पूर्णिया: ऐसा ही कुछ हुआ बिहार के पूर्णिया (Purnea) में, जहां प्राइवेट नर्सिंग होम में एक नवजात को माता-पिता इसलिए छोड़कर चले गए क्योंकि उनके पास महंगे इलाज के लिए पैसे नहीं थे. हालाकि, इलाज के दौरान शिशु की मौत हो गई. प्राइवेट नर्सिंग होम प्रबंधन ने बताया कि माता-पिता उनके नर्सिंग होम में इलाज करवाने आए थे. उन्होंने भी मानवता के आधार पर बच्चे का इलाज किया. 7 दिनों तक उसकी हालत सीरियस रही और अंतत: बच्चा मर गया.
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महंगे इलाज ने 'ममता' को मार डाला
दरअसल, अररिया जिला के नरपतगंज प्रखंड निवासी प्रमोद यादव और उनकी पत्नी काजल अपने नवजात बच्चे को नाजुक हालत में लेकर नर्सिंग होम में इलाज के लिए भर्ती हुए. भर्ती के वक्त उन्होंने यही अपना नाम और पता दर्ज कराया था. बच्चे के इलाज के लिए 10 हजार रुपए की फीस जमा की. इस दौरान नर्सिंग होम ने 4 दिन के बच्चे को वेंटिलेटर पर रख दिया. एक दिन वेंटिलेटर पर रखने का चार्ज 10 से 15 हजार रुपए आता है. माता-पिता इस मोटी रकम को चुका पाने में सक्षम नहीं थे. महज 10 हजार रुपए जमा कराकर अस्पताल में बच्चे का इलाज शुरू करवाया. लेकिन बच्चे की बिगड़ती तबीयत देखकर उन्हें एहसास हो गया कि उनका बच्चा नहीं बचेगा. डॉक्टरों के द्वारा भी यही बताया गया था. इसलिए नवजात के माता-पिता बच्चे को अस्पताल के रहमो-करम पर छोड़कर चले गए.
'10 तारीख को बच्चे की मां और पिता सीरियस हालत में लेकर नर्सिंग होम आए. जो फोन नंबर और पता लिखाया उसपर हम लोग संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उनका फोन स्विचऑफ बता रहा है. हम लोग मानवता के लिहाज से बच्चे का इलाज कर रहे थे. बच्चे की डेथ 17 अक्टूबर की भोर में 3 बजे हुई'- सुभाष कुमार, मैनेजर, प्राइवेट नर्सिंग होम
बच्चे की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन लगातार बच्चे के माता-पिता से संपर्क करने की कोशिश करता रहा लेकिन उधर से फोन को स्विच ऑफ कर लिया गया. उन्हें लगा कि नर्सिंग होम फीस वसूलेगा. इस बात की जानकारी अस्पताल प्रबंधन ने स्थानीय पुलिस प्रशासन को दी. पुलिस ने बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा है. फिलहाल माता-पिता के इस रवैये से हर कोई हैरान है. नर्सिंग होम ने अपना फर्ज निभाया लेकिन आज-कल जिस तरीके से अस्पतालों में इलाज के नाम पर लूट मची है वो किसी से छिपी नहीं है. अगर बच्चे को हायर सेंटर में भर्ती कराकर जान बचाई जा सकती थी उसे वहां भर्ती कराया जाना चाहिए था.