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नेपाल द्वारा पानी छोड़े जाने से पूर्णिया में बाढ़ जैसे हालात, दर्जनों गांव पानी-पानी

नेपाल द्वारा 1700 क्यूसेक से अधिक पानी जेसीबी नहर में छोड़े जाने से पूर्णिया में बाढ़ की स्थिति बन गई है. कई गांवों में पानी घुस गया है. खेतों में फसलें भी बर्बाद हो गई है.

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Published : Jul 15, 2019, 11:15 AM IST

Updated : Jul 15, 2019, 1:25 PM IST

पूर्णिया में बाढ़ जैसे हालात

पूर्णिया: कई दिनों से लगातर हो रही बारिश और सीमावर्ती नेपाल द्वारा क्षमता से अधिक पानी छोड़े जाने से जिले की नदियां और नहरें उफान पर हैं. पानी के ओवर फ्लो से जिले में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. रुपौली दक्षिण पंचायत से होकर गुजरने वाली जेसीबी 200 आरडी नहर, जेसीबी 179 आरडी नहर और बनेश्वर वितरनी नहर के बहने से लगभग आधा दर्जन गांव में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गयी है.

बाढ़ की त्रासदी
कई दर्जन घरों में पानी प्रवेश कर गया है. खेत, सड़क और बिजली के खंभे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं. जल संसाधन विभाग की मानें तो नेपाल द्वारा 1700 क्यूसेक से अधिक पानी जेसीबी नहर में छोड़े जाने से ऐसी स्थिति बनी है. इधर ग्रामीणों का कहना है कि सीमावर्ती नेपाल द्वारा जेसीबी नहर में क्षमता से अधिक पानी छोड़े जाने से रामजनी गांव के पास का बांध टूट गया. इसके क्षतिग्रस्त होने की सूचना विभाग को पूर्व में ही दी जा चुकी थी.

पेश है रिपोर्ट

कई गांव में घुसा पानी
जेसीबी नहर का 20-25 फिट हिस्सा पानी के तेज बहाव में बह जाने से 5 हजार की आबादी वाला आधा दर्जन गांव प्रभावित हैं. इनमें इटहरी ग्राम, रमजानी ग्राम, अभय रामचकला ग्राम, विनोबा ग्राम, लादूगढ़, रामपुर, लतराहा और दरहरा शामिल है.

सैकड़ों घर बाढ़ की चपेट में
बाढ़ की पारंपरिक मार झेलने के आदि हो चुके इस गांव की महिलाएं सहित बच्चों ने भी तैराकी सीख ली है. लिहाजा बहाव के समय लोग खुद को बचाने में तो कामयाब हो गए मगर बेतरतीब बहते पानी ने सैकड़ों घरों के चूल्हे-चौके को पूरी तरह बिखेर दिया. आलम यह यह कि जलावन से लेकर घर का चप्पा-चप्पा पानी की जद में लिपटा नजर आ रहा है.

purnea
कई गांव में घुसा पानी

करोड़ों की फसलें स्वाहा
गांव के तकरीबन 50 एकड़ से अधिक खेतों में नहर का डिस्चार्ज पानी घुस गया. खेतों में लगी सारी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गयी. नहर से ओवर फ्लो हुए पानी की चपेट में आने से मूंग, पटवा, लक्खी, केला, मक्का और रोपनी के बीज आदि पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. किसानों की मानें तो प्रशासनिक महकमे की सुस्ती के कारण खेतों में लगी करोड़ों की फसलें स्वाहा हो गई.

बिजली के खंभे, सड़क और पेड़ को भी हुआ नुकसान
इस प्रलय में बिजली के खंभे, सड़के और कई पेड़ भी टूट गएं. सरकारी महकमे की सुस्ती से नाराज लोगों का कहना है कि पानी की यह त्रासदी इन गांवों में कोई पहली दफा नहीं देखी गई है. इस गांव में सन् 2001 और 2008 में विनाशकारी बाढ़ आ चुकी है. उस वक्त लोगों ने अनगिनत जानें गवाई थी.

पूर्णिया: कई दिनों से लगातर हो रही बारिश और सीमावर्ती नेपाल द्वारा क्षमता से अधिक पानी छोड़े जाने से जिले की नदियां और नहरें उफान पर हैं. पानी के ओवर फ्लो से जिले में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं. रुपौली दक्षिण पंचायत से होकर गुजरने वाली जेसीबी 200 आरडी नहर, जेसीबी 179 आरडी नहर और बनेश्वर वितरनी नहर के बहने से लगभग आधा दर्जन गांव में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गयी है.

बाढ़ की त्रासदी
कई दर्जन घरों में पानी प्रवेश कर गया है. खेत, सड़क और बिजली के खंभे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं. जल संसाधन विभाग की मानें तो नेपाल द्वारा 1700 क्यूसेक से अधिक पानी जेसीबी नहर में छोड़े जाने से ऐसी स्थिति बनी है. इधर ग्रामीणों का कहना है कि सीमावर्ती नेपाल द्वारा जेसीबी नहर में क्षमता से अधिक पानी छोड़े जाने से रामजनी गांव के पास का बांध टूट गया. इसके क्षतिग्रस्त होने की सूचना विभाग को पूर्व में ही दी जा चुकी थी.

पेश है रिपोर्ट

कई गांव में घुसा पानी
जेसीबी नहर का 20-25 फिट हिस्सा पानी के तेज बहाव में बह जाने से 5 हजार की आबादी वाला आधा दर्जन गांव प्रभावित हैं. इनमें इटहरी ग्राम, रमजानी ग्राम, अभय रामचकला ग्राम, विनोबा ग्राम, लादूगढ़, रामपुर, लतराहा और दरहरा शामिल है.

सैकड़ों घर बाढ़ की चपेट में
बाढ़ की पारंपरिक मार झेलने के आदि हो चुके इस गांव की महिलाएं सहित बच्चों ने भी तैराकी सीख ली है. लिहाजा बहाव के समय लोग खुद को बचाने में तो कामयाब हो गए मगर बेतरतीब बहते पानी ने सैकड़ों घरों के चूल्हे-चौके को पूरी तरह बिखेर दिया. आलम यह यह कि जलावन से लेकर घर का चप्पा-चप्पा पानी की जद में लिपटा नजर आ रहा है.

purnea
कई गांव में घुसा पानी

करोड़ों की फसलें स्वाहा
गांव के तकरीबन 50 एकड़ से अधिक खेतों में नहर का डिस्चार्ज पानी घुस गया. खेतों में लगी सारी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गयी. नहर से ओवर फ्लो हुए पानी की चपेट में आने से मूंग, पटवा, लक्खी, केला, मक्का और रोपनी के बीज आदि पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं. किसानों की मानें तो प्रशासनिक महकमे की सुस्ती के कारण खेतों में लगी करोड़ों की फसलें स्वाहा हो गई.

बिजली के खंभे, सड़क और पेड़ को भी हुआ नुकसान
इस प्रलय में बिजली के खंभे, सड़के और कई पेड़ भी टूट गएं. सरकारी महकमे की सुस्ती से नाराज लोगों का कहना है कि पानी की यह त्रासदी इन गांवों में कोई पहली दफा नहीं देखी गई है. इस गांव में सन् 2001 और 2008 में विनाशकारी बाढ़ आ चुकी है. उस वक्त लोगों ने अनगिनत जानें गवाई थी.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया) exclusive report। बीते एक सप्ताह से हो रही बारिश और सीमावर्ती नेपाल द्वारा क्षमता से अधिक पानी छोड़े जाने से जिले की नदियां व नहरें उफान पर हैं। वहीं नहरों के ओवर फ्लो से जिले में बाढ़ जैसे हालात बन आए हैं। जानकीनगर स्थित रुपौली दक्षिण पंचायत से होकर गुजरने वाली जेसीबी 200 आरडी नहर व जेसीबी 179 आरडी नहर के साथ बनेश्वर वितरनी नहर बांध का रमजानी गावं के समीप बह जाने से कमोबेश आधा दर्जन गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गयी है। वहीं सैकड़ों घरों में पानी के प्रवेश किये जाने के साथ ही खेत ,सड़क व बिजली के खंभे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए है। पेश है पूर्णिया से ग्राउंड जीरो की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट


Body:बांध के क्षतिग्रस्त हिस्से को ले ग्रामीणों ने किया था अलर्ट .. जल संसाधन विभाग की मानें तो यह स्थिति नेपाल द्वारा 1700 क्यूसेक से अधिक पानी जेसीबी नहर में छोड़े जाने से बनी। मगर यह पूरी हकीकत नहीं। दरअसल ग्रामीणों की मानें तो जानकीनगर स्थित रुपौली दक्षिण पंचायत से होकर गुजरने वाली जेसीबी 200 आरडी नहर व जेसीबी 179 आरडी नहर के साथ बनेश्वर वितरनी नहर बांध का रामजनी गावं के पास का बांध का जो हिस्सा बीते एक सप्ताह से हो रही बारिश और सीमावर्ती नेपाल द्वारा जेसीबी नहर में क्षमता से अधिक पानी छोड़े जाने से तेज बहाव के आगे माचिस के तिनके की तरह बिखड़ गया। दरअसल इसके क्षतिग्रस्त होने की सूचना विभाग को पूर्व में ही दी जा चुकी थी। इन गांवों में दिख रहे बाढ़ जैसे हालात... वहीं हताहतों की स्थिति से रूबरू होने ईटीवी भारत जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर जानकीनगर स्थित ग्राउंड जीरो से लगे बहाव के चपेट में आने वाले गावों में पहुंचा। जहां जेसीबी नहर का 20-25 फिट हिस्सा पानी के तेज बहाव के आगे बह जाने से 5 हजार की आबादी वाले आधा दर्जन गांव प्रभावित हैं। वहीं पानी के तेज बहाव के कारण वे गांव जो सबसे अधिक प्रभावित हैं। इनमें इटहरी ग्राम ,रमजानी ग्राम ,अभय रामचकला ग्राम ,विनोबा ग्राम ,लादूगढ़ ,रामपुर ,लतराहा ,दरहरा शामिल हैं। घरों में घुसा पानी , चूल्हे-चौके क्षतिग्रस्त... वहीं जेसीबी नहर बांध के क्षतिग्रस्त हो जाने से बांध से आधा दर्जन गांव नहर के उफनते पानी की चपेट में आ गए। गनीमत रही कि हादसा शाम के वक़्त हुआ। साथ ही बाढ़ की पारंपरिक मार झेलने का आदि हो चुके इस गांव के महिलाओं सहित बच्चों तक ने तैराकी सीख रही है। लिहाजा बहाव के समय लोग खुद को बचाने में तो कामयाब हो गए। मगर बेतरतीब बहते पानी ने हजारों की बस्ती वाले सैकड़ों घरों के चूल्हे-चौके पूरी तरह बिखेड़ दिए। आलम यह यह कि जलावन से ले कर घर का चप्पा-चप्पा पानी की जद में लिपटा नजर आ रहा है। सैकड़ों एकड़ खेत में घुसा पानी , करोड़ों की फसलें स्वाहा... वहीं नहर का क्षतिग्रस्त हिस्सा पानी के तेज बहाव के आगे तिनके की तरह बिखड जाने से नहर से लगे आधा दर्जन गांवों के तकरीबन 50 एकड़ से अधिक खेतों में नहर का डिसचार्ज पानी सीधे समीप के खेतों में आ घुसा। जिससे खेतों में लगी सारी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गयी। वहीं प्रभावित सैकड़ों किसानों के खेतों में इस वक़्त लबालब पानी भरा नजर आ रहा है। वहीं नहर से ओवर फ्लो हुए पानी की चपेट में आने से इनकी मूंग ,पटवा ,लक्खी ,केला ,मक्का व रोपनी बीज आदि पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। बकायदा खेतों में पानी है या पानी में खेत यह समझना भी मुश्किल हो रहा है। किसानों की मानें प्रशासनिक महेकमे की सुस्ती के कारण इनके खेतों में लगी करोड़ों की फसलें स्वाहा हो चुकी हैं। बिजली के खंभे ,सड़क ,फलदार पेड़ को भी नुकसान... वहीं प्रलयकारी सी नजर आने वाले ओवर फ्लो पानी के रास्ते में जिसने भी आने की गुस्ताखी की। वह माचिस की तीलियों की तरह बिखड़ गया। फिर चाहे वह बिजली के खंभे हो। अलकतरे से खूब पोलिश की गई सड़कें हों या फिर आंधियों को झेलने का मादा रखते आ रहे सदियों पुराने पेड़। तस्वीरों में प्रलयकारी पानी के आगे सबको घटने टेकें देखा जा सकता है। तीन बार और आ चुकी है बाढ़.... सरकारी महेकमे की सुस्ती से नाराज लोगों की मानें तो पानी की यह त्रासदी इन गांवों ने कोई पहली दफे नहीं देखी। इस गावं में सन 2001 ,2008 व 2017 में विनाशकारी बाढ़ आ चुकी है। तब इस बाढ़ में लोगों ने अनगिनत जानें गवाई थी।


Conclusion:
Last Updated : Jul 15, 2019, 1:25 PM IST
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