पूर्णिया: रेलवे स्टेशन पर लॉकडाउन की मार झेल रहा समाज का एक ऐसा तबका है, जिसे रोज की कमाई पर रोटी नसीब होती थी. जी हां, पूर्णिया जंक्शन पर काम करने वाले सहायकों की जिंदगी की गाड़ी ऐसे ही चलती है, लेकिन लॉकडाउन के कारण ट्रेन की रफ्तार पर लगी रोक ने उनकी जिंदगी की दो जून की रोटी पर भी रोक लगा दी है.
लॉकडाउन ने किया बेरोजगार
स्टेशन पर सहायक का काम करने वाले मजदूर अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर दूसरों का सामान उठाकर करते हैं. कोरोना जैसी महामारी की वजह से किए गए लॉकडाउन ने जैसे ही ट्रेन की रफ्तार पर रोक लगाई उससे इनके रोजगार पर भी ग्रहण लग गया.
सहायकों के सामने भुखमरी की स्तिथि
रोज सुबह ट्रैन के समय पर स्टेशन पहुंच ये दूसरों का बोझ उठाने का काम करते थे, लेकिन एक महीने से लॉकडाउन की वजह से इनकी कमाई बंद हो गई है. अब दुकानदार वाले भी राशन देने से आनाकानी करते हैं. अब इनलोगों के सामने भुखमरी की स्तिथि उत्पन्न हो गई है. इस आपदा की घड़ी में इन तक न तो कोई समाज सेवक पहुंच रहे हैं और न ही सरकार की ओर से कोई भी राहत मिलती दिख रही है. ऐसी स्थिति में झुग्गी झोपड़ी में बसे सैंकड़ों सहायकों के सामने एक विकट समस्या आ खड़ी हुई है.