पूर्णियाः लॉकडाउन के दौरान लोगों के सामने राशन की बड़ी समस्या आ खड़ी हुई है. वहीं, देश की सेवा के लिए खुद को समर्पित रखने वाले पत्रकार भी इससे अछूते नहीं रहे हैं. लिहाजा पत्रकारों के परेशानी को समझते हुए जिले के पत्रकार संघ ने एक अनूठी पहल की शुरुआत की है. इसके तहत पत्रकार संघ जरूरतमंद पत्रकारों को 1 महीने की राशन सहित जरूरत के दर्जनों सामान मुहैया करा रहा है. वहीं, इस पहल के तहत जिले भर के तकरीबन 150 पत्रकार लाभान्वित होंगे.
सेहत के साथ सुरक्षा का ख्याल
इतना ही नहीं प्रेस क्लब की ओर से सेहत के साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा का भी ख्याल रखा जा रहा है. खाद्य सामग्री और घरेलू उपयोग की सामग्रियों के साथ ही प्रेस क्लब की ओर से पत्रकारों की सुरक्षा को देखते हुए एक हैंड सैनिटाइजर, 2 ग्लब्स व 6 मास्क 15 दिनों के लिए दिया जा रहा है. वहीं, लॉकडाउन बढ़ने की स्थिति में पत्रकार संघ इस सुविधा को आगे बढ़ाएगा.
पत्रकारों की मदद के लिए पत्रकार संघ आया सामने
पत्रकार संघ की ओर से आवंटित किए जा रहे राशन के सामानों में जहां सील्ड 25 किलो चावल, 10 kg आटा, 5 किलो दाल, 2.5 लीटर तेल, नमक, मसाले, साबुन, सर्फ जैसी घरेलू उपयोग की सामग्रियां एक महीने के लिए जरूरतमंद पत्रकारों को दी जा रही है. वहीं, इसे लेकर इससे लाभान्वित होने वाले पत्रकार काफी खुश दिखाई दे रहे हैं. जिले के सभी 14 प्रखण्डों से पत्रकार अपनी सुविधा के अनुसार पत्रकार संघ की ओर से दी जा रही राहत सामग्री लेने पंहुच रहे हैं. इसके तहत जिले भर के तकरीबन 150 पत्रकारों को यह राहत सामग्री वितरित की जाएगी.
150 जरूरतमंद पत्रकार हो रहे लाभान्वित
इस बाबत पत्रकार संघ के प्रेसिडेंट नंदकिशोर सिंह ने बताया कि देश की सेवा के लिए समर्पित रहने वाले पत्रकारों की भूमिका कोरोना महामारी के दौरान बेहद बढ़ गई है. पत्रकारों की व्यस्तता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है. तो वहीं ज्यादातर ऐसे पत्रकार हैं. जिन्हें मामूली रकम बतौर पारिश्रमिक दिया जाता है. लिहाजा व्यस्तता और आर्थिक चुनौतियों के आगे पत्रकारों के सामने भीषण समस्या पैदा हो गई है. लिहाजा पत्रकार संघ पत्रकारों की पीड़ा समझते हुए आपदा के इस घड़ी में एक महीने का राशन, घरेलू उपयोग की सामग्रियां और कोरोना वायरस से सुरक्षा की वस्तुएं बांट रहा है.
पत्राकारों के लिए बीमा की घोषणा करे सरकार
वहीं, इस बाबत प्रेस क्लब ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि जितना खतरा आपदा के इस घड़ी में डॉक्टर, पुलिस और सफाईकर्मी को है. इससे कहीं अधिक खतरा एक पत्रकार मोल लेता है. कोरोना के इन शूरवीरों को कोरोना वायरस से सुरक्षा के तमाम चीजें मुहैया कराई जाती हैं. मगर एक शूरवीर संसाधनों के आभाव में भी रोजाना खतरे मोल लेता है और मौत के मैदान में उतरता है. लिहाजा महज डॉक्टरों को ही नहीं बल्कि पत्रकारों के लिए भी सरकार बीमा की घोषणा करे.