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Purnea News: कोराेना काल में जॉब छोड़कर शुरू किया हैंडलूम स्टार्टअप, दुबई से पेरिस तक 'हाउस आफ मैथिली' की डिमांड

Handloom Startup In Purnea पूर्णिया के दो दोस्तों ने कोरोना काल के दौरान नौकरी छोड़कर स्टार्टअप खोलने की सोची, लेकिन इसमें कई मुश्किले दिखी, बावजूद इसके दोनों ने हाउस ऑफ मैथिली के नाम से हैंडलूम का स्टार्टअप खोला. करीब दो साल में ही इस स्टार्टअप को ग्लोबल पहचान मिलने लगी है. दुबई से लेकर पेरिस तक से अब यहां ऑर्डर आने लगे हैं.

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Published : Jan 26, 2023, 11:12 PM IST

पूर्णिया में स्टार्टअप
पूर्णिया में स्टार्टअप
पूर्णिया के हैंडलूम स्टार्टअप को मिली ग्लोबल पहचान

पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया में कोरोना काल में दो दोस्तों की पहल से शुरू किए गए हैंडलूम स्टार्टअप को अब ग्लोबल पहचान मिल रही (Handloom Startup Got Global Recognition) है. एमटीवी और स्टार वर्ल्ड जैसे टीवी चैनलों की फैशन एडवाइजर की डिमांडिंग जॉब छोड़कर मनीष ने जिस हैंडलूम फैशन की बुनियाद रखी थी, उसकी धमक पूर्णिया से निकलकर अब न सिर्फ भारत में बल्कि दुबई और फैशन की नगरी पेरिस तक पहुंच चुकी है. मनीष और सुभाशीष ने हैंडलूम फैशन से जुड़े सूबे के जिस पहले फैशन ई-कामर्स कंपनी की नीव रखी थी, वह अब फैशन के क्षेत्र में बिहार को नई दिशा दे रहा है. भारत सरकार का टेक्स्टाइल मिनिस्ट्री भी दोनों दोस्तों के प्रयास और समर्पण के साथ है.

ये भी पढ़ें- रॉल मॉडल बना चनपटिया स्टार्टअप जोन, जिलों के उद्योग महाप्रबंधक कर रहे हैं अध्ययन

ऐसे बना हाउस ऑफ मैथिली: ईटीवी भारत से अपने संघर्षों को साझा करते हुए मनीष बताते हैं कि कोरोना काल में जब उन्होंने इसकी शुरुआत की थी. इसे 'हाउस आफ मैथिली' का नाम दिया. वे बिहार की मिथिला पेंटिंग को मॉडर्न फैशन जगत में ग्लोबल मुकाम देना चाहते थे. लिहाजा शहर के बक्सा घाट से मित्र मनीष की मदद से हैंडलूम स्टार्टअप की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि एमटीवी और स्टार वर्ल्ड टीवी चैनलों में फैशन सलाहकार का तजुर्बा, अथक मेहनत और सतत प्रयास काम आया.

"हमने कई बॉलीवुड और टीवी हस्तियों का लुक डिजाइन किया है. अपने काम के दौरान कई बार भारत के विभिन्न हिस्सों में बुनकरों से मिलने और उनके साथ मिलकर काम करने का मौका मिला. उनका तजुर्बा यहां काम आया. हमारे उत्पाद की गुणवत्ता को देखते हुए दुबई के लोगों ने इंटरनेट से सर्च कर हाउस ऑफ मैथिली का नंबर निकाल कर हमसे संपर्क किया और 300 गुडी बैग यानी हैंडबैग का आर्डर दिया है."- मनीष, उद्यमी

"आर्गेनिक और सस्टेनेबल फैशन का कोई विकल्प नहीं है. हाथ से बने खूबसूरत ज्वैलरी, हाथ से बनी मोजरी, शुद्ध हाथ से बुने हुए कपड़े के साथ-साथ खूबसूरत साड़ियां स्थानीय महिलाएं तैयार करती हैं. अब तक 200 से अधिक महिलाओं ने नामांकन कराया है. बहुत सारे ऐसे कारीगर हैं, जिनको बाजार नहीं मिल पाता या संसाधनों के अभाव में वो कारीगर अपने उत्पाद को सही जगह नहीं पहुंचा पाते हैं. वैसे कारीगरों के लिए हाउस आफ मैथिली एक बेहतरीन विकल्प है, जहां से वे अपने उत्पाद ग्लोबल मार्केट तक पहुंचा सकते हैं."- शुभाशीष सिंह, हाउस ऑफ मैथिली

"देश के विभिन्न राज्यों की पारंपरिक साड़ियां एक ही छत के नीचे उपलब्ध होगी. इसे लेकर हाउस ऑफ मैथिली व्यापक स्तर पर काम कर रहा है. पेरिस में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों ने भी उनके उत्पाद के ऑर्डर दिए हैं. राज्य के प्रतिष्ठित मैत्रेय कॉलेज ऑफ एजुकेशन एंड मैनेजमेंट की तरफ से उनके सभी स्टूडेंट्स के लिए यूनिफार्म बनाने का भी आर्डर मिला है."- मोनिका टोप्पो, सीनियर डिजाइनर, हाउस ऑफ मैथिली

मॉडल निखारने के लिए कराया फोटोग्राफ: हाउस आफ मैथिली के सीनियर डिजाइनर मोनिका ने बताया कि हाउस ऑफ मैथिली हस्तनिर्मित प्रोडक्ट को निखारने के लिए हाल में ही पूर्णिया के मॉडल और फोटोग्राफरों के द्वारा कैलेंडर शूट कराया है. ये कैलेंडर पूर्णिया के स्थापना दिवस समारोह पर 14 फरवरी को लॉन्च की जाएगी. साथी ही इस तरह के 500 कैलेंडर तैयार किए जाएंगे.

"हाउस ऑफ मैथिली के माध्यम से न सिर्फ हमें बल्कि हम जैसी 15 महिलाओं को रोजगार मिला है. बल्कि मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल की तरफ से ट्रेनिंग पाकर वे एक कुशल कारीगर बन चुकी हैं. मैं आत्मनिर्भर होकर काम कर रही हैं, इसकी हमें खुशी है."- महिला कारीगर

पूर्णिया के हैंडलूम स्टार्टअप को मिली ग्लोबल पहचान

पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया में कोरोना काल में दो दोस्तों की पहल से शुरू किए गए हैंडलूम स्टार्टअप को अब ग्लोबल पहचान मिल रही (Handloom Startup Got Global Recognition) है. एमटीवी और स्टार वर्ल्ड जैसे टीवी चैनलों की फैशन एडवाइजर की डिमांडिंग जॉब छोड़कर मनीष ने जिस हैंडलूम फैशन की बुनियाद रखी थी, उसकी धमक पूर्णिया से निकलकर अब न सिर्फ भारत में बल्कि दुबई और फैशन की नगरी पेरिस तक पहुंच चुकी है. मनीष और सुभाशीष ने हैंडलूम फैशन से जुड़े सूबे के जिस पहले फैशन ई-कामर्स कंपनी की नीव रखी थी, वह अब फैशन के क्षेत्र में बिहार को नई दिशा दे रहा है. भारत सरकार का टेक्स्टाइल मिनिस्ट्री भी दोनों दोस्तों के प्रयास और समर्पण के साथ है.

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ऐसे बना हाउस ऑफ मैथिली: ईटीवी भारत से अपने संघर्षों को साझा करते हुए मनीष बताते हैं कि कोरोना काल में जब उन्होंने इसकी शुरुआत की थी. इसे 'हाउस आफ मैथिली' का नाम दिया. वे बिहार की मिथिला पेंटिंग को मॉडर्न फैशन जगत में ग्लोबल मुकाम देना चाहते थे. लिहाजा शहर के बक्सा घाट से मित्र मनीष की मदद से हैंडलूम स्टार्टअप की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि एमटीवी और स्टार वर्ल्ड टीवी चैनलों में फैशन सलाहकार का तजुर्बा, अथक मेहनत और सतत प्रयास काम आया.

"हमने कई बॉलीवुड और टीवी हस्तियों का लुक डिजाइन किया है. अपने काम के दौरान कई बार भारत के विभिन्न हिस्सों में बुनकरों से मिलने और उनके साथ मिलकर काम करने का मौका मिला. उनका तजुर्बा यहां काम आया. हमारे उत्पाद की गुणवत्ता को देखते हुए दुबई के लोगों ने इंटरनेट से सर्च कर हाउस ऑफ मैथिली का नंबर निकाल कर हमसे संपर्क किया और 300 गुडी बैग यानी हैंडबैग का आर्डर दिया है."- मनीष, उद्यमी

"आर्गेनिक और सस्टेनेबल फैशन का कोई विकल्प नहीं है. हाथ से बने खूबसूरत ज्वैलरी, हाथ से बनी मोजरी, शुद्ध हाथ से बुने हुए कपड़े के साथ-साथ खूबसूरत साड़ियां स्थानीय महिलाएं तैयार करती हैं. अब तक 200 से अधिक महिलाओं ने नामांकन कराया है. बहुत सारे ऐसे कारीगर हैं, जिनको बाजार नहीं मिल पाता या संसाधनों के अभाव में वो कारीगर अपने उत्पाद को सही जगह नहीं पहुंचा पाते हैं. वैसे कारीगरों के लिए हाउस आफ मैथिली एक बेहतरीन विकल्प है, जहां से वे अपने उत्पाद ग्लोबल मार्केट तक पहुंचा सकते हैं."- शुभाशीष सिंह, हाउस ऑफ मैथिली

"देश के विभिन्न राज्यों की पारंपरिक साड़ियां एक ही छत के नीचे उपलब्ध होगी. इसे लेकर हाउस ऑफ मैथिली व्यापक स्तर पर काम कर रहा है. पेरिस में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों ने भी उनके उत्पाद के ऑर्डर दिए हैं. राज्य के प्रतिष्ठित मैत्रेय कॉलेज ऑफ एजुकेशन एंड मैनेजमेंट की तरफ से उनके सभी स्टूडेंट्स के लिए यूनिफार्म बनाने का भी आर्डर मिला है."- मोनिका टोप्पो, सीनियर डिजाइनर, हाउस ऑफ मैथिली

मॉडल निखारने के लिए कराया फोटोग्राफ: हाउस आफ मैथिली के सीनियर डिजाइनर मोनिका ने बताया कि हाउस ऑफ मैथिली हस्तनिर्मित प्रोडक्ट को निखारने के लिए हाल में ही पूर्णिया के मॉडल और फोटोग्राफरों के द्वारा कैलेंडर शूट कराया है. ये कैलेंडर पूर्णिया के स्थापना दिवस समारोह पर 14 फरवरी को लॉन्च की जाएगी. साथी ही इस तरह के 500 कैलेंडर तैयार किए जाएंगे.

"हाउस ऑफ मैथिली के माध्यम से न सिर्फ हमें बल्कि हम जैसी 15 महिलाओं को रोजगार मिला है. बल्कि मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल की तरफ से ट्रेनिंग पाकर वे एक कुशल कारीगर बन चुकी हैं. मैं आत्मनिर्भर होकर काम कर रही हैं, इसकी हमें खुशी है."- महिला कारीगर

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