ETV Bharat / state

पूर्णिया: ETV भारत के REALITY टेस्ट में सुशासन की सड़कें फेल

ईटीवी भारत शहर के ऐसे आधा दर्जन इलाकों में गया, जहां जर्जर सड़कें आज भी लोगों का सिरदर्द बनी हुई हैं. लोकसभा चुनावों से पहले शिलान्यास होने के बावजूद भी आज तक सड़कों का कायाकल्प नहीं हो सका है.

जर्जर सड़क
author img

By

Published : Nov 7, 2019, 1:12 PM IST

Updated : Nov 7, 2019, 6:18 PM IST

पूर्णिया: बिहार में विकास को सड़क से जोड़कर देखा जाता रहा है. अक्सर मंचों पर सीएम नीतीश कुमार सड़क को अपने शासन की सबसे बड़ी कामयाबी बताते रहे हैं. लेकिन ईटीवी भारत की टीम ने ऐसे दर्जनों सड़कों की एक्सक्लूसिव पड़ताल की, जिसका शिलान्यास तो बीते आम चुनावों से पहले ही हो गया था. लेकिन करोड़ों की लागत से बनने वाली इन सड़कों के निर्माण का कार्य अभी भी अधूरा है.

रियलिटी टेस्ट में सुशासन की सड़कें फेल
हमारी टीम शहर के ऐसे आधा दर्जन इलाकों में गई, जहां जर्जर सड़कें आज भी लोगों का सिरदर्द बनी हुई हैं. लोकसभा चुनाव से पहले शिलान्यास होने के बावजूद भी आज तक सड़कों का कायाकल्प नहीं हो सका है. शहर के पॉश इलाके पंचमुखी मंदिर स्थित वार्ड 20 की सड़क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है.

ईटीवी भारत की टीम ने दर्जनों सड़कों की पड़ताल की

शिलान्यास के बाद अब तक नहीं बनी सड़क
स्थानीय हीरा ठाकुर बताते हैं कि बीते लोकसभा चुनाव के दौरान स्थानीय प्रतिनिधियों की तरफ से तकरीबन 45 लाख की लागत से बनने वाली सड़क का शिलान्यास
किया गया था. लेकिन जिस सड़क का निर्माण कार्य फरवरी 2019 में ही पूरा होना था. वह अब तक नहीं हो सका है. हकीकत में तो सड़क नहीं बन सकी मगर शिलापटों पर निर्माण कार्य पूरा हो गया. एसडीएम आवास से लगी सड़क का हाल भी कुछ ऐसा ही है. वहीं, सिनेमा टॉकीज रोड और समाहरणालय नगर निगम लिंक रोड 1 करोड़ की लागत से 2018 में ही शिलापटों पर संपन्न हो गया था. लेकिन अब तक नहीं बन सकी है.

purnea
जर्जर सड़क

शिलापटों पर संपन्न, धरातल से नदारद
स्थानीय बताते हैं कि दोनों ही सड़कें शहर की सबसे भीड़भाड़ वाली सड़क है. सिनेमा टॉकीज रोड में मेडिकल हब होने के कारण यहां रोज हजारों लोग इस सड़क से गुजरते हैं. वहीं, समाहरणालय, नगरनिगम, कचहरी और कॉलेज जैसे दर्जनों लैंडमार्क होने के कारण लिंक रोड में हर पल वाहनों की आपाधापी लगी रहती है.
पॉश इलाकों में भट्टा दुर्गाबाड़ी लिंक रोड, मधुबनी रोड और बक्सा घाट रोड 1 करोड़ की लागत से बनने वाली इन सड़कों का काम भी चुनाव बीतते ही अधर में लटक गया. स्थानीय, पूर्व पार्षद और वकील कहते हैं कि नियमतः शिलान्यास पट पर कार्य शुरुआत के साथ ही कार्य अवधि पूरी होने की भी तिथि शिलापट पर अंकित होना अनिवार्य है. मगर इन सभी स्तर पर बड़े पैमाने पर धांधली हुई है.

purnea
जर्जर सड़क

'जनता को इस बला से बचा लें सीएम साहेब'
लोगों का कहना है कि इन सड़कों के बदहाल होने से इन्हें हर मौसम में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सड़कें पथरीली और अंधी मोड़ वाली हैं, जिससे बारिश के दिनों में पैदल चलने और वाहनों से गुजरने पर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जलजमाव और कीचड़ की स्थिति में अक्सर ही दुर्घटनाएं होती रहती हैं. वहीं, जाड़े का मौसम नजदीक है. इस मौसम में आय दिन वाहन चालकों को भारी फॉगिंग का सामना करना पड़ता है. सड़कें कच्ची और कंक्रीट की होने की वजह से किसी परिस्थिति में पहिए के फिसलते ही लोग बेवजह अनहोनी के शिकार बनते है. वहीं, गर्मी के दिनों में इन सड़कों पर उड़ती धूल से गुजरना किसी चुनौती से कम नहीं है.

purnea
जर्जर सड़क

'संवेदकों पर चलेगा प्रशासन का हंटर'
नगर आयुक्त विजय कुमार सिंह ने कहा कि ऐसी सड़कों का निर्माण करने वाले संवेदकों की सूची बनाकर उन्हें नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है. ऐसे संवेदकों को आगे ठेकेदारी में भाग लेने से रोका जाएगा. साथ ही इनपर कार्रवाई को लेकर सक्षम पदाधिकारी को पत्र लिखा गया है. आगे जो भी कार्य होंगे इन ठेकेदारों पर विशेष मॉनिटरिंग में शुरू किया जाएगा.

पूर्णिया: बिहार में विकास को सड़क से जोड़कर देखा जाता रहा है. अक्सर मंचों पर सीएम नीतीश कुमार सड़क को अपने शासन की सबसे बड़ी कामयाबी बताते रहे हैं. लेकिन ईटीवी भारत की टीम ने ऐसे दर्जनों सड़कों की एक्सक्लूसिव पड़ताल की, जिसका शिलान्यास तो बीते आम चुनावों से पहले ही हो गया था. लेकिन करोड़ों की लागत से बनने वाली इन सड़कों के निर्माण का कार्य अभी भी अधूरा है.

रियलिटी टेस्ट में सुशासन की सड़कें फेल
हमारी टीम शहर के ऐसे आधा दर्जन इलाकों में गई, जहां जर्जर सड़कें आज भी लोगों का सिरदर्द बनी हुई हैं. लोकसभा चुनाव से पहले शिलान्यास होने के बावजूद भी आज तक सड़कों का कायाकल्प नहीं हो सका है. शहर के पॉश इलाके पंचमुखी मंदिर स्थित वार्ड 20 की सड़क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है.

ईटीवी भारत की टीम ने दर्जनों सड़कों की पड़ताल की

शिलान्यास के बाद अब तक नहीं बनी सड़क
स्थानीय हीरा ठाकुर बताते हैं कि बीते लोकसभा चुनाव के दौरान स्थानीय प्रतिनिधियों की तरफ से तकरीबन 45 लाख की लागत से बनने वाली सड़क का शिलान्यास
किया गया था. लेकिन जिस सड़क का निर्माण कार्य फरवरी 2019 में ही पूरा होना था. वह अब तक नहीं हो सका है. हकीकत में तो सड़क नहीं बन सकी मगर शिलापटों पर निर्माण कार्य पूरा हो गया. एसडीएम आवास से लगी सड़क का हाल भी कुछ ऐसा ही है. वहीं, सिनेमा टॉकीज रोड और समाहरणालय नगर निगम लिंक रोड 1 करोड़ की लागत से 2018 में ही शिलापटों पर संपन्न हो गया था. लेकिन अब तक नहीं बन सकी है.

purnea
जर्जर सड़क

शिलापटों पर संपन्न, धरातल से नदारद
स्थानीय बताते हैं कि दोनों ही सड़कें शहर की सबसे भीड़भाड़ वाली सड़क है. सिनेमा टॉकीज रोड में मेडिकल हब होने के कारण यहां रोज हजारों लोग इस सड़क से गुजरते हैं. वहीं, समाहरणालय, नगरनिगम, कचहरी और कॉलेज जैसे दर्जनों लैंडमार्क होने के कारण लिंक रोड में हर पल वाहनों की आपाधापी लगी रहती है.
पॉश इलाकों में भट्टा दुर्गाबाड़ी लिंक रोड, मधुबनी रोड और बक्सा घाट रोड 1 करोड़ की लागत से बनने वाली इन सड़कों का काम भी चुनाव बीतते ही अधर में लटक गया. स्थानीय, पूर्व पार्षद और वकील कहते हैं कि नियमतः शिलान्यास पट पर कार्य शुरुआत के साथ ही कार्य अवधि पूरी होने की भी तिथि शिलापट पर अंकित होना अनिवार्य है. मगर इन सभी स्तर पर बड़े पैमाने पर धांधली हुई है.

purnea
जर्जर सड़क

'जनता को इस बला से बचा लें सीएम साहेब'
लोगों का कहना है कि इन सड़कों के बदहाल होने से इन्हें हर मौसम में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सड़कें पथरीली और अंधी मोड़ वाली हैं, जिससे बारिश के दिनों में पैदल चलने और वाहनों से गुजरने पर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जलजमाव और कीचड़ की स्थिति में अक्सर ही दुर्घटनाएं होती रहती हैं. वहीं, जाड़े का मौसम नजदीक है. इस मौसम में आय दिन वाहन चालकों को भारी फॉगिंग का सामना करना पड़ता है. सड़कें कच्ची और कंक्रीट की होने की वजह से किसी परिस्थिति में पहिए के फिसलते ही लोग बेवजह अनहोनी के शिकार बनते है. वहीं, गर्मी के दिनों में इन सड़कों पर उड़ती धूल से गुजरना किसी चुनौती से कम नहीं है.

purnea
जर्जर सड़क

'संवेदकों पर चलेगा प्रशासन का हंटर'
नगर आयुक्त विजय कुमार सिंह ने कहा कि ऐसी सड़कों का निर्माण करने वाले संवेदकों की सूची बनाकर उन्हें नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है. ऐसे संवेदकों को आगे ठेकेदारी में भाग लेने से रोका जाएगा. साथ ही इनपर कार्रवाई को लेकर सक्षम पदाधिकारी को पत्र लिखा गया है. आगे जो भी कार्य होंगे इन ठेकेदारों पर विशेष मॉनिटरिंग में शुरू किया जाएगा.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
exclusive report ।

बिहार में विकास को सड़क से जोड़कर देखा जाता रहा है। वहीं अक्सर ही मंचों पर सीएम नीतीश कुमार को सड़क को अपने शासन की सबसे बड़ी कामयाबी बताते हुए अपनी पीठ थपथपाते देखा जा सकता है। मगर इससे इतर दरअसल सूबे में सड़कों की असलियत क्या है। सरकार को आईना दिखाने ईटीवी भारत की टीम ऐसे दजनों सड़कों की एक्सक्लूसिव पड़ताल किया। जिसका शिलान्यास तो बीते आम चुनावों से पहले ही हो गया। मगर करोड़ों की लागत से बनने वाली इन सड़कों के निर्माण का कार्य आज भी अधूरा है। पेश है पूर्णिया से ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट-


Body:बकायदा पड़ताल की कड़ी में ईटीवी भारत शहर के ऐसे आधा दर्जन इलाकों में गया जहां जर्जर सड़क आज भी लोगों का सिरदर्द बनी हुई है। अगर 'सुशासन' की डिक्शनरी में सड़क विकास का पैमाना है तो ईटीवी भारत की यह रिपोर्ट सूबे के मुखिया सीएम नीतीश कुमार के आंखों पर बंधी पट्टी खोलने को काफी होगी।


ईटीवी भारत की लोयालिटी टेस्ट में शुशासन की सड़क फेल...

लिहाजा ईटीवी भारत आपको जिन सड़कों की सूरतेहाल दिखाने जा रहा है दरअसल ये ऐसे सड़क हैं जिनका शिलान्यास बीते लोकसभा चुनावों से ठीक पहले ही हो गया था। मगर शिलान्यासों के शिलापट खुले साल भर बीतने को है बावजूद इसके शहर के दर्जनों सड़क अपनी कायाकल्प की बाट जोहते नजर आ रहे हैं। वहीं ये सभी ऐसे सड़क हैं जो शहर के पॉश इलाकों में गिने जाते हैं। लिहाजा ग्रामीण इलाकों में सड़कों का क्या हश्र होगा इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।


एसडीएम आवास से लगी सड़क की हकीकत हैरान कर देगी....


पड़ताल की कड़ी में ईटीवी भारत की टीम सबसे पहले शहर के पॉश इलाकों में से एक पंचमुखी मंदिर स्थित वार्ड 20 में पहुंची। जहां अंग्रेजों के जमाने सी दिखने वाली सड़क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। स्थानीय हीरो ठाकुर बताते हैं कि बीते लोकसभा चुनाव के दरम्यान स्थानीय प्रतिनिधियों द्वारा तकरीबन 45 लाख की लागत से बनने वाली सड़क का शिलान्यास किया गया। हैरत की बात है कि जिस सड़क का निर्माण कार्य फरबरी 2019 में ही पूरा होना था। वह आज तक नहीं बन सकी। हकीकत में तो सड़क नहीं बन सकी मगर शिलापटों पर निर्माण कार्य पूरा हो गया। ताज्जुब कि बात तो यह है जहां संवेदकों की कार्रस्तानी का यह खेल चला वह बदहालका सड़क ठीक एसडीएम आवास से लगी है। लिहाजा शहर के बाकी सड़कों का क्या हश्र होगा इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।


चुनावों से पहले हुआ शिलान्यास मगर अब तक नहीं बनी सड़क..

वहीं इस कड़ी में आगे बढ़ते हुए ईटीवी भारत की टीम शहर के लाइफ लाइन के नाम से मशहूर सिनेमा टॉकीज रोड व समाहरणालय-नगर निगम लिंक रोड पहुंची। तकरीबन 1 करोड़ की लागत से जिस महत्वपूर्ण सड़क का काम 2018 में ही शिलापटों पर संपन्न हो गया। इसे सिस्टम और प्रतिनिधियों की नाकामी समझें, वह सड़क आज तक वास्तविकता के धरातल पर नहीं उतर सकी। स्थानीय बताते हैं कि दोनों ही सड़कें शहर के सबसे भीड़भाड़ वाली सड़क है। मेडिकल हब होने के कारण जहां सिनेमा टॉकीज रोड में हेल्थ समस्याएं लिए रोजाना हजारों लोग इस सड़क से गुजरते हैं। वहीं समाहरणालय ,नगरनिगम ,कचहरी और कॉलेज जैसे दर्जनों लैंडमार्क होने के कारण लिंक रोड में हर पल वाहनों की आपाधापी लगी रहती है।


शिलापटों पर सड़कों का काम संपन्न मगर धरातल की सच्चाई कुछ और...


इसके बाद ईटीवी भारत की टीम पॉश इलाकों में शामिल भट्टा दुर्गाबाड़ी लिंक रोड ,मधुबनी रोड व बक्सा घाट रोड पहुंची। तकरीबन 1 करोड़ की लागत से बनने वाली इन सड़कों का काम भी चुनाव बीतते ही अधर में लटक गया। भट्टा दुर्गाबाड़ी लिंक रोड का प्रोजेक्ट जहां 45 की लागत से चुनावों से ठीक पहले शिलापटों पर निबट गया। कुछ यही हाल बक्साघाट और मुसहरी टोला में आने वाली सड़कों का भी हुआ। काम शिलापटों पर निबट गए मगर सड़क आज तक लोगों के लिए एक पहेली सी बनी हुई है। स्थानीय और पूर्व पार्षद व पेशे से वकील कहते हैं कि नियमतः शिलान्यास पट पर कार्य शुरुआत के साथ ही कार्य अवधि पूरी होने की तिथि शिलापट पर अंकित होना अनिवार्य है।
मगर इन सभी स्तर पर बड़े पैमाने पर धांधली हुई। जिसके चलते साल लगने को है मगर सड़क नहीं बन सकी।


जनता को इस बला से बचा लें सीएम साहेब...


स्थानीय की मानें तो इन सड़कों के बदहाल होने से इन्हें हर मौसम में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सड़कें पथरीली ,अंधी मोड़ वाली व कच्ची है जिससे बर्षात के दिनों में पैदल चलने व वाहनों से गुजरने पर भारी फजीहत का सामना करना पड़ता है।
जलजमाव व कीचड़ की स्थिति में अक्सर ही दुर्घटनाएं होती रहती हैं। वहीं जाड़े का मौसम नजदीक है। इस मौसम में आय दिनों वाहन सवार चालकों को भारी फॉगिंग का सामना करना पड़ता है। सड़कें कच्ची और कंक्रीट की होने की वजह से किसी परिस्थिति में पहिए के फिसलते ही लोग बेवजह अनहोनी के शिकार बनते हैं वहीं गर्मी के दिनों में इन सड़कों पर उड़ते धूल धक्कर से गुजरना किसी चुनौती से कम नहीं होता।


ईटीवी भारत से बोले नगर आयुक्त जल्द चलेगा संवेदकों पर 'प्रशासन' का हंटर...

लिहाजा अधर में लटके शहर के ऐसे ही सड़कों की फेहरिस्त लिए ईटीवी भारत की टीम नगर आयुक्त विजय कुमार सिंह के पास पहुंची। इस बाबत इस मामले को संज्ञान में लेते हुए नगर आयुक्त विजय कुमार सिंह ने कहा कि ऐसे सड़कों को निर्माण करने वाले संवेदकों की सूची बनाकर उन्हें नोटिस भेजकर लेटलतीफी को लेकर जवाब मांगा गया है। ऐसे संवेदकों को आगे ठीकेदारी में भाग लेने से रोका जाएगा। साथ ही इनपर कार्रवाई को लेकर सक्षम पदाधिकारी को लिखा गया है। आगे जो भी कार्य होंगे इन्हें विशेष मॉनिटरिंग में कार्य शुरू किया जाएगा।











Conclusion:बहरहाल जरूरत है सूबे के मुखिया को ऐसे इलाकों में एक बार कदम रखने की। ताकि चुनावों के समय जिन शिलापटों और कागजी आंकड़ों पर कूदते सीएम नीतीश कुमार चुनावी मंचों से बिहार में सड़कों का जाल बिछाने का दम भरते हैं। दरअसल सुशासन की डिक्शनरी में विकास का दूसरा नाम बन चुकी यह सड़क चुनावी जुमलों की तरह कितनी जुबानी है। वे इसकी हकीकत से दो -चार हो सकें। जरा और देरी हुई तो अभी 2020 विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल ही हाथ से फिसला है। कहीं ऐसा न हो कि जिन कागजी सड़कों पर सुशासन इठलाता फिर रहा है यह मृगतृष्णा आगामी 2020 विधानसभा चुनावों में आपकी सरकार ही ले डूबे।



(यह स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट है वीओ वहीं से किया जाए)
विसुअल की जररूत हो तो बताएं।
Last Updated : Nov 7, 2019, 6:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.