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MOTHERS DAY पर ईटीवी भारत ने जाना वृद्धा आश्रम में रहने वाली 'मां' का दर्द, बोली- 'हमारे बच्चे रहें सलामत

वृद्धा आश्रम की संचालिका ममता सिंह ने बताती हैं कि बच्चे अपने मां के लिए खास होतें है. यहां पर रहने वाली मां हो चाहे कहीं और रहने वाली वे अपने बच्चे के बारे में गलत नहीं सोच सकती.

वृद्धा आश्रम पूर्णिया
वृद्धा आश्रम पूर्णिया
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Published : May 10, 2020, 5:20 PM IST

पूर्णिया: मां शब्द के उच्चारण में इतनी शक्ति छुपी हुई है कि 'मां' नाम हमारे होठों पर आते ही रोम-रोम झूम उठता है. दिल की धड़कन तेज हो जाती है. आंखें नम हो जाती हैं और हमारा आशियाना चिरागों से जगमगा उठता है. एक मशहूर कहावत भी है जिसके पास मां है वो दुनिया का सबसे अमीर आदमी है. 10 मई को मदर्स डे हैं. यह दिन मां को समर्पित है.

मां को समर्पित इस दिवस पर ईटीवी भारत की टीम पूर्णिया के वृद्धा आश्रम पहुंची. इस आश्रम में वैसी मां रहती हैं. जो अपनी खुशी के लिए वृद्ध मां की ममता को रौंदते हुए इन्हें आश्रम छोड़ कहीं और चले गए हैं.

'जहां भी रहे हमारे बच्चे स्वस्थ रहे'
इस खास दिन पर जब ईटीवी भारत संवाददाता ने पूर्णिया वृद्धा आश्रम में रह रही छाया देवी से बात की तो उन्होंने कहा कि हमें हमारे बच्चे जरूर भूल गए. लेकिन मैं उनको कभी नहीं भूल सकती. उनको हमने पैदा कर पाल कर बड़ा किया है. मैं उनका अहित कभी नहीं सोच सकती. छाया देवी ने बताया कि ईटीवी भारत की टीम ने हमें इस खास दिन के बारे में बताया इसलिए ईटीवी भारत का धन्यवाद.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'बच्चों के सुख-समृद्धि की कामना करती रहती है मां'
वहीं, वृद्धा आश्रम की संचालिका ममता सिंह ने बताया कि बच्चे अपने मां के लिए खास होतें है. यहां पर रहने वाली मां हो चाहे कहीं और मां कभी भी अपने बच्चे के बारे में गलत नहीं सोच सकती. ममता बताती हैं कि यहां पर हर बुधवार को उनकी टीम ऐसी मां से मिलने के लिए आते हैं. जिनको कानूनी मदद की जरूरत है. कानून के मुताबिक मां अपने बच्चों से भरण-पोषण राशि की मांग कर सकती है. लेकिन मां का दिल ऐसा होता है कि वे अपने बच्चे को कानूनी पचड़े में नहीं देखने चाहते हैं. यहां पर रहने वाली मां भी अपने बच्चों के सुख-समृद्धि के लिए हमेशा कामना करती रहती है.

वृद्धा आश्रम में रहने वाली
वृद्धा आश्रम में रहने वाली

हर दिन मां को समर्पित
गौरतलब है कि माताओं को किसी खास दिन नहीं बल्कि उनके सम्मान में हर दिन खास होता है. एक मशहूर कहावत है 'भगवान हर जगह नहीं पहुंच सकता, इसलिए उपरवाले ने दुनिया में मां को बनाया. ध्यान से देखने पर आपको हर मां में भगवान की ही तस्वीर नजर आएगी. हालांकि दुनिया में चंद ऐसे लोग भी हैं, जो मां को वो सम्मान नहीं देते जिसकी वो हकदार है. लेकिन जब वो हमसे बहुत दूर चली जाती है. तब रह-रह कर हमें उसकी कीमत का एहसास होता है. भले ही मां अपनी संतान के कुकर्मों से दुखी हो, पर कभी भी उनको बददुआ नहीं देती. मां अपने बच्चों पर हमेशा ही आशीर्वाद के फूल बरसाती रहती हैं.

पूर्णिया: मां शब्द के उच्चारण में इतनी शक्ति छुपी हुई है कि 'मां' नाम हमारे होठों पर आते ही रोम-रोम झूम उठता है. दिल की धड़कन तेज हो जाती है. आंखें नम हो जाती हैं और हमारा आशियाना चिरागों से जगमगा उठता है. एक मशहूर कहावत भी है जिसके पास मां है वो दुनिया का सबसे अमीर आदमी है. 10 मई को मदर्स डे हैं. यह दिन मां को समर्पित है.

मां को समर्पित इस दिवस पर ईटीवी भारत की टीम पूर्णिया के वृद्धा आश्रम पहुंची. इस आश्रम में वैसी मां रहती हैं. जो अपनी खुशी के लिए वृद्ध मां की ममता को रौंदते हुए इन्हें आश्रम छोड़ कहीं और चले गए हैं.

'जहां भी रहे हमारे बच्चे स्वस्थ रहे'
इस खास दिन पर जब ईटीवी भारत संवाददाता ने पूर्णिया वृद्धा आश्रम में रह रही छाया देवी से बात की तो उन्होंने कहा कि हमें हमारे बच्चे जरूर भूल गए. लेकिन मैं उनको कभी नहीं भूल सकती. उनको हमने पैदा कर पाल कर बड़ा किया है. मैं उनका अहित कभी नहीं सोच सकती. छाया देवी ने बताया कि ईटीवी भारत की टीम ने हमें इस खास दिन के बारे में बताया इसलिए ईटीवी भारत का धन्यवाद.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'बच्चों के सुख-समृद्धि की कामना करती रहती है मां'
वहीं, वृद्धा आश्रम की संचालिका ममता सिंह ने बताया कि बच्चे अपने मां के लिए खास होतें है. यहां पर रहने वाली मां हो चाहे कहीं और मां कभी भी अपने बच्चे के बारे में गलत नहीं सोच सकती. ममता बताती हैं कि यहां पर हर बुधवार को उनकी टीम ऐसी मां से मिलने के लिए आते हैं. जिनको कानूनी मदद की जरूरत है. कानून के मुताबिक मां अपने बच्चों से भरण-पोषण राशि की मांग कर सकती है. लेकिन मां का दिल ऐसा होता है कि वे अपने बच्चे को कानूनी पचड़े में नहीं देखने चाहते हैं. यहां पर रहने वाली मां भी अपने बच्चों के सुख-समृद्धि के लिए हमेशा कामना करती रहती है.

वृद्धा आश्रम में रहने वाली
वृद्धा आश्रम में रहने वाली

हर दिन मां को समर्पित
गौरतलब है कि माताओं को किसी खास दिन नहीं बल्कि उनके सम्मान में हर दिन खास होता है. एक मशहूर कहावत है 'भगवान हर जगह नहीं पहुंच सकता, इसलिए उपरवाले ने दुनिया में मां को बनाया. ध्यान से देखने पर आपको हर मां में भगवान की ही तस्वीर नजर आएगी. हालांकि दुनिया में चंद ऐसे लोग भी हैं, जो मां को वो सम्मान नहीं देते जिसकी वो हकदार है. लेकिन जब वो हमसे बहुत दूर चली जाती है. तब रह-रह कर हमें उसकी कीमत का एहसास होता है. भले ही मां अपनी संतान के कुकर्मों से दुखी हो, पर कभी भी उनको बददुआ नहीं देती. मां अपने बच्चों पर हमेशा ही आशीर्वाद के फूल बरसाती रहती हैं.

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