पूर्णिया: सूबे के दिव्यांग बच्चे भी सामान्य बच्चों की तरह स्मार्ट और स्किलफूल बन सकें, इसलिए बिहार के शिक्षा महकमे ने ऐसे बच्चों के लिए एक अनूठी पहल की है. यहां के बायसी प्रखण्ड में रहने वाले दिव्यांग मो. साकिर की तरह जल्द ही सूबे के बांकी दिव्यांग बूढ़े हो चुके ब्रेललिपि के बजाए एक बड़े स्क्रीन वाले टैब, अत्याधुनिक किट और हाईटेक सॉफ्टवेयर पर पढ़ाई कर खुद को सामान्य बच्चों की तरह स्किल्ड और एडवांस्ड बना सकेंगे.
राज्य सरकार की इस नई तकनीक का असल मकसद दिव्यांगों के पाठ्यवस्तु को सरल बनाना है. बता दें कि 90 दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में साकिर अव्वल रहा था. प्रदेश में टैब और ब्रेल किट पाने वाले साकिर पहले लाभार्थी बनें. वहीं, बहुत जल्द बिहार शिक्षा परियोजना के इस पहल का लाभ जिले के 10 अन्य छात्रों को भी मिलने वाला है.
जानें टैब और ब्रेल किट की खूबियां
टैब और ब्रेल किट की विशेषताओं पर गौर करें तो टैब में मौजूद फीचर्स और अपडेटेड सॉफ्टवेयर में पाठ्यक्रमों के साथ ही पाठ्य सामग्री के बदलाव की तकनीक डेवलप है. आसान शब्दों में समझें तो बच्चे जैसे-जैसे अगली कक्षा की ओर बढ़ते जाएंगे. यह टैब खुद को अपडेट कर लेगा. मसलन कक्षा 7 उत्तीर्ण कर आठवीं में जाने पर टैब में मौजूद पाठ्यक्रम और पाठ्य सामग्री अपडेट होकर ऑडियो फॉर्मेट में मौजूद होगी. इसके साथ ही टैब में कई हाईटेक फीचर्स और अत्याधुनिक स्टडी सॉफ्टवेयर भी होंगे. जिसकी सहायता से दिव्यांग बच्चे किसी भी टॉपिक को आसानी से और पहले से कहीं ज्यादा अधिक समय तक स्मरण में रखेंगे.
होनहार साकिर से ईटीवी की खास बातचीत
बायसी के डांगरा पंचायत स्थित एक सरकारी स्कूल की कक्षा आठवीं में पढ़ रहे मो. साकिर से ईटीवी भारत ने बातचीत की. दरअसल दोनों आंखों से दिव्यांग होनहार मो. साकिर चयनित परीक्षा में पहले स्थान पर रहे थे. जिसके बाद वे सरकार की इस योजना का लाभ लेने वाले पहले छात्र बन गए हैं. लिहाजा साइट सेवर्स और एसएसए के सहयोग से प्रदान की गई टैब और ब्रेल किट पाकर साकिर खासे उत्साहित दिखे.
क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं, एसएसए संभाग प्रभारी प्रेम कुमार ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि मो. साकिर को टैब, किट और पेपर दिए गए हैं. जिससे वह अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे. उन्होंने कहा कि वीआई कीट मिलने के बाद साकिर के लिए पढ़ाई पहले से सरल और सुलभ होगी. वीआई बच्चों की सुनने की क्षमता अधिक होती है. जिससे वह जो कुछ भी कैच करेंगे. वे उनके मस्तिष्क में छप से जाएंगे. उन्होंने कहा कि इसका असल मकसद दिव्यांग बच्चों में स्मार्ट शिक्षा का अलख जगाकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है.