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पूर्णिया में जब 'सिस्टम' ने नहीं सुनी दिव्यांग की गुहार तो एक युवा ने दिखाई दरियादिली - divyang upset in purnea due to system

छोटे कद-काठी के 33 वर्षीय दिव्यांग मो. इसराफील को नगर निगम के उदासीन रवैये के कारण कई दिनों तक मीलों का सफर तय करना पड़ा. हैरत की बात तो ये है कि इस दौरान उनकी परेशानी देखकर नगर निगम के कर्मचारियों का तो दिल पसीजा. लेकिन, एसी में बैठे अधिकारियों ने इनके लिए कुछ नहीं किया.

दिव्यांग
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Published : Nov 27, 2019, 12:57 PM IST

पूर्णियाः जरूरी नहीं कि जरूरतमंदों की मदद सिस्टम के भरोसे खड़े रहकर ही की जाए. इस बात को सच कर दिखाया है जनसरोकार की पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाले ईटीवी भारत ने. यहां दिव्यांग से जुड़ी ईटीवी भारत की एक खबर के 24 घंटे बाद ही असर हुआ है. खबर को प्रमुखता से दिखाए जाने के बाद एक दिव्यांग सिस्टम से परेशान दूसरे दिव्यांग की मदद को आगे आए .

24 घंटे में दिव्यांग को मिली ट्राइसाइकिल
दरअसल, ईटीवी भारत ने बीते सोमवार को सिस्टम से परेशान हो रहे एक दिव्यांग की खबर प्रमुखता से दिखाई थी. इसके बाद एक दिव्यांग ने आगे आकर परेशान दिव्यांग मो. इसराफील की मदद की. मो. इसराफील महज एक ट्राइसाइकिल के लिए 3 महीने से सिस्टम का सितम झेल रहे थे.

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मो. इसराफील, दिव्यांग

3 महीने से लगा रहे थे 'सिस्टम' का चक्कर
ईटीवी भारत की एक विशेष रिपोर्ट में कृत्यानंद नगर के वनभाग में रहने वाले 2 फिट के दिव्यांग मो. इसराफील ने अपनी दर्द भरी कहानी बयां की थी. उन्होंने बताया था कि किस तरह उन्हें एक ट्राइसाइकिल के लिए बार-बार एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर दौड़ाया जा रहा है. छोटे कद-काठी के 33 वर्षीय दिव्यांग मो. इसराफील को नगर निगम के उदासीन रवैये के कारण कई दिनों तक मीलों का सफर तय करना पड़ा. हैरत की बात तो ये है कि इस दौरान उनकी परेशानी देखकर नगर निगम के कर्मचारियों का तो दिल पसीजा. लेकिन एसी में बैठे अधिकारियों ने इनके लिए कुछ नहीं किया.

दिव्यांग की मदद के लिए आगे आए दिव्यांग
वहीं, ईटीवी भारत की खबर जैसे ही जिले के दिव्यांगों तक पहुंची. देखते ही देखते दिव्यांगों की बड़ी जमात इसराफील के साथ खड़ी हो गई. सिस्टम की बेरुखी के खिलाफ दिव्यांगों की प्रतिक्रियाएं और सहानुभूति का दौर शुरू हो गया. दिव्यांग इसराफील के लिए निर्वाचन आयोग के यूथ आइकॉन रूपेश कुमार आगे आए और दरियादिली दिखाते हुए इसराफील को अपनी ट्राइसाइकिल सौंप दी.

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रूपेश कुमार, निर्वाचन आयोग के यूथ आइकॉन दिव्यांग

इसराफील ने ईटीवी भारत को किया धन्यवाद
ट्राइसाइकिल मिलने के बाद मो. इसराफील काफी खुश थे. दिव्यांग इसराफील ने कहा कि सबसे पहले वह ईटीवी भारत का शुक्रिया अदा करते हैं, जिनकी वजह से लोग उनकी मदद के लिए आगे आए और आज इन्हें ट्राइसाइकिल नसीब हो सकी. इसराफील के चहेरे पर इस बात की भी खुशी साफ झलक रही थी कि ट्यूशन और कैफ़े की जॉब जो वक़्त पर न पहुंच पाने के कारण छूट चुकी थी, इस ट्राइसाइकिल की मदद से वह फिर से जारी रख सकेंगे.

ये भी पढ़ेंः प्याज की माला पहनकर सदन पहुंचे आरजेडी MLA शिवचंद्र राम, बोले- सरकार को दिखाना है आईना

दिव्यांग रूपेश ने सिस्टम को कहा मानसिक दिव्यांग
ट्राइसाइकिल देकर एक दिव्यांग के प्रति दरियादिली दिखाने वाले निर्वाचन आयोग के यूथ आइकॉन दिव्यांग रूपेश कुमार कहते हैं- ईटीवी भारत की खबर के जरिए जो चीजे सामने आई, इससे यह साफ होता है कि हम सभी तो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, लेकिन सच कहा जाए तो सिस्टम मानसिक रूप से दिव्यांग है. यह सोचकर मैनें उन्हें अपनी ट्राइसाइकिल भेंट करने का मन बनाया.

वहीं, एक अन्य समाजसेवी दिव्यांग रमन ने भी इसराफील प्रकरण को लेकर कुछ ऐसे ही बात कही. ये कहते हैं कि सिस्टम जिस तरह दिव्यांगो को दौड़ाती है, इससे यह साफ होता है कि सरकार और सिस्टम की संवेदनाएं कब की मर चुकी हैं.

पूर्णियाः जरूरी नहीं कि जरूरतमंदों की मदद सिस्टम के भरोसे खड़े रहकर ही की जाए. इस बात को सच कर दिखाया है जनसरोकार की पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाले ईटीवी भारत ने. यहां दिव्यांग से जुड़ी ईटीवी भारत की एक खबर के 24 घंटे बाद ही असर हुआ है. खबर को प्रमुखता से दिखाए जाने के बाद एक दिव्यांग सिस्टम से परेशान दूसरे दिव्यांग की मदद को आगे आए .

24 घंटे में दिव्यांग को मिली ट्राइसाइकिल
दरअसल, ईटीवी भारत ने बीते सोमवार को सिस्टम से परेशान हो रहे एक दिव्यांग की खबर प्रमुखता से दिखाई थी. इसके बाद एक दिव्यांग ने आगे आकर परेशान दिव्यांग मो. इसराफील की मदद की. मो. इसराफील महज एक ट्राइसाइकिल के लिए 3 महीने से सिस्टम का सितम झेल रहे थे.

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मो. इसराफील, दिव्यांग

3 महीने से लगा रहे थे 'सिस्टम' का चक्कर
ईटीवी भारत की एक विशेष रिपोर्ट में कृत्यानंद नगर के वनभाग में रहने वाले 2 फिट के दिव्यांग मो. इसराफील ने अपनी दर्द भरी कहानी बयां की थी. उन्होंने बताया था कि किस तरह उन्हें एक ट्राइसाइकिल के लिए बार-बार एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर दौड़ाया जा रहा है. छोटे कद-काठी के 33 वर्षीय दिव्यांग मो. इसराफील को नगर निगम के उदासीन रवैये के कारण कई दिनों तक मीलों का सफर तय करना पड़ा. हैरत की बात तो ये है कि इस दौरान उनकी परेशानी देखकर नगर निगम के कर्मचारियों का तो दिल पसीजा. लेकिन एसी में बैठे अधिकारियों ने इनके लिए कुछ नहीं किया.

दिव्यांग की मदद के लिए आगे आए दिव्यांग
वहीं, ईटीवी भारत की खबर जैसे ही जिले के दिव्यांगों तक पहुंची. देखते ही देखते दिव्यांगों की बड़ी जमात इसराफील के साथ खड़ी हो गई. सिस्टम की बेरुखी के खिलाफ दिव्यांगों की प्रतिक्रियाएं और सहानुभूति का दौर शुरू हो गया. दिव्यांग इसराफील के लिए निर्वाचन आयोग के यूथ आइकॉन रूपेश कुमार आगे आए और दरियादिली दिखाते हुए इसराफील को अपनी ट्राइसाइकिल सौंप दी.

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रूपेश कुमार, निर्वाचन आयोग के यूथ आइकॉन दिव्यांग

इसराफील ने ईटीवी भारत को किया धन्यवाद
ट्राइसाइकिल मिलने के बाद मो. इसराफील काफी खुश थे. दिव्यांग इसराफील ने कहा कि सबसे पहले वह ईटीवी भारत का शुक्रिया अदा करते हैं, जिनकी वजह से लोग उनकी मदद के लिए आगे आए और आज इन्हें ट्राइसाइकिल नसीब हो सकी. इसराफील के चहेरे पर इस बात की भी खुशी साफ झलक रही थी कि ट्यूशन और कैफ़े की जॉब जो वक़्त पर न पहुंच पाने के कारण छूट चुकी थी, इस ट्राइसाइकिल की मदद से वह फिर से जारी रख सकेंगे.

ये भी पढ़ेंः प्याज की माला पहनकर सदन पहुंचे आरजेडी MLA शिवचंद्र राम, बोले- सरकार को दिखाना है आईना

दिव्यांग रूपेश ने सिस्टम को कहा मानसिक दिव्यांग
ट्राइसाइकिल देकर एक दिव्यांग के प्रति दरियादिली दिखाने वाले निर्वाचन आयोग के यूथ आइकॉन दिव्यांग रूपेश कुमार कहते हैं- ईटीवी भारत की खबर के जरिए जो चीजे सामने आई, इससे यह साफ होता है कि हम सभी तो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, लेकिन सच कहा जाए तो सिस्टम मानसिक रूप से दिव्यांग है. यह सोचकर मैनें उन्हें अपनी ट्राइसाइकिल भेंट करने का मन बनाया.

वहीं, एक अन्य समाजसेवी दिव्यांग रमन ने भी इसराफील प्रकरण को लेकर कुछ ऐसे ही बात कही. ये कहते हैं कि सिस्टम जिस तरह दिव्यांगो को दौड़ाती है, इससे यह साफ होता है कि सरकार और सिस्टम की संवेदनाएं कब की मर चुकी हैं.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
etv impact (special)

जरूरी नहीं कि जरूरतमंदों की मदद सिस्टम के भरोसे खड़े रहकर ही की जाए। दरअसल इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है
जनसरोकार की पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाली ईटीवी भारत ने। यहां ईटीवी भारत की दिव्यांग से जुड़ी एक खबर ने 24 घण्टें के भीतर अपना असर दिखाया है। ईटीवी भारत ने बीते सोमवार को सिस्टम के सितम झेल एक दिव्यांग के लिए पुरजोर तरीके से अपनी आवाज उठाई थी। जिसके बाद एक दिव्यांग ने आगे आकर एक दिव्यांग की मदद की है।




Body:
24 घण्टें के भीतर दिव्यांग को मिला ट्राइसाइकिल...

दरअसल ईटीवी भारत ने गुजरे सोमवार को महज एक ट्राइ साइकिल के लिए 3 माह से सिस्टम के सितम झेल रहे दिव्यांग मो इसराफिल से जुड़ी एक खबर दिखाई थी। ईटीवी भारत की इस विशेष रिपोर्ट में कृत्यानंद नगर के वनभाग में रहने वाले 2 फिट के दिव्यांग मो इसराफिल ने अपनी दर्दे दास्तां बयां करते हुए यह बतलाया था, कि उन्हें किस तरह एक ट्राइसाइकिल के लिए बार-बार एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर तक दौडाया जाता रहा। वहीं इसके बाद 24 घण्टें के भीतर ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है।


3 माह से लगा रहे थे सुस्त 'सिस्टम' के चक्कर....


इस दौरान नगर निगम के उदासीन रवैये के कारण तीक्ष्ण कद -काठी के 33 वर्षीय दिव्यांग मो इसराफिल को तीन दफे से भी अधिक मीलों का सफर तय करना पड़ा। हैरत की बात है कि इस दौरान उनकी परेशानी देख नगर निगम कार्यालय में पदस्थापित कुछ कर्मचारियों का तो दिल पसीजा। मगर एसी में बैठे अधिकारियों को इन सब के बावजूद जरा सी भी तरस नहीं आई।


जब दिव्यांग की मदद के लिए एक दिव्यांग आया सामने...


हालांकि ईटीवी भारत की खबर जैसे ही जिले के दिव्यांगों तक पहुंची। देखते ही देखते दिव्यांगों की बड़ी जमात इसराफिल के साथ खड़ी हो गई। इसी के साथ सिस्टम की बेरुखी के खिलाफ दिव्यांगों की प्रतिक्रियाएं और सहानुभूति का दौर शुरू हो गया।
दिव्यांग इसराफुल के लिए निर्वाचन आयोग के यूथ आइकॉन
रूपेश कुमार आगे आए। दरियादिली दिखाते हुए दिव्यांग इसराफुल को अपनी ट्राइसाइकिल सौंप दी।


खुशी से गदगद इसराफुल ने ईटीवी भारत को किया धन्यवाद....

वहीं ट्राइसाइकिल अब तक सिस्टम की बेरुखी का सितम झेल रहे मो इसराफुल के खुशी का कोई ठिकाना नहीं। ईटीवी भारत से खास बातचीत में दिव्यांग इसराफुल ने कहा कि सबसे पहले वे ईटीवी भारत का शुक्रिया अदा करते हैं जिसकी मदद से उनकी आवाज उन तक पहुंची। जिन्होंने आगे आकर इनके लिए मदद का हाथ बढ़ाया। और आज इन्हें ट्राइसाइकिल नसीब हो सकी। वहीं इसराफुल के चहेरे पर इस बात की भी खुशी साफ झलक रही है कि वह ट्यूशन और कैफ़े की जॉब जो वक़्त पर न पहुंच पाने के कारण छूट चुकी थी। इसराफुल इस ट्राइसाइकिल की मदद से फिर से जारी रख सकेंगे।


दिव्यांग रूपेश को क्यों सिस्टम को कहना पड़ा मानसिक दिव्यांग....


वहीं ट्राइसाइकिल देकर एक दिव्यांग के प्रति दरियादिली दिखाने वाले निर्वाचन आयोग के यूथ आइकॉन दिव्यांग रूपेश कुमार कहते हैं कि ईटीवी के खबर के जरिए जो चीजे सामने आई। इससे यह साफ होता है कि हम सभी तो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं। मगर सच कहा जाए तो सिस्टम मानसिक रूप से दिव्यांग हो चला है। यह सोचकर मैनें उन्हें अपनी ट्राइसाइकिल भेंट करने का मन बनाया। वहीं एक अन्य समाजसेवी दिव्यांग रमन सर भी इसराफिल प्रकरण को लेकर कुछ ऐसे ही विचार रखते हैं। ये कहते हैं कि सिस्टम जिस तरह दिव्यांगो को दौड़ाती है इससे यह साफ होता है कि सरकार औऱ सिस्टम की संवेदनाएं कब की मर चुकी है।




Conclusion:1 बाईट- दिव्यांग मो इसराफिल(ट्राइसाइकिल लाभुक)
2 बाईट- दिव्यांग निर्वाचन आयोग यूथ आइकॉन-रूपेश कुमार(ट्राइसाइकिल दाता)
3 बाईट- समाजसेवी (दिव्यांग रूपेश सिंह)
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