जिलों के लाखों के टीके बर्बाद : यहां क्षेत्रीय टीका औषधि भंडार है. यहां से चार जिले अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार में टीकाकरण के लिए वैक्सीन जाती है. यहां जल जमाव हो गया है. इससे वैक्सीन भंडार का मशीन वगैरह शार्ट सर्किट से जल गया है. यहां नौ तरह की वैक्सीन है, जो वैक्सीन बचे हैं, उसे यहां से दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है. काफी वैक्सीन बर्बाद हो गए हैं. अब कितान वैक्सीन सुरक्षित है इस बारे में अभी नहीं कह सकते हैं.

"दूसरी जगह वैक्सीन को रखवाने की व्यवस्था की जा रही है. यहां बच्चों को लगाने वाली नौ तरह की वैक्सीन रखी जाती है. जितनी भी वैक्सीन हम बचा पाए हैं. उसे दूसरी जगह भिजवा रहे हैं." - सादिक अहमद, स्टोर कीपर वैक्सीन सेंटर

दूसरी जगह शिफ्ट हो रहे मरीज : इधर डिस्ट्रिक्ट इम्युनाइजेशन ऑफिसर डॉक्टर विनय मोहन ने बताया कि सुबह रीजनल वैक्सीन सेंटर में बारिश का पानी प्रवेश कर गया. इससे कमरे रखे 4 जिलों के लाखों के वैक्सीन नष्ट हो गए. वैक्सीन पानी में तैरते नजर आ रहे हैं. आरवीएस में रखा वैक्सीन बर्बाद हो गया है. एक वैक्सिन की कीमत 1500 रुपये आती है. वहीं जीएमसीएच के सुप्रीटेंडेंट वरुण कुमार ठाकुर ने कहा कि जीएमसीएच में निर्माणाधीन कार्य चलने के कारण इस तरह के हालात बने हैं. इमर्जेंसी में एडमिट होने वाली प्रसूता के लिए वैकल्पिक हल निकाला जा रहा है.

"परिसर से निकासी की कहीं व्यवस्था नहीं है. यहां से मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की कोशिश की जा रही है. नया जब कंस्ट्रक्शन हुआ तो पुराना वाला भाग नीचा हो गया और नया वाला भाग ऊंचा हो गया. इस कारण सबसे निचले भाग में पानी जमा हो जा रहा है और निकासी के लिए कोई नाला है नहीं. इसलिए मोटर लगा कर पानी निकाला जा रहा है. संभव होगा तो यहां से ओटी को भी दूसरी जगह शिफ्ट करने पर विचार किया जा रहा है." - वरुण कुमार ठाकुर, सुप्रीटेंडेंट, जीएमसीएच

पूर्णिया मेडिकल कॉलेज में जलजमाव

पूर्णिया : बिहार के पूर्णिया में भारी बारिश के बाद हर जगह जलजमाव की स्थिति बन गई है. सबसे भयावह मंजर मेडिकल कॉलेज का है. पूर्णिया मेडिकल काॅलेज में जलजमाव की स्थिति ऐसी है कि लगभग दो से ढाई फीट पानी भर गया है. इलाज करवाने आए मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बरसात के पानी में कैंपस के अंदर बने नाले का पानी भी मिल गया है. इससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ गया है.

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इंफेक्शन का बढ़ा खतरा : अस्पताल प्रशासन कोशिश कर रही है कि मोटर से पानी को बाहर निकलने का प्रयास किया जा रहा है. पूर्णिया में हो रही लगातार बारिश ने मेडिकल कॉलेज के हाईटेक और अपग्रेड होने के दावों की पोल खोलकर रख दी है. 24 घंटे से लगातार हो रही जोरदार बारिश की वजह से लेबर वार्ड के ऑपरेशन थियेटर, सर्जरी रूम, महिला वार्ड और नर्स रूम में लबालब पानी भरा है. तेज बारिश के बाद ये वार्ड झील में तब्दील हो गए. इसके चलते कुछ मरीज घर वापस लौट गए तो, वहीं कुछ मरीजों को कहीं और शिफ्ट किया गया है.

गर्भवती व प्रसूताओं को हो रही परेशानी : इन महत्वपूर्ण वार्डों में पानी घुस जाने से गर्भवती महिलाओं को खासी परेशानी हो रही है. यहां भारी बारिश के बाद घुटने से ऊपर तक पानी भर गया है. बारिश के पानी में एंबुलेंस से लेकर ऑटो तक फंस गए. बारिश के कारण लेबर रूम के ऑपरेशन थियेटर और सर्जरी रूम में इंफेक्टेड बारिश का पानी प्रवेश कर गया है. इसके बाद बमुश्किल यहां से मरीजों को शिफ्ट कराया गया है.

चार जिलों के लाखों के टीके बर्बाद : यहां क्षेत्रीय टीका औषधि भंडार है. यहां से चार जिले अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार में टीकाकरण के लिए वैक्सीन जाती है. यहां जल जमाव हो गया है. इससे वैक्सीन भंडार का मशीन वगैरह शार्ट सर्किट से जल गया है. यहां नौ तरह की वैक्सीन है, जो वैक्सीन बचे हैं, उसे यहां से दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है. काफी वैक्सीन बर्बाद हो गए हैं. अब कितान वैक्सीन सुरक्षित है इस बारे में अभी नहीं कह सकते हैं.

"दूसरी जगह वैक्सीन को रखवाने की व्यवस्था की जा रही है. यहां बच्चों को लगाने वाली नौ तरह की वैक्सीन रखी जाती है. जितनी भी वैक्सीन हम बचा पाए हैं. उसे दूसरी जगह भिजवा रहे हैं." - सादिक अहमद, स्टोर कीपर वैक्सीन सेंटर

दूसरी जगह शिफ्ट हो रहे मरीज : इधर डिस्ट्रिक्ट इम्युनाइजेशन ऑफिसर डॉक्टर विनय मोहन ने बताया कि सुबह रीजनल वैक्सीन सेंटर में बारिश का पानी प्रवेश कर गया. इससे कमरे रखे 4 जिलों के लाखों के वैक्सीन नष्ट हो गए. वैक्सीन पानी में तैरते नजर आ रहे हैं. आरवीएस में रखा वैक्सीन बर्बाद हो गया है. एक वैक्सिन की कीमत 1500 रुपये आती है. वहीं जीएमसीएच के सुप्रीटेंडेंट वरुण कुमार ठाकुर ने कहा कि जीएमसीएच में निर्माणाधीन कार्य चलने के कारण इस तरह के हालात बने हैं. इमर्जेंसी में एडमिट होने वाली प्रसूता के लिए वैकल्पिक हल निकाला जा रहा है.

"परिसर से निकासी की कहीं व्यवस्था नहीं है. यहां से मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की कोशिश की जा रही है. नया जब कंस्ट्रक्शन हुआ तो पुराना वाला भाग नीचा हो गया और नया वाला भाग ऊंचा हो गया. इस कारण सबसे निचले भाग में पानी जमा हो जा रहा है और निकासी के लिए कोई नाला है नहीं. इसलिए मोटर लगा कर पानी निकाला जा रहा है. संभव होगा तो यहां से ओटी को भी दूसरी जगह शिफ्ट करने पर विचार किया जा रहा है." - वरुण कुमार ठाकुर, सुप्रीटेंडेंट, जीएमसीएच

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