ETV Bharat / state

पूर्णिया: लॉकडाउन में कई दिनों से नहीं जला चूल्हा, लोग बोले- 'कमाएंगे नहीं तो खाएंगे क्या'

सरकार गरीबों को राशन और उनके खाते में सहायता राशि देने की बात भी कह रही है. लेकिन जब ईटीवी भारत ने जमीनी स्तर पर तहकीकात की तो हकीकत दावों के इतर पाया गया.

author img

By

Published : Apr 4, 2020, 6:13 PM IST

Updated : Apr 4, 2020, 6:38 PM IST

लॉकडाउन का असर
लॉकडाउन का असर

पूर्णिया: कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी को फैलने से रोकने के लिए पूरे भारत में लॉकडाउन किया गया है. देशव्यापी लॉक डाउन के दौरान केवल जरूरी दुकान खोलने के आदेश जारी किए गए हैं. लॉकडाउन से उपजे हालात का सबसे ज्यादा असर वैसे लोगों पर हुआ है. जो प्रत्येक दिन कमा कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाते थे. हालांकि, सरकार और प्रशासन की ओर से बेसहारों के लिए कई सामुदायिक किचन और राहत कैंप चलाने के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन, जब ईटीवी भारत संवाददाता ने पूर्णिया में हालातों का का जायजा लिया तो तस्वीर सरकार के दावों से उलट निकली .

'कामाएंगें नही तो खाएंगे क्या'
लॉकडाउन के कारण बिहार में हर आम और खास अपने घरों में कैद हैं. संपन्न वर्ग के लोगों पर तो इसका ज्यादा असर नहीं हो रहा है. लेकिन, लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर हो रहा है. इसको लेकर लोगों ने ईटीवी भारत के माध्यम से गुहार लगाते हुए कहा कि हमलोगों के घरों का चुल्हा पिछले 3 दिनों से नहीं जला है. लॉकडाउन का एक-एक दिन हमलोगों पर भारी पड़ता जा रहा है.

दिहाड़ी मजदूर
दिहाड़ी मजदूर

रोज कमाने-खाने वाले परेशान
लोगों ने बताया कि हमलोग रोज कमाने खाने वाले लोग है. गर्मी हो चाहे सर्दी काम नहीं करने पर भोजन के बारे मे सोचना पड़ता है. कई समाजिक संस्था जब इलाके में आकर फूड बांटती है. तो दिन जैसे- तैसे कट जाता है. लेकिन जिस दिन कोई नहीं आता उसे दिन भोजन की राह देखते रह जाते हैं. वहीं, कई महिलाओं ने बताया कि हमलोग तो किसी तरह से भूखे पेट भी सो जाते हैं. लेकिन छोटे बच्चे के भोजन मांगने पर उनके आंख से आंसू के सिवा कुछ नहीं निकलता.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकारी दावों पर उठ रहे सवाल
गौरतलब है कि कोरोना वायरस से बचाव को लेकर देशभर में लॉक डाउन लागू कर दिया गया है. इस लॉक डाउन से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है. दिहाड़ी मजदूर और उनके परिवार का हाल बेहाल है. इनके लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकार ने अपनी ओर से आवश्यक कदम जरूर उठाये हैं. लेकिन सरकारी योजनाओं की तरह ही कई गांवों में सरकार की दी जा रही सहायता नहीं पहुंच पा रही है. लिहाजा, गरीबों के घरों का चुल्हा ठंडा पड़ा हुआ है. ऐसे में सरकार के उन दावों पर सवाल उठ रहे है. जिनमें सरकार गरीबों को राशन देने के साथ-साथ उनके खाते में सहायता राशि भेजने की बात कह रही है.

पूर्णिया: कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी को फैलने से रोकने के लिए पूरे भारत में लॉकडाउन किया गया है. देशव्यापी लॉक डाउन के दौरान केवल जरूरी दुकान खोलने के आदेश जारी किए गए हैं. लॉकडाउन से उपजे हालात का सबसे ज्यादा असर वैसे लोगों पर हुआ है. जो प्रत्येक दिन कमा कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाते थे. हालांकि, सरकार और प्रशासन की ओर से बेसहारों के लिए कई सामुदायिक किचन और राहत कैंप चलाने के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन, जब ईटीवी भारत संवाददाता ने पूर्णिया में हालातों का का जायजा लिया तो तस्वीर सरकार के दावों से उलट निकली .

'कामाएंगें नही तो खाएंगे क्या'
लॉकडाउन के कारण बिहार में हर आम और खास अपने घरों में कैद हैं. संपन्न वर्ग के लोगों पर तो इसका ज्यादा असर नहीं हो रहा है. लेकिन, लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर हो रहा है. इसको लेकर लोगों ने ईटीवी भारत के माध्यम से गुहार लगाते हुए कहा कि हमलोगों के घरों का चुल्हा पिछले 3 दिनों से नहीं जला है. लॉकडाउन का एक-एक दिन हमलोगों पर भारी पड़ता जा रहा है.

दिहाड़ी मजदूर
दिहाड़ी मजदूर

रोज कमाने-खाने वाले परेशान
लोगों ने बताया कि हमलोग रोज कमाने खाने वाले लोग है. गर्मी हो चाहे सर्दी काम नहीं करने पर भोजन के बारे मे सोचना पड़ता है. कई समाजिक संस्था जब इलाके में आकर फूड बांटती है. तो दिन जैसे- तैसे कट जाता है. लेकिन जिस दिन कोई नहीं आता उसे दिन भोजन की राह देखते रह जाते हैं. वहीं, कई महिलाओं ने बताया कि हमलोग तो किसी तरह से भूखे पेट भी सो जाते हैं. लेकिन छोटे बच्चे के भोजन मांगने पर उनके आंख से आंसू के सिवा कुछ नहीं निकलता.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकारी दावों पर उठ रहे सवाल
गौरतलब है कि कोरोना वायरस से बचाव को लेकर देशभर में लॉक डाउन लागू कर दिया गया है. इस लॉक डाउन से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है. दिहाड़ी मजदूर और उनके परिवार का हाल बेहाल है. इनके लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकार ने अपनी ओर से आवश्यक कदम जरूर उठाये हैं. लेकिन सरकारी योजनाओं की तरह ही कई गांवों में सरकार की दी जा रही सहायता नहीं पहुंच पा रही है. लिहाजा, गरीबों के घरों का चुल्हा ठंडा पड़ा हुआ है. ऐसे में सरकार के उन दावों पर सवाल उठ रहे है. जिनमें सरकार गरीबों को राशन देने के साथ-साथ उनके खाते में सहायता राशि भेजने की बात कह रही है.

Last Updated : Apr 4, 2020, 6:38 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.