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राजस्थान में पलेगी पूर्णिया की 'परी', 14 साल बाद भरी मां की सुनी गोद

कोटा शहर में रहने वाली फकरिसा का कहना है कि जिस समाज में बेटियों को बेटों से कम आंका जाता है. बेटी पैदा होने पर सुनसान सड़कों पर फेंक दिया जाता है. ऐसे समाज को बदलने के लिए आगे बढ़कर अगर इस तरह के कदम उठाये जाएं, तो समाज की सोच बदल सकती है.

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Published : Dec 26, 2019, 2:07 PM IST

पूर्णियाः जिले में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाली विशिष्ठ दत्तक ग्रहण संस्थान की एक बेटी को राजस्थान के कोटा के एक परिवार ने गोद लिया है. कोटा की रहने वाली एक शिक्षिका ने उसे गोद लिया है, जिसे अपनाकर वो बहुत खुश है.

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बच्चे को गोद लेती कोटा की शिक्षक

बेटे के बजाए बेटी को लिया गोद
कोटा शहर में रहने वाली फकरिसा का कहना है कि जिस समाज में बेटियों को बेटों से कम आंका जाता है. बेटी पैदा होने पर सुनसान सड़कों पर फेंक दिया जाता है. ऐसे समाज को बदलने के लिए आगे बढ़कर अगर इस तरह के कदम उठाये जाएं, तो समाज की सोच बदल सकती है. यही वजह रही कि जब इन्हें मालूम हुआ कि बेटी गोद लेने के लिए इन्हें मीलों का फासला तय कर पूर्णिया आना होगा. इसके बावजूद फकरिसा और इनका परिवार बगैर किसी देरी के भट्टा बाजार स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान आ पहुंचा.

देखें पूरी रिपोर्ट

ये भी पढ़ेः NPR जैसे मुद्दे से सरकार लोगों को भटका रही है- मदन मोहन झा

जानिए क्या है दत्तक संस्थान
दरअसल, समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाली विशिष्ठ दत्तक ग्रहण संस्थान एक ऐसी संस्था है, जो 0 से 9 साल के लावारिश बच्चों का लालन-पालन करती है. यहां बच्चों की देखभाल से लेकर स्वास्थ्य, मनोरंजन और पढ़ाई से जुड़ी सुविधाओं के लिए आधे दर्जन से अधिक स्टाफ लगाए गए हैं.

पूर्णियाः जिले में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाली विशिष्ठ दत्तक ग्रहण संस्थान की एक बेटी को राजस्थान के कोटा के एक परिवार ने गोद लिया है. कोटा की रहने वाली एक शिक्षिका ने उसे गोद लिया है, जिसे अपनाकर वो बहुत खुश है.

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बच्चे को गोद लेती कोटा की शिक्षक

बेटे के बजाए बेटी को लिया गोद
कोटा शहर में रहने वाली फकरिसा का कहना है कि जिस समाज में बेटियों को बेटों से कम आंका जाता है. बेटी पैदा होने पर सुनसान सड़कों पर फेंक दिया जाता है. ऐसे समाज को बदलने के लिए आगे बढ़कर अगर इस तरह के कदम उठाये जाएं, तो समाज की सोच बदल सकती है. यही वजह रही कि जब इन्हें मालूम हुआ कि बेटी गोद लेने के लिए इन्हें मीलों का फासला तय कर पूर्णिया आना होगा. इसके बावजूद फकरिसा और इनका परिवार बगैर किसी देरी के भट्टा बाजार स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान आ पहुंचा.

देखें पूरी रिपोर्ट

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जानिए क्या है दत्तक संस्थान
दरअसल, समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाली विशिष्ठ दत्तक ग्रहण संस्थान एक ऐसी संस्था है, जो 0 से 9 साल के लावारिश बच्चों का लालन-पालन करती है. यहां बच्चों की देखभाल से लेकर स्वास्थ्य, मनोरंजन और पढ़ाई से जुड़ी सुविधाओं के लिए आधे दर्जन से अधिक स्टाफ लगाए गए हैं.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
special report .

बेटी पैदा लेने पर वे क्रूर मां-बाप जो एक साल की मासूम परी को सुनसान राहों पर छोड़ गए थे। बच्चे गोद देने वाली संस्था 'कारा' की कृपा से अब वह चंचल राजस्थानी परिवार में पलेगी। दरअसल बेटी की चाहत एक राजस्थानी परिवार को पूर्णिया खींच लाई। नन्हीं सी जान को गोद लेने के साथ ही आखिरकार 14 साल बाद एक मां की सुनी कोक खुशियों से भर गई।





Body:बेटी की चाहत में राजस्थान से पूर्णिया पहुंची मां....

वहीं नन्ही परी गोद लेने के बाद इस राजस्थानी मां के खुशियों का ठिकाना नहीं। मीलों का सफर तय कर कोटा से पूर्णिया पहुंचा ये परिवार फुला नहीं समा रहा। कोटा के एक सरकारी कॉलेज में बतौर लेक्चरर पढ़ाने वाली फकरिसा अंसारी बताती हैं कि वे और उनका परिवार इस पल का 14 साल से पलके बिछाए इंतेजार कर रहा था। इस दौरान फकरिसा और उनके परिवार ने कई जगहों पर बच्चे को गोद लेने के लिए अर्जी लगाई। मगर हर बार ही संतान से जुड़ी उनकी खुशियों पर जैसे ग्रहण लग गया।

बाईट 1- फकरिसा अंसारी

'कारा' ने भरी मां के सुनी गोद .....

फकरिसा बताती हैं कि शादी के एक साल बाद ही पति का देहांत हो गया। पति का साथ छूटने के साथ ही वह अकेली पड़ गयी। मगर जैसे-जैसे वक़्त बीता इस मां को संतान के सहारे की जरूरत महसूस होने लगी। जिसके बाद इस मां के जहन में बच्चा गोद लेने का ख्याल आया। परिवार और दोस्तों से मिले सुझाव के बाद ने बच्चे गोद देने वाली ऑनलाइन वेबसाइट 'कारा' पर आवेदन किया। इस तरह एक साल के भीतर ही कारा और विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान की मदद से की सुनी गोद भर सकी।

बाईट 2- परिजन , अचला अंसारी

तो इसलिए बेटे के बजाए बेटी को लिया गोद....


कोटा शहर में रहने वाली फकरिसा बताती हैं कि जिस समाज में बेटियों को बेटों से कम आंका जाता है। बेटी पैदा होने पर सुनसान सड़कों पर फेंक दिया जाता है। ऐसे समाज को बदलने के लिए आगे बढ़कर अगर इस तरह के कदम उठाये जाए, तो समाज की सोच बेशक बदलेगा। यही वजह रही कि जब इन्हें मालूम हुआ कि बेटी गोद लेने को इन्हें मीलों का फासला तय कर पूर्णिया आना होगा। बावजूद इसके फकरिसा व इनका परिवार बगैर किसी देरी के भट्टा बाजार स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान आ पहुंचा।


जानिए क्या है दत्तक संस्थान....

दरअसल समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाली विशिष्ठ दत्तक ग्रहण संस्थान एक एक ऐसी संस्था है। जो 0-9 साल के के लावारिश बच्चों का लालन -पालन करती है। यहां बच्चों की देखभाल से लेकर स्वास्थ्य, मनोरंजन व पढाई से जुड़ी सुविधाओं के लिए आधे दर्जन से अधिक स्टाफ लगाए गए हैं ।



बाईट 3- अधिकारी - सहायक निर्देशक ,बाल संरक्षण इकाई, अमरेश कुमार




Conclusion:
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