पूर्णिया: तीन नदियों से घिरे बायसी में जान जोखिम में डाल ग्रामीण परमान नदी की तेज धार पार करने को मजबूर हैं. महानंदा और परमान जैसी नदियों के बढ़ते जलस्तर के बावजूद टूटे सरकारी नाव की रिपेयरिंग न होने से चिरैया के हजारों की आबादी जान हथेली पर रखकर परमान की तेज धार पार कर रहे हैं. वहीं, इन सब के बीच प्रशासनिक अनदेखी के चलते बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता है.
आवागमन का एक मात्र सहारा नाव
दरअसल, चरैया पंचायत के भसया गांव से बायसी बाजार तक आने का एक मात्र साधन नाव है. लेकिन सरकारी नाव के खस्ताहाल स्थिति के कारण सैकडों की आबादी बगैर नाव के ही जान हथेली पर रख नदी पार करने को मजबूर हैं. वहीं, नदी पार करने के क्रम में गांव के कई बच्चे और महिलाएं अचानक आए तेज धार में बह गए. वहीं, अक्सर ही ग्रामीण नदी पार करते हुए सर्प दंश के शिकार हो जाते हैं.
खस्ताहाल नाव
स्थानीय लोगों ने कहा कि भसया गांव में सैकड़ों परिवारों का एक मात्र सहारा नाव है. हालांकि जिला प्रशासन की ओर से ग्रामीणों की गंभीर समस्या को देखते हुए भसया के ग्रामीणों को आने-जाने के लिए सरकारी नाव की व्यवस्था भी की गई. लेकिन बीते दो सालों से नाव के खस्ताहाल स्थिति के कारण भसया के हजारों की आबादी जान की बाजी लगाकर परमान नदी को पार करने को मजबूर हैं.
कई बार की जा चुकी है प्रशासन से शिकायत
भसया के ग्रामीण ने कहा कि इसे लेकर जिला प्रशासन को कई बार सूचित किया गया है. वहीं, आवेदन के माध्यम से नाव की रिपेयरिंग की अपील जिला प्रशासन से की गई है. लेकिन अब तक ग्रामीणों को आश्वासन की सेकीं रोटियों से ही काम चलाना पड़ रहा है.