पूर्णिया: हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की 115वीं जयंती के अवसर पर उन्हें पर याद किए गया है. शनिवार को डीएसए ग्राउंड में डीएसए के सदस्यों व खिलाड़ियों ने मेजर ध्यानचंद को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की गई है, साथ ही दो मिनट का मौन भी रखा गया. इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न दिये जाने की भी मांग उठाई है.
याद किए गए हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद
बता दें कि समारोह की शुरुआत मेजर ध्यानचंद की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पण करने से हुई, जहां डीएसए के मौजूद सदस्यों समेत सभी खिलाड़ियों ने बारी-बारी से उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पण कर हॉकी के जादूगर को श्रद्धांजलि दी, हालांकि इस बार समारोह पर कोरोना का असर साफ दिखाई दिया है. हर वर्ष की तरह इस दिन किए जाने वाले सभी आयोजन स्थगित कर दिए गये थे.
तानाशाह हिटलर था मेजर के खेल का कायल
डीएसए अध्यक्ष गौतम सिन्हा ने बताया कि मेजर ध्यानचंद ने 1928, 1932 और 1936 में भारत को हॉकी में स्वर्ण पदक दिलाया था. उन्होंने बताया कि उनके खेल से हिटलर इतना प्रभावित हुआ था कि उन्हें जर्मनी की तरफ से खेलने का ऑफर तक दे दिया था, लेकिन देश भक्ति के चलते ध्यानचंद ने हिटलर के ऑफर को ठुकरा दिया. इस दौरान उन्होंने ध्यानचंद के जीवन से जुड़े कई अहम संस्करण भी सुनाएं.
मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने कि उठी मांग
वहीं डीएसए कोषाध्यक्ष एमएच रहमान ने कहा कि मेजर ध्यानचंद ने अपने हॉकी करियर में विभिन्न देशों के खिलाफ 400 गोल दागे है, जो एक ऐसा विश्व रिकॉर्ड है, जिसे आजतक विश्व का कोई और खिलाड़ी नही तोड़ सका है और ना ही कोई तोड़ सकेगा, लिहाजा मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न मिलना ही चाहिए.