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40 लाख की आबादी और सिर्फ 33 डॉक्टर, बहुत नाइंसाफी है नीतीश बाबू!

अस्पताल रिकॉर्ड के मुताबिक जिले की 40 लाख आबादी के अतिरिक्त कटिहार, अररिया, किशनगंज, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा के अलावा सीमा से लगे बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर के लोग इस अस्पताल में आते हैं.

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Published : Jun 29, 2019, 7:53 PM IST

पूर्णिया: लोकसभा चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार स्वास्थ्य महकमे की खूबियां गिनवाते हुए विपक्ष पर जमकर बरसे थे. चुनावी सभाओं के दौरान वे जिस-जिस जिले में गए, वहां अपनी उपलब्धियों में प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का खूब बखान किया. लेकिन, वास्तविकता बिल्कुल अलग है. जमीनी स्तर पर हालात बद से बदतर हैं. हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग बेहतर इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं.

चमकी बीमारी के बाद हुई जांच-पड़ताल ने वास्तविक बिहार की तस्वीर सबके सामने लाकर रख दी है. मालूम हो कि बिहार के सबसे पुराने कमिश्नरी में भी स्वास्थ्य अमले का कुछ ऐसा ही हाल है. पूर्णिया जिले की 40 लाख आबादी के अतिरिक्त 7 जिलों से आने वाले करोड़ों मरीजों के लिए अस्पताल में महज 33 डॉक्टर और 300 बेड मौजूद हैं. ऐसे में ज्यादातर मरीजों को जमीन मिलती है.

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जमीन पर हो रहा इलाज

7 जिलों के अलावा सीमा से लगे राज्य व देशों की है निर्भरता
दरअसल, जिले के सदर अस्पताल को सीमांचल के एम्स के नाम से जाना जाता है. अस्पताल प्रबंधन खुद भी यह कहने में कोई हिचक नहीं करते हैं कि पटना से 350 किलोमीटर का फासला होने के कारण लोग इस अस्पताल में आते हैं. यह अस्पताल सीमावर्ती राज्य पश्चिम बंगाल व सीमा से लगे देशों के मरीजों के लिए सुलभ व सस्ते इलाज मुहैया कराता है. लेकिन, सुविधाएं नहीं दे पाता.

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मरीजों से पटा अस्पताल

करोड़ों की आबादी 5 स्ट्रेचर भरोसे
अस्पताल रिकॉर्ड के मुताबिक जिले की 40 लाख आबादी के अतिरिक्त कटिहार, अररिया, किशनगंज, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा के अलावा सीमा से लगे बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर के लोग यहां आते हैं. वहीं, सीमावर्ती देश नेपाल, बांग्लादेश व भूटान के मरीज भी यहां बेहतर इलाज की उम्मीद लिए आते हैं. लिहाजा, कुल आबादी का अनुमान लगाए तो सदर अस्पताल पर आश्रित रहने वाली आबादी का आंकड़ा करोड़ों को छू जाता है. चौंकाने वाली बात यह है कि इनके लिए सदर अस्पताल में महज 33 डॉक्टर, 300 बेड, 5 स्ट्रेचर व 3 व्हील चेयर उपलब्ध है.

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नहीं है जगह

बंद पड़ा है आईसीयू
साल 2010-11 में ही यहां आईसीयू की सुविधा बहाल कर दी गई थी. लेकिन, डॉक्टरों की कमी के कारण यह 8 सालों बाद भी चालू नहीं हो सका है. बता दें कि आईसीयू हर रोज खुलता तो है, मगर साफ-सफाई के लिए.

चौंकाने वाले हैं अस्पताल प्रबंधन के तथ्य
अस्पताल अधीक्षक मधुसूदन प्रसाद की मानें तो वर्तमान में जिले के स्वास्थ्य महकमे को 348 डॉक्टरों की आवश्यकता है. लेकिन, स्वास्थ्य अमला 113 डॉक्टरों से ही काम चला रहा है. वहीं, सदर अस्पताल को जहां 60 डॉक्टरों की जरूरत है तो महज 33 डॉक्टरों के कंधे पर ही लाखों मरीजों का बोझ दे दिया गया है. यहां 27 पद रिक्त पड़े हैं.

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अस्पताल अधीक्षक

जिला अस्पताल ही नहीं अनुमंडल, PHC और APHC भी झेल रहे डॉक्टरों की कमी
डॉक्टरों का अभाव का दंश जिले के 14 पीएसची, धमदाहा अनुमंडल अस्पताल, एपीएचसी और सीएचसी का भी है. जिले के ये सभी स्वास्थ्य महकमे डॉक्टरों की भारी कमी से जूझते हुए महज 113 डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं. वहीं, इसके ठीक दोगुना 256 पद रिक्त हैं.

ताजा हालात
1 जून से 15 जून तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक 200 से अधिक मरीज समुचित इलाज की कमी के अभाव में दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिए गए हैं. वहीं, मरने वालों का आंकड़ा 50 पार है.

ईटीवी भारत संवाददाता आकाश की रिपोर्ट

कहां, कितने डॉक्टरों की जरूरत और कितने पद रिक्त?
डॉक्टरों का अभाव मेडिसिन, सर्जरी, प्रेडियोटिक, लाइएकेनोलॉजी जैसे विभागों में हैं. वहीं, नर्स और तकनीकी सहायकों की तादाद भी आधे से कम है.

चिकित्सा केंद्र कार्यरत डॉक्टर की संख्या रिक्त पद
सदर अस्पताल 36 27
सदर आईसीयू 0 5
सदर एसएनसीयू 1 4
धमदाहा अनुमंडल अस्पताल 12 18
PHC धमदाहा 8 2
APHC विशुनपुर धमदाहा 1 1
APHC रंगपुरा धमदाहा 1 1
सब डिविजनल अस्पताल बायसी 30 30
PHC बायसी 2 6
सब डिवीजन बनमनखी 6 24
PHC बनमनखी 1 7
APHC जानकीनगर बनमनखी 1 1
APHC सरसी बनमनखी 0 2
PHC श्रीनगर 2 6
APHC बिकोठी 3 5
APHC मलडीहा बिकोठी 0 2
APHC दिवरा बाजार बिकोठी 2 0
PHC रुपौली 0 5
RH रेफरल हॉस्पिटल रुपौली 2 2
APHC टिकापट्टी 2 0
APHC मोहनपुर 1 1
APHC नकटौलिया 1 1
APHC गद्दीघाट 0 2
समरहट्टा रुपौली 0 2
PHC डगरुआ 1 7
APHC इलाची डगरुआ 1 1
APHC कटारहाट डगरुआ 1 1
अमौर रेफरल हॉस्पिटल 1 3
PHC अमौर 2 6
APHC मछठा अमौर 1 1
APHC हफनिया अमौर 2 0
PHC जलालगढ़ 2 6
PHC के नगर 3 5
PHC वनभाग 1 1
PHC काझा 2 6
APHC चंपानगर के नगर 2 6
CHC कसबा 3 10
CHC बैसा 3 10
APHC कटारहाट बैसा 0 2
APHC सरसी बैसा 0 2
CHC भगवानपुर 3 1
APHC अकबरपुर 2 0
APHC सौंदिक भवानीपुर 1 1
PHC पूर्णिया ईस्ट 1 6
APHC रानीपतरा 1 1
APHC मधेपुरा-पूर्णिया ईस्ट 2 0

पूर्णिया: लोकसभा चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार स्वास्थ्य महकमे की खूबियां गिनवाते हुए विपक्ष पर जमकर बरसे थे. चुनावी सभाओं के दौरान वे जिस-जिस जिले में गए, वहां अपनी उपलब्धियों में प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का खूब बखान किया. लेकिन, वास्तविकता बिल्कुल अलग है. जमीनी स्तर पर हालात बद से बदतर हैं. हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग बेहतर इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं.

चमकी बीमारी के बाद हुई जांच-पड़ताल ने वास्तविक बिहार की तस्वीर सबके सामने लाकर रख दी है. मालूम हो कि बिहार के सबसे पुराने कमिश्नरी में भी स्वास्थ्य अमले का कुछ ऐसा ही हाल है. पूर्णिया जिले की 40 लाख आबादी के अतिरिक्त 7 जिलों से आने वाले करोड़ों मरीजों के लिए अस्पताल में महज 33 डॉक्टर और 300 बेड मौजूद हैं. ऐसे में ज्यादातर मरीजों को जमीन मिलती है.

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जमीन पर हो रहा इलाज

7 जिलों के अलावा सीमा से लगे राज्य व देशों की है निर्भरता
दरअसल, जिले के सदर अस्पताल को सीमांचल के एम्स के नाम से जाना जाता है. अस्पताल प्रबंधन खुद भी यह कहने में कोई हिचक नहीं करते हैं कि पटना से 350 किलोमीटर का फासला होने के कारण लोग इस अस्पताल में आते हैं. यह अस्पताल सीमावर्ती राज्य पश्चिम बंगाल व सीमा से लगे देशों के मरीजों के लिए सुलभ व सस्ते इलाज मुहैया कराता है. लेकिन, सुविधाएं नहीं दे पाता.

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मरीजों से पटा अस्पताल

करोड़ों की आबादी 5 स्ट्रेचर भरोसे
अस्पताल रिकॉर्ड के मुताबिक जिले की 40 लाख आबादी के अतिरिक्त कटिहार, अररिया, किशनगंज, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा के अलावा सीमा से लगे बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर के लोग यहां आते हैं. वहीं, सीमावर्ती देश नेपाल, बांग्लादेश व भूटान के मरीज भी यहां बेहतर इलाज की उम्मीद लिए आते हैं. लिहाजा, कुल आबादी का अनुमान लगाए तो सदर अस्पताल पर आश्रित रहने वाली आबादी का आंकड़ा करोड़ों को छू जाता है. चौंकाने वाली बात यह है कि इनके लिए सदर अस्पताल में महज 33 डॉक्टर, 300 बेड, 5 स्ट्रेचर व 3 व्हील चेयर उपलब्ध है.

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नहीं है जगह

बंद पड़ा है आईसीयू
साल 2010-11 में ही यहां आईसीयू की सुविधा बहाल कर दी गई थी. लेकिन, डॉक्टरों की कमी के कारण यह 8 सालों बाद भी चालू नहीं हो सका है. बता दें कि आईसीयू हर रोज खुलता तो है, मगर साफ-सफाई के लिए.

चौंकाने वाले हैं अस्पताल प्रबंधन के तथ्य
अस्पताल अधीक्षक मधुसूदन प्रसाद की मानें तो वर्तमान में जिले के स्वास्थ्य महकमे को 348 डॉक्टरों की आवश्यकता है. लेकिन, स्वास्थ्य अमला 113 डॉक्टरों से ही काम चला रहा है. वहीं, सदर अस्पताल को जहां 60 डॉक्टरों की जरूरत है तो महज 33 डॉक्टरों के कंधे पर ही लाखों मरीजों का बोझ दे दिया गया है. यहां 27 पद रिक्त पड़े हैं.

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अस्पताल अधीक्षक

जिला अस्पताल ही नहीं अनुमंडल, PHC और APHC भी झेल रहे डॉक्टरों की कमी
डॉक्टरों का अभाव का दंश जिले के 14 पीएसची, धमदाहा अनुमंडल अस्पताल, एपीएचसी और सीएचसी का भी है. जिले के ये सभी स्वास्थ्य महकमे डॉक्टरों की भारी कमी से जूझते हुए महज 113 डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं. वहीं, इसके ठीक दोगुना 256 पद रिक्त हैं.

ताजा हालात
1 जून से 15 जून तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक 200 से अधिक मरीज समुचित इलाज की कमी के अभाव में दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिए गए हैं. वहीं, मरने वालों का आंकड़ा 50 पार है.

ईटीवी भारत संवाददाता आकाश की रिपोर्ट

कहां, कितने डॉक्टरों की जरूरत और कितने पद रिक्त?
डॉक्टरों का अभाव मेडिसिन, सर्जरी, प्रेडियोटिक, लाइएकेनोलॉजी जैसे विभागों में हैं. वहीं, नर्स और तकनीकी सहायकों की तादाद भी आधे से कम है.

चिकित्सा केंद्र कार्यरत डॉक्टर की संख्या रिक्त पद
सदर अस्पताल 36 27
सदर आईसीयू 0 5
सदर एसएनसीयू 1 4
धमदाहा अनुमंडल अस्पताल 12 18
PHC धमदाहा 8 2
APHC विशुनपुर धमदाहा 1 1
APHC रंगपुरा धमदाहा 1 1
सब डिविजनल अस्पताल बायसी 30 30
PHC बायसी 2 6
सब डिवीजन बनमनखी 6 24
PHC बनमनखी 1 7
APHC जानकीनगर बनमनखी 1 1
APHC सरसी बनमनखी 0 2
PHC श्रीनगर 2 6
APHC बिकोठी 3 5
APHC मलडीहा बिकोठी 0 2
APHC दिवरा बाजार बिकोठी 2 0
PHC रुपौली 0 5
RH रेफरल हॉस्पिटल रुपौली 2 2
APHC टिकापट्टी 2 0
APHC मोहनपुर 1 1
APHC नकटौलिया 1 1
APHC गद्दीघाट 0 2
समरहट्टा रुपौली 0 2
PHC डगरुआ 1 7
APHC इलाची डगरुआ 1 1
APHC कटारहाट डगरुआ 1 1
अमौर रेफरल हॉस्पिटल 1 3
PHC अमौर 2 6
APHC मछठा अमौर 1 1
APHC हफनिया अमौर 2 0
PHC जलालगढ़ 2 6
PHC के नगर 3 5
PHC वनभाग 1 1
PHC काझा 2 6
APHC चंपानगर के नगर 2 6
CHC कसबा 3 10
CHC बैसा 3 10
APHC कटारहाट बैसा 0 2
APHC सरसी बैसा 0 2
CHC भगवानपुर 3 1
APHC अकबरपुर 2 0
APHC सौंदिक भवानीपुर 1 1
PHC पूर्णिया ईस्ट 1 6
APHC रानीपतरा 1 1
APHC मधेपुरा-पूर्णिया ईस्ट 2 0
Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)

special depth report।

बीते दिनों स्वास्थ्य महकमे की खूबियां गिनाकर सीएम नीतीश कुमार विपक्ष पर जमकर बरसे थे। इन चुनावी सभाओं के दौरान वे जिस -जिस जिले में संबोधन के लिए गए अपने अचीवमेंट में हेल्थ को रखा। मगर वास्तव में बिहार के स्वास्थ्य अमले की हालत कितनी खस्ताहाल है चमकी ,लू और अब नीति आयोग की रिपोर्ट ने सबके सामने लाकर रख दिया है। बिहार के सबसे पुराने कमीशनरी में भी स्वास्थ्य अमले का कुछ ऐसा ही हाल है। जहां जिले की 40 लाख आबादी के अतिरिक्त 7 जिलों से आने वाले करोड़ों मरीजों के लिए महज 33 डॉक्टर और 300 बेड ही हैं। दुर्दशा की कहानी कहता यह जिले का सदर अस्पताल है।




Body:7 जिलों के अलावा सीमा से लगे राज्य व देशों की है निर्भरता..

दरअसल जिले के सदर अस्पताल को सीमांचल के एम्स के नाम
से जाना जाता है। अस्पताल प्रबंधन खुद भी यह कहने में कोई हाजो-हिचक नहीं रखता कि पटना से 350 किलोमीटर का फासला होने के कारण महज जिले के 40 लाख लोग ही नहीं बल्कि पड़ोस के 7 जिलों के अतिरिक्त सीमावर्ती राज्य पश्चिम बंगाल व सीमा से लगे देशों से सुलभ व सस्ते इलाज की आश में यहां इलाज के लिए आते हैं। लिहाजा मरीजों के बढ़ते तादाद पर दबे शब्दों में ही सही मगर अस्पताल प्रबंधन भी डॉक्टर व संसाधनों की कमी से जूझने की बात स्वीकार रहा है।


करोड़ों की आबादी महज 33 डॉक्टर ,300 बेड के भरोसे...


अस्पताल के रिकॉर्ड बुक के मुताबिक जिले के 40 लाख आबादी के अतिरिक्त कटिहार ,अरिरिया ,किशनगंज ,सहरसा ,सुपौल , मधेपुरा के अलावा सीमा से लगे बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जैसे आधा दर्जन जिले शामिल हैं। तो वहीं सीमावर्ती देश नेपाल ,बांग्लादेश व भूटान के वैसे मरीज भी यहां बेहतर इलाज की उम्मीद में आते हैं। जो फिलहाल सीमांचल ,कोसी व नेपाल में रोज कमाओं-रोज खाओ की नीति से भारतीय सरजमीं पर रहकर तत्काल अपना गुजारा कर रहे हैं। लिहाजा इस आबादी को ऐड करें तो सदर अस्पताल पर आश्रित रहने वाली आबादी का आंकड़ा करोड़ों को छू जाता है। चौकाने वाली बात यह है इन सब के लिए इस वक़्त सदर अस्पताल में महज 33 डॉक्टर 300 बेड व 5 स्ट्रेचर व 3 व्हील हेयर ही उपलब्ध हैं।


डॉक्टरों की कमी से ही बंद पड़ा है आईसीयू...

वहीं वह सदर अस्पताल जिसे सीमांचल का एम्स कहते हैं। यह शायद देश का ऐसा पहला एम्स होगा। जो अपने शुरुआती दिनों से लेकर आज तक बंद है। वहीं अस्पताल प्रबंधन इसे सहजता से स्वीकार करता है कि जिस आईसीयू की सुविधा 2010-11 में ही बहाल कर दी गयी। वह डॉक्टरों की कमी से जूझने के कारण आज 8 सालों बाद भी चालू नहीं हो सका है। इस तरह इन 8 सालों में 50 से भी कम लोगों को आईसीयू के रिकॉर्ड लिस्ट में जगह मिल सकी। आईसीयू हर रोज खुलता तो है। मगर साफ-सफाई के लिए।



7 जिलों के उम्मीदों से जुड़ा है अस्पताल....


दरअसल अस्पताल प्रबंधन से हासिल हुए आंकड़ों पर एक नजर डालें। तो पटना से 350 किलोमीटर का फासला होने के कारण महज जिले से ही नहीं। बल्कि सीमांचल व कोसी के 7 जिले के अलावा सीमावर्ती पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों से भी लोग यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं। एक अनुमान के मुताबिक ऐसे मरीजों की संख्या जिले के मरीजों की संख्या का 30 फीसद है। बावजूद अबतक यहां दाखिल होने वाले मरीजों को आईसीयू सेवा ठप होने के कारण या तो अपनी जान गबानी पड़ रही है। या फिर रेफर कर दिया जाता है।


बड़े चौकाने वाले हैं अस्पताल प्रबंधन के तथ्य....

दरअसल सदर अस्पताल के अधीक्षक मधुसूदन प्रसाद की मानें तो इस वक़्त जिले के स्वास्थ्य महकमे को जहां 348 डॉक्टरों की नितांत आवश्यकता है। स्वास्थ्य अमला 113 डॉक्टरों से ही काम चला रहा है। सदर अस्पताल को जहां 60 डॉक्टरों की जरूरत है। महज 33 डॉक्टरों के कंधे पर ही जिले के लाखों मरीजों के अलावा सीमा से सटे राज्यों व देशों के मरीजों के इलाज के भार का जिम्मा है। 27 पद रिक्त पड़े हैं। वहीं 1996 के बाद से जिन नए डॉक्टरों की नियुक्ति की प्रक्रिया आगे बढ़ी। इनमें से 17 अब तक अस्थायी हैं।


जिला अस्पताल ही नहीं अनुमंडल ,पीएचसी व एपीएचसी भी झेल रहा डॉक्टरों की कमी...


कुछ यही हाल जिले के 14 पीएसची ,धमदाहा अनुमंडल अस्पताल व सीएचसी का भी है। जिले के ये सभी स्वास्थ्य महकमे जहां इस वक़्त डॉक्टरों की भारी कमी से जुझते हुए महज 113 डॉक्टरों के भरोसे ही चल रहा है। वहीं इसके ठीक दोगुने 256 डॉक्टर के पद रिक्त हैं। वहीं इससे इतर
सदर अस्पताल के रिकॉर्ड डायरी पर गौर करें तो रोजाना सैकड़ों मरीज यहां इलाज के लिए भर्ती होते हैं। इनमें से सभी सीरियस पेसेंट को डॉक्टर ,आईसीयू व अन्य संसाधनों की कमी के कारण
दूसरे अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। 1 जून से 15 जून तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक 200 से अधिक पेसेंट समुचित इलाज की कमी के आभाव में रेफर कर दिए गए। वहीं मरने वाले पेसेंट का आंकड़ा 50 पार का है।


जाने कहां कितने डॉक्टरों की जरूरत और कितने पद रिक्त...


सदर अस्पताल के सीएस मधुसूदन प्रसाद द्वारा ईटीवी भारत को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में दी गयी जानकारी के मुताबिक वे विभाग जो डॉक्टरों की कमी से सबसे अधिक जूझ रहे हैं इनमें मेडिसिन , सर्जरी, प्रेडियोटिक ,लाइएकेनोलॉजी जैसे विभाग शामिल हैं। वहीं नर्स व तकनीकी सहायकों की तादाद भी आधे से कम है।

चिकित्सा केंद्र - कार्यरत डॉक्टर की संख्या - डॉक्टरों के रिक्त पद

जिला सदर अस्पताल - 36(33 कार्यरत 3 एबसेंट) -27 पद रिक्त

सदर आईसीयू- सभी 5 पद रिक्त

सदर एसएनसीयू - एक चिकित्सक कार्यरत - 4 पद रिक्त

धमदाहा अनुमंडल अस्पताल- 12 कार्यरत - 18 रिक्त

PHC धमदाहा - सभी 8 पद पर चिकित्सक कार्यरत- 2 एबसेंट

APHC विशुनपुर धमदाहा- 1 चिकित्सक कार्यरत - 1 पद रिक्त

APHC रंगपुरा धमदाहा- 1 चिकित्सक कार्यरत - 1 पद रिक्त

सब डिविजनल अस्पताल बायसी- सभी 30 पद रिक्त

PHC बायसी - 2 चिकित्सक कार्यरत - 6 पद रिक्त

सब डिवीजन बनमनखी - 6 चिकित्सक कार्यरत -24 रिक्त

PHC बनमनखी - 1 चिकित्सक कार्यरत - 7 पद रिक्त

APHC जानकीनगर बनमनखी- 1 चिकित्सक कार्यरत- 1 पद रिक्त

APHC सरसी बनमनखी- सभी 2 पद रिक्त

PHC श्रीनगर - 2 चिकित्सक कार्यरत - 6 पद रिक्त

APHC बिकोठी - 3 चिकित्सक कार्यरत - 5 पद रिक्त

APHC मलडीहा बिकोठी - सभी 2 पद रिक्त

APHC दिवरा बाजार बिकोठी - सभी दो पर कार्यरत

PHC रुपौली- सभी 5 पद रिक्त

RH रेफरल हॉस्पिटल रुपौली- 2 चिकित्सक कार्यरत- 2 पद रिक्त

APHC टिकापट्टी- सभी दो पर कार्यरत

APHC मोहनपुर- 1 चिकित्सक कार्यरत- 1 पद रिक्त

APHC नकटौलिया- 1 चिकित्सक कार्यरत- 1 पद रिक्त

APHC गद्दीघाट - सभी दो पद रिक्त

समरहट्टा रुपौली - सभी दो पद रिक्त

PHC डगरुआ- 1 चिकित्सक कार्यरत- 7 पद रिक्त

APHC इलाची डगरुआ- 1 चिकित्सक कार्यरत- 1 पद रिक्त

APHC कटारहाट डगरुआ- 1 चिकित्सक कार्यरत- 1 पद रिक्त

अमौर रेफरल हॉस्पिटल- 1 चिकित्सक कार्यरत- 3 पद रिक्त

PHC अमौर- 2 चिकित्सक कार्यरत - 6 पद रिक्त

APHC मछठा अमौर- 1 चिकित्सक कार्यरत - 1 पद रिक्त

APHC हफनिया अमौर- सभी 2 चिकित्सक कार्यरत

PHC जलालगढ़- 2 चिकित्सक कार्यरत -6 पद रिक्त

PHC के नगर- 3 चिकित्सक कार्यरत - 5 पद रिक्त

PHC वनभाग- 1 चिकित्सक कार्यरत - 1पद रिक्त

PHC काझा- 2 चिकित्सक कार्यरत -6 पद रिक्त

APHC चंपानगर के नगर- 2 चिकित्सक कार्यरत -6 पद रिक्त

CHC कसबा-3 चिकित्सक कार्यरत- 10 पद रिक्त

CHC बैसा- 3 चिकित्सक कार्यरत- 10 पद रिक्त

APHC कटारहाट बैसा- सभी 2 पद रिक्त

APHC सरसी बैसा- सभी 2 पद रिक्त

CHC भगवानपुर- 3 चिकित्सक कार्यरत - 1 पद रिक्त

APHC अकबरपुर-भoपo- दोनों चिकित्सक कार्यरत

APHC सौंदिक भवानीपुर- 1 कार्यरत- 1 एबसेंट

PHC पूर्णिया ईस्ट- 1 चिकित्सक कार्यरत -6 पद रिक्त

APHC रानीपतरा- 1 चिकित्सक कार्यरत - 1 पद रिक्त

APHC मधेपुरा-पूर्णिया ईस्ट- सभी दो चिकित्सक कार्यरत



क्या कहते हैं सीएस...


वहीं सदर अस्पताल अधीक्षक मधुसूदन प्रसाद ने ईटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि आईसीयू के बंद होने के साथ ही मरीजों को अधिक समय न दे पानी की एक बड़ी वजह वजह डॉक्टर , नर्स , टेक्निकल स्टाफ की कमी है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कमी को राज्य स्तर पर ही दूर किया जा सकता है।

जानें जनता जनार्दन की राय..

वहीं यहां आने वाले मरीज भी यह बात स्वीकार करते हैं। कि जितनी तादाद में यहां मरीज बेहतर इलाज की आश में दाखिल होते हैं। वह डॉक्टरों की कमी से जूझने की वजह से वह चिकित्सीय सुविधा यहां आने वाले मरीजों को नहीं मिल पा रही है। न तो डॉक्टरों अधिक मरीज वह पर्याप्त समय की कमी के एवज में बेहतर इलाज दे पाते हैं। और न ही जरूरत की दवा व ही
मेडिसिन विभाग से मिल पाती है।


Conclusion:
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