पूर्णिया: युवा आईएएस राहुल कुमार ने रविवार को पूर्णिया के नए डीएम का कार्यभार संभाला. इससे पहले वे बेगूसराय के डीएम रहे हैं. प्रो एक्टिव राहुल कुमार की कार्यशैली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि सोमवार की सुबह का इंतजार किए बगैर वो रविवार रात ही बतौर जिलाधिकारी योगदान देने पहुंच गए. ईटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में डीएम ने कहा कि सभी चीजों को बारीकियों से समझने के बाद, अपनी प्राथमिकताएं तय करूंगा कि किस तरह विकास कार्यों को गति दी जाए.
नए डीएम ने संभाला कार्यभार
दरअसल आईएएस अधिकारी राहुल कुमार बेगूसराय के नए डीएम को जिले का कार्यभार सौंपते ही पूर्णिया के लिए रवाना हो गए. रविवार देर रात जिला समाहरणालय स्थित डीएम दफ्तर में निवर्तमान डीएम प्रदीप कुमार झा ने जिले के नए डीएम राहुल कुमार को कार्यभार सौंपा.
पूर्व डीएम को नए मुकाम के लिए दी बधाई
वहीं, इससे पहले जहां अधिकारी जिले के नए डीएम राहुल कुमार से मुलाकात को लेकर उत्सुक दिखे. वहीं, अपने नए डीएम के स्वागत में सभी विभागीय अधिकारी और कर्मचारी रविवार की छुट्टी होने के बावजूद डीएम दफ्तर में उपस्थित रहे. नए डीएम का स्वागत किए जाने के साथ ही पीएचईडी विभाग के विशेष सचिव बनाए जाने पर निवर्तमान डीएम प्रदीप कुमार झा को उपस्थित अधिकारियों ने बुके देकर बधाई दी.
स्थानांतरण के बाद डीएम राहुल कुमार का पहला इंटरव्यू
बेगूसराय से स्थानांतरण के ठीक बाद पहला इंटरव्यू देते हुए जिले के नए डीएम राहुल कुमार ने कहा कि आज कार्यभार संभालने के बाद जिले की जटिलताओं को देखते हुए यहां की बारीकियों को समझूंगा. इसके बाद प्राथमिकताएं तय की जाएंगी कि जिले के विकास कार्यों में कैसे तेजी लायी जाए.
भावुक हुए निवर्तमान डीएम
इस दौरान ईटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में निवर्तमान डीएम प्रदीप कुमार झा ने कहा कि पूर्णिया से मुझे हमेशा प्यार मिला है. जिले के लोगों के मेरे ऊपर विश्वास और उनका अपार समर्थन रहा. लिहाजा जितना प्यार मैंने जिले को दिया, उतना ही प्यार मुझे जिले के 40 लाख लोगों से मिला. इस दौरान जिले के निवर्तमान डीएम प्रदीप कुमार झा के चेहरे पर जिले से दूर होने का गम साफ तौर पर दिखा.
जानें कौन हैं आईएएस प्रदीप कुमार झा
- हालिया में बिहार में हुए बड़े प्रशासनिक फेरबदल के बाद पूर्णिया के निवर्तमान डीएम प्रदीप कुमार झा पीएचईडी विभाग के विशेष सचिव बनाए गए हैं.
- आईएएस प्रदीप कुमार झा भारतीय प्रशासनिक सेवा के मणिपुर कैडर के 2006 बैच के अधिकारी हैं.
- इनका पैतृक गृह झंझारपुर है. इनके पिता जहां मधुबनी के ग्रामीण बैंक के मैनेजर हैं, तो वहीं मां शिक्षिका व पत्नी पटना में डॉक्टर हैं.
जानें कौन हैं आईएएस राहुल कुमार
- युवा डीएम राहुल कुमार बिहार के पूर्वी चंपारण के रहने वाले हैं. उनके पिता पेशे से एक शिक्षक हैं.
- राहुल को बचपन से ही आईएएस बनने का शौक था. लिहाजा कड़ी मेहनत से 2010 में उन्होंने बतौर आईपीएस कार्यभार ग्रहण किया. ठीक एक साल बाद ही सिविल सर्विसेज की तैयारी में उन्हें कामयाबी मिली और 2011 में वे आईएएस बने.
- इनकी पहली पोस्टिंग पटना के दानापुर में बतौर एसडीएम हुई. इसके बाद वे हेल्थ डिपार्टमेंट में प्रोजेक्ट डायरेक्टर और बिहार हेल्थ सोसाइटी के एडिशनल डायरेक्टर के पद पर रहे.
- बतौर डीएम इनकी पहली पोस्टिंग गोपालगंज में हुई. इसी दौरान वे नेशनल और इंटरनेशनल मीडिया के चर्चा में आए. एक विधवा के हाथों मिड डे मील का खाना न खाए जाने का मिथ्य तोड़ने वे गोपालगंज के एक स्कूल में चले गए. विधवा महिला के हाथों खाना बनवाया. फर्श पर बैठकर बड़े ही चाव से मिड डे मील सेविका का खाना खाया. जिसके बाद अशुभ होने के भ्रांति से विधवा महिला का विरोध करने वाले ग्रामीणों का मिथ्य टूटा.
- गोपालगंज के डीएम रहते हुए ही राहुल कुमार ने जिले को खुले में शौच से मुक्त करने के अभियान को जन आंदोलन में बदल डाला. जिसकी वजह से लोग इन्हें 'सैनिटेशन हीरो' पुकारने लगे. इस बार वे चर्चा में तब आए जब वे विधानसभा चुनावों के दौरान कतार में खड़े होकर वोटिंग करने पहुंचे.
- एक बार फिर वे चर्चा में तब बने जब इन्हें नीति आयोग की ओर से बेगूसराय के समावेशी विकास के लिए 'चैंपियन ऑफ चेंज' अवार्ड से सम्मानित किया गया.
- वहीं, आईएएस राहुल कुमार प्रो एक्टिव डिसीजन और एक्शन लेने वाले डीएम हैं. गाड़ी छोड़ पैदल सड़क पर निकल जाने, विभागों के औचक निरीक्षण पर निकल जाने, भ्रष्टाचारियों पर बिजली बन कर गिरने के लिए राहुल कुमार लोगों के बीच मशहूर हैं.
- इनकी लोकप्रियता का एक अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया पर इन्हें 20 हजार लोग फॉलो करते हैं. फेसबुक और ट्वीटर पर भी राहुल कुमार की फैन फॉलोइंग हजारों में है.