पूर्णिया: जिले को लाखों का राजस्व देने वाला पूर्णिया अंतरराज्यीय बस स्टैंड वर्षों से अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. शहर के बीचों-बीच स्थित बस स्टैंड से रोजाना करीब 500 बसें सूबे समेत दूसरे प्रदेशों के लिए चलाई जाती हैं. रोजाना हजारों की आबादी बस सेवा के जरिए अपने गंतव्य स्थान के लिए रवाना होते हैं. इसके बावजूद इस बस स्टैंड में न ही पेयजल की कोई व्यवस्था है और न ही शौचालय तक की कोई सुविधा. यही वजह है कि कोसी-सीमांचल के लाखों की आबादी से जुड़ा इस लाइफलाइन में बुनियादी सुविधाओं के घोर अभाव के कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही है.
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बस स्टैंड है या मुसीबतों का लैंड
बस स्टैंड में पेयजल की व्यवस्था न होने के कारण जहां लोगों को पानी के बोतल खरीदने पड़ते हैं. वहीं शौचालय न होने से सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को उठानी पड़ती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि लाइटिंग की व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने से यहां शाम ढलते ही असमाजिक तत्वों का अड्डा बन जाता है. ये लोग आए दिन छिनतई जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं.
डीएम ने रखी थी बस स्टैंड के आधुनिकीकरण की बुनियाद
वहीं बस ओनर एसोसिएशन के उपसचिव वकील कुमार यादव ने बताया कि तत्कालीन जिलाधिकारी रामसेवक शर्मा के कार्यकाल में अंतरराज्यीय बस अड्डे का स्वरूप बदलकर इसे आधुनिक रूप दिया गया. बस अड्डे से बाहर निकलने और अंदर जाने के लिए तभी दो अलग-अलग गेट बनाए गए. यात्री सीट से लेकर कई अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की गई थी. हालांकि पैदल यात्रियों के लिए तब भी फुटपाथ नहीं बनाई गई और न ही कई कमियों को पूरा किया जा सका. आज आलम यह है कि पैदल यात्री धक्के खाकर बस स्टैंड के आगे सड़क से गुजरते हैं.
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बस स्टैंड बना बेबस स्टैंड
वहीं हल्की बारिश में ही बस स्टैंड की स्थिति नारकीय हो जाती है. 1985 में स्थापित इस बस स्टैंड से सीमांचल-कोसी समेत सूबे के सभी जिलों के लिए बस सेवाएं उपलब्ध हैं. लंबे सफर में सर्वाधिक बसें राजधानी पटना के बाद बंगाल, झारखंड, यूपी के लिए चलाई जाती हैं. नार्थ ईस्ट कॉरिडोर होने के कारण पूर्वोत्तर राज्यों के लिए भी करीब एक दर्जन बसें यहां से रोजाना खुलती हैं. वहीं पिछड़ा इलाका होने के कारण अक्सर ही लोगों यहां से दूसरे राज्यों के लिए जाते हैं.
इस कारण रुक गया बस स्टैंड का काम
स्थानीय लोगों के अनुसार, बस स्टैंड के पास रोजाना जाम की स्थिति बनी रहती है. जिसके चलते आरएन शॉ चौक से पॉलिटेक्निक तक भीषण जाम रहता है. वहीं नेपाल, बांग्लादेश और भूटान जैसे देशों से नजदीक होने के कारण इस बस स्टैंड की अपनी विशेष महत्ता है. इसके बावजूद वर्षों से बस स्टैंड की हालत बदहाल है. बता दें कि पूर्णिया अंतरराज्यीय बस स्टैंड को शहर से दूर मरंगा स्थित बकरी प्रजनन केंद्र में शिफ्ट किए जाने की योजना थी. लेकिन एनओसी नहीं मिलने के कारण चिन्हित स्थान पर फ्रोजन सीमेंट सेंटर का उद्घाटन कर दिया गया. इसके साथ ही यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई.
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जल्द होगा कायाकल्प
इस बाबत ईटीवी भारत से बातचीत में जिला परिषद अध्यक्ष कांति देवी ने कहा कि जल्द ही बस स्टैंड का कायाकल्प किया जाएगा. करीब 52 एकड़ जमीन में बस स्टैंड को आधुनिक तरीके से तैयार करने की योजना है. इसके कायाकल्प से जुड़े मास्टर प्लान तैयार कर लिए गए हैं. जल्द ही बैठक कर इस मसले को निबटाया जाएगा. अब देखना है कि इस बदहाल बस स्टैंड का कायाकल्प कब होगा.