पूर्णिया: जिले के किसानों के चेहरे अब रौशन होने वाले हैं. बहुत जल्द किसानों को महंगे डीजल से निजात मिलेगी. सिंचाई के लिए दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत अब जिले में सभी 7 प्रखंडों के 30 पंचायतों में खेतों तक बिजली के फीडर लगाएं जा रहे हैं.
पंपसेट के बजाए बिजली से होगा पटवन
योजना के अंतर्गत मिलने वाली बिजली से किसान पंपसेट के बजाए बिजली से ही पटवन कर सकेंगे. इससे उनके समय, मेहनत और लागत में भी कमी आएगी. सरकार किसानों को 75 पैसे प्रति यूनिट की दर से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करा रही है. लिहाजा वैसे किसान जिनके पास महंगे डीजल से सिंचाई के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था, अब बिजली पंपसेट से सिंचाई कर बड़े ही मामूली लागत में बड़ा मुनाफा कमा सकेंगे.
योजना से किफायती हुई सिंचाई
किसानों का कहना है शुरुआती दौर में ही इस योजना से काफी फायदा मिल रहा है. योजना का लाभ उठा रहे किसान बताते हैं कि पंपसेट से पटवन के मुकाबले बिजली से पटवन बेहद किफायती है. पंपसेट से पटवन पर घण्टे के हिसाब से 100 रुपये तक का बोझ आता है, बिजली से पटवन पर घंटे के हिसाब से महज 75 पैसे यूनिट आएगा. इस वक्त 1 बीघा खेत के पटवन में 4-5 घंटे लग जाते हैं, इस कारण मशीन पटवन का बोझ किसानों पर 500 रुपये तक चला जाता है. यही पटवन बिजली से करने पर 4-5 घण्टें में यह खर्च 75 पैसे ×5 यानी 4 रुपये ही आता है.
2 लाख किसानों को फायदा
बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता के मुताबिक दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना के तहत जिले भर के तकरीबन 2 लाख किसानों के खेतों तक महज 75 पैसे यूनिट की दर से बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. सरकार के इस बिग प्रोजेक्ट को बिहार के किसानों के खेतों तक उतारने का जिम्मा नार्थ और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन लिमिटेड के कंधे है.
2 महीने के अंदर देना है योजना का लाभ
जिले को पहले फेज के तहत 215 करोड़ की लागत राशि स्वीकृत है. इसके तहत जिले के सभी 14 प्रखंडों के 246 पंचायतों के 1126 गांवों में 2 महीने के अंदर 2 लाख अन्नदाताओं को इस योजना का लाभ दिया जाना है. वहीं इन किसानों के खेतों तक निर्बाध बिजली आपूर्ति में कुल 1900 डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मरों को भी लगाया जा रहा है.
ऑनलाइन मोड के तहत आवेदन
विभाग की ओर से खेतों में बिजली कनेक्शन लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरह के आवेदन की सुविधा दी जा रही है. ऑनलाइन आवेदन के लिए नार्थ बिहार रीजन के किसानों को www.nbpdcl.co.in पर जाकर आवेदन करना होगा. तो वहीं साउथ बिहार के किसानों को www.sbpdcl.co.in पर आवेदन करना होगा.
ऑफलाइन मोड के तहत आवेदन
ऑफलाइन मोड के तहत हर बुधवार और शनिवार को सभी जिलों के सभी प्रखंड स्थित ब्लॉक में विशेष शिविर लगाया जा रहा है. यहां बगैर किसी शुल्क के किसान आवेदन कर सकेंगे. आवेदन के वक्त किसानों को एक पहचान पत्र जिसमें आवास प्रमाण पत्र अंकित हो, साथ ही जमीन से जुड़े कागजात की प्रतिलिपि साथ ले जाना आवश्यक है.
विभाग का काम शुरू
आवेदन प्रक्रियाएं पूरी होते ही खेतों में बोरिंग के पास विधुत संरचना मौजूद होने पर 7 दिनों के भीतर विधुत कनेक्शन लगाए जाएंगे. विधुत संरचना न होने की स्थिति में संरचना का निर्माण कराकर विधुत कनेक्शन लगाएंगे. साथ ही विधुत कंक्शन के लिए जरूरी मीटर, खंभे और बिजली के तार का खर्च बिजली विभाग बगैर किसी शुल्क के खेतों तक पहुंचाएगा.
किसानों की हिस्सेदारी
वहीं सिंचाई के लिए लगने वाले पोल से नलकूप तक का तार, मीटर लगाने वाले बोर्ड, एमसीबी और अन्य छोटे मोटे उपकरण का खर्च किसानों को खुद उठाना होगा. कनेक्शन लगाए जाने के समय सिंगल फेज के लिए आवेदन शुल्क 75 रुपये तो वहीं थ्री फेज लेने के लिए 200 रुपये भुगतान करने होंगे. इसके साथ इंस्टालेशन चार्ज और सिक्योरिटी अमाउंट सिंगल फेज के लिए कुल 800 रुपए और थ्री फेज के लिए 1300 रुपये देने होंगे. इसके अलावा विभाग सिंगल फेज और थ्री फेज के मोटर पर तय कीमत से 50 फीसदी सब्सिडी भी किसानों को दे रहा है.
क्या है दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और गैर-कृषि उपभोक्ताओं को विवेकपूर्ण तरीके से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरु की गई. पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने इसकी परिकल्पना की थी और 12-13 पंचवर्षीय योजना के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने 20 नवंबर 2014 को इसे अमलीजामा पहनाया था. राजीव गांधी ग्रामीण विधुतीकरण योजना का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के नाम से नई योजना की शुरुआत की गई.
केंद्र की योजना को बिहार में सीएम नीतीश का साथ
दिसंबर 2016 में इस योजना से नए आयाम जुड़े. सीएम नीतीश कुमार की पहल पर बिहार के किसानों के लिए ग्राम ज्योति योजना की इकाई के तहत राज्य में कृषि हेतु विधुत संबंध योजना को एक नए आकार और प्रकार देकर किसानों के खेतों तक उतारा जा रहा है. इसके तहत केंद्र सरकार ही योजना के 60 फीसदी अनुदान का खर्च उठाएगी. वहीं राज्य सरकार को इस योजना पर अपने बटुए से 40 फीसदी अनुदान देना होगा.
योजना के मुख्य उद्देश्य
- ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के लिए बिजली की व्यवस्था करना
- कृषि और गैर कृषि कामों के लिए अलग से फीडर लगाना
- बिजली सप्लाई से जुड़ी मशीनों का मेंटनेंस करना
- अन्य विद्युतीकरण परियोजनाओं को पूरा करने में सहायता देना
योजना की मुख्य विशेषताएं
- आरजीजीवीवाई का डीडीयूजीजेवाई में बदलाव
- सभी डिस्कॉम योजना को मिलेगी वित्तीय सहायता
- योजना की सफलता के लिए REC को नोडल एजेंसी बनाय गया
- दिसंबर 2016 में इस योजना से नए आयाम जुड़े.
- केंद्र की योजना को बिहार में सीएम नीतीश का साथ
- केंद्र और राज्य ने की 'कृषि हेतु विधुत संबंध योजना' की शुरुआत
- केंद्र सरकार 60 फीसदी अनुदान किसानों को देगी.
- राज्य सरकार 40 फीसदी अनुदान किसानों को देगी.
योजना का लाभ
- सभी गांवों और घरों का विद्युतीकरण किया जाएगा
- कृषि उपज में वृद्धि
- छोटे और घरेलू उद्यमों के विकास के परिणामस्वरूप रोजगार के नए अवसर
- स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग (एटीएम) सेवाओं में सुधार
- रेडियो, टेलीफोन, टेलीविजन, इंटरनेट और मोबाइल के पहुंच में सुधार
- बिजली की उपलब्धता के कारण सामाजिक सुरक्षा में सुधार
- स्कूलों, पंचायतों, अस्पतालों और पुलिस स्टेशनों में बिजली की पहुंच
- ग्रामीण क्षेत्रों को व्यापक विकास के बढ़े अवसरों की प्राप्ति होगी.