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खेलो इंडिया में पूर्णिया की बेटी शालिनी का हुआ चयन, ओलंपिक में साइकिल चला गोल्ड मेडल लाना है सपना

बिहार के पूर्णिया जिले की रहने वाली शालिनी का चयन खेलो इंडिया के लिए हुआ है. वो एक बेहतरीन साइक्लिस्ट हैं. अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने ये सफलता प्राप्त की है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 29, 2020, 9:25 PM IST

पूर्णिया से आकाश की रिपोर्ट
पूर्णिया से आकाश की रिपोर्ट

पूर्णिया: देशभर में 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया गया. ऐसे में उन खिलाड़ियों का जिक्र करना बेहद जरूरी हो जाता है, जो विपरीत परिस्थितियों में खुद को खरा साबित कर रहे हैं. बिहार के पूर्णिया में साइकिल चला राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुकी शालिनी सिंह उन्हीं खिलाड़ियों में से एक हैं.

शारदानगर स्थित एक सामान्य परिवार से आने वाली 13 वर्षीय शालिनी का चयन खेलो इंडिया एकेडमी के लिए हुआ है. खेलो इंडिया के लिए चयनित शालिनी 5 वर्षों तक रांची के खेल गांव में रहकर साइकिलिंग का प्रशिक्षण पूरा करेंगी. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि शालिनी की मेहनत और लगन उन्हें साइकिलिंग में नेशनल से लेकर ओलंपिक तक के स्वर्णिम सफर में ले जाएगा. साइकिलिंग में देश के लिए गोल्ड मेडल लेकर आना शालिनी का सपना है.

पूर्णिया से आकाश की रिपोर्ट

मिलेगी 10 हजार रुपये की स्कॉलरशिप
खेलो इंडिया में चयन के बाद शालिनी को 10 हजार रुपये की स्कॉलरशिप मिलेगी. शालिनी की इस कामयाबी से उनके परिजनों के साथ-साथ पड़ोसी भी बेहद खुश नजर आ रहे हैं. वहीं, जिला साइकिलिंग एसोसिएशन इसे अपना सौभाग्य मान रहा है. शालिनी के शानदार कामयाबी से उनकी बाकी 4 बहनों को भी काफी हौसला मिला है. शालिनी की बड़ी बहन तान्या भी हरियाणा में नेशनल एथेलेटिक्स तक का सफर तय कर चुकी हैं. आगे उनकी रणनीति बहन की तरह नेशनल एथेलेटिक्स में अपना परचम लहराने का होगा.

साइक्लिस्ट शालिनी की मेहनत लाई रंग
साइक्लिस्ट शालिनी की मेहनत लाई रंग

झुग्गी से खेलों इंडिया तक का सफर....
शालिनी कहती है कि वे शायद आज यहां तक नहीं पंहुच पाती. अगर, उन्हें साइकिलिंग एसोसिएशन का साथ नहीं मिलता. वो कहती हैं कि महज 6 महीने के कम वक्त में रात-दिन की मेहनत और लगन से अगर उन्हें यह कामयाबी हासिल हो सकी है. इसके असल हकदार डिस्ट्रिक्ट साइकिलिंग एसोसिएशन है, जिन्होंने उसकी मेहनत पर विश्वास जताया.

खुश हैं शालिनी
खुश हैं शालिनी

घर की स्थिति दयनीय
शालिनी के पिता दिनेश कुमार सिंह कहते हैं कि सालिनी को 6 माह पूर्व साइकिलिंग एसोसिएशन की ओर से प्रशिक्षण का ऑफर आया. इसके बाद वे सालिनी का सपना तो सच करना चाहते थे. लेकिन उनकी माली हालत ऐसी नहीं थी कि वे उन्हें उस तरह के अच्छी साइकिल दिला सकें. लिहाजा, खुद साइकिलिंग एसोसिएशन ने मदद को हाथ बढ़ाया. एसोसिएशन ने निशुल्क प्रशिक्षण दिया है. वहीं, मां शालिनी की सफलता पर बेहद खुश नजर आ रहीं हैं. उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़ते हैं.

रोजाना करती है प्रैक्टिस
रोजाना करती है प्रैक्टिस

पूर्णिया की प्राउड गर्ल शालिनी
शालिनी की शानदार कामयाबी को लेकर डिस्ट्रिक्ट साइकिलिंग एसोसिएशन फूला नहीं समा रहा. ट्रेनर कृष्णा ने बताया कि बिहार से सिर्फ दो लड़कियों का चयन हुआ है. उसने शालिनी एक हैं. ये पूर्णिया के लिए भी गर्व की बात है.

पूर्णिया: देशभर में 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया गया. ऐसे में उन खिलाड़ियों का जिक्र करना बेहद जरूरी हो जाता है, जो विपरीत परिस्थितियों में खुद को खरा साबित कर रहे हैं. बिहार के पूर्णिया में साइकिल चला राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुकी शालिनी सिंह उन्हीं खिलाड़ियों में से एक हैं.

शारदानगर स्थित एक सामान्य परिवार से आने वाली 13 वर्षीय शालिनी का चयन खेलो इंडिया एकेडमी के लिए हुआ है. खेलो इंडिया के लिए चयनित शालिनी 5 वर्षों तक रांची के खेल गांव में रहकर साइकिलिंग का प्रशिक्षण पूरा करेंगी. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि शालिनी की मेहनत और लगन उन्हें साइकिलिंग में नेशनल से लेकर ओलंपिक तक के स्वर्णिम सफर में ले जाएगा. साइकिलिंग में देश के लिए गोल्ड मेडल लेकर आना शालिनी का सपना है.

पूर्णिया से आकाश की रिपोर्ट

मिलेगी 10 हजार रुपये की स्कॉलरशिप
खेलो इंडिया में चयन के बाद शालिनी को 10 हजार रुपये की स्कॉलरशिप मिलेगी. शालिनी की इस कामयाबी से उनके परिजनों के साथ-साथ पड़ोसी भी बेहद खुश नजर आ रहे हैं. वहीं, जिला साइकिलिंग एसोसिएशन इसे अपना सौभाग्य मान रहा है. शालिनी के शानदार कामयाबी से उनकी बाकी 4 बहनों को भी काफी हौसला मिला है. शालिनी की बड़ी बहन तान्या भी हरियाणा में नेशनल एथेलेटिक्स तक का सफर तय कर चुकी हैं. आगे उनकी रणनीति बहन की तरह नेशनल एथेलेटिक्स में अपना परचम लहराने का होगा.

साइक्लिस्ट शालिनी की मेहनत लाई रंग
साइक्लिस्ट शालिनी की मेहनत लाई रंग

झुग्गी से खेलों इंडिया तक का सफर....
शालिनी कहती है कि वे शायद आज यहां तक नहीं पंहुच पाती. अगर, उन्हें साइकिलिंग एसोसिएशन का साथ नहीं मिलता. वो कहती हैं कि महज 6 महीने के कम वक्त में रात-दिन की मेहनत और लगन से अगर उन्हें यह कामयाबी हासिल हो सकी है. इसके असल हकदार डिस्ट्रिक्ट साइकिलिंग एसोसिएशन है, जिन्होंने उसकी मेहनत पर विश्वास जताया.

खुश हैं शालिनी
खुश हैं शालिनी

घर की स्थिति दयनीय
शालिनी के पिता दिनेश कुमार सिंह कहते हैं कि सालिनी को 6 माह पूर्व साइकिलिंग एसोसिएशन की ओर से प्रशिक्षण का ऑफर आया. इसके बाद वे सालिनी का सपना तो सच करना चाहते थे. लेकिन उनकी माली हालत ऐसी नहीं थी कि वे उन्हें उस तरह के अच्छी साइकिल दिला सकें. लिहाजा, खुद साइकिलिंग एसोसिएशन ने मदद को हाथ बढ़ाया. एसोसिएशन ने निशुल्क प्रशिक्षण दिया है. वहीं, मां शालिनी की सफलता पर बेहद खुश नजर आ रहीं हैं. उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़ते हैं.

रोजाना करती है प्रैक्टिस
रोजाना करती है प्रैक्टिस

पूर्णिया की प्राउड गर्ल शालिनी
शालिनी की शानदार कामयाबी को लेकर डिस्ट्रिक्ट साइकिलिंग एसोसिएशन फूला नहीं समा रहा. ट्रेनर कृष्णा ने बताया कि बिहार से सिर्फ दो लड़कियों का चयन हुआ है. उसने शालिनी एक हैं. ये पूर्णिया के लिए भी गर्व की बात है.

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