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पूर्णिया की चीनी मिल लोगों से कर रहीं दर्द बयां, अस्तित्व बचाने के लिए लड़ रही जंग - पूर्णिया समाचार

जिले के बनमनखी अनुमंडल मुख्यालय में स्थित चीनी मिल अपनी बदहाली पर आंसू बहाती नजर आ रही है. इसकी स्थापना 1955 ई. में कांग्रेस सरकार के शासन काल में केंद्रीय सहकारिता मंत्री ऐकेडे ने उद्घाटन किया था. वहीं अब इसकी हालात बद से बदतर हो गई है.

banmankhi suger factory condition deteriorated
चीनी मिल की स्थिति खराब
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Published : Oct 24, 2020, 1:04 PM IST

पूर्णिया: बिहार का प्रथम सहकारिता चीनी मिल पूर्णिया जिला के बनमनखी अनुमंडल मुख्यालय में स्थित है. यह अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए जंग लड़ रही है. अब चीनी मिल की स्थिति दिन-प्रतिदिन बद से बदतर हो गई है. इसके साथ ही अब ये खंडर इमारत हर आने-जाने वाले लोगों को अपना दर्द बयां कर रही है.

1955 ई में कांग्रेस के केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने किया था उद्घाटन
बनमनखी चीनी मिल 118 एकड़ 55 डी. भूभाग में अवस्थित है. इसकी स्थापना 1955 ई. में कांग्रेस सरकार के शासन काल में केंद्रीय सहकारिता मंत्री ऐकेडे ने उद्घाटन किया था. इसके बाद वर्ष 1970 ई. से मिल से उत्पाद शुरू हुआ था. इस समय मिल की क्षमता प्रतिदिन एक हजार क्विंटल ईख पेरने और एक हजार बोरी चीनी तैयार करने की थी. इस समय मिल में करीब 1000 स्त्री व पुरुष कार्यरत थे. इसमें करीब 300 स्थाई, 500 अस्थाई और 200 दैनिक मजदूरों का चूल्हा जलता था. इस मिल को एशिया का सबसे बड़ा आधुनिक चीनी मिल का खिताब भी इनके नाम है.

महज 27-28 वर्ष की अल्प आयु में बंद हुई मिल
वर्ष 1997-98 में मिल महज की 27-28 वर्ष की अल्प आयु में ही मौत हो गई. 27-28 वर्ष की अल्प आयु में मिल ने कई ऐसे सुहाने सपने देखे और उस सपने ने दम भी तोड़ा कुछ सपने दफन भी हुए हैं. यहां के लोग वर्ष 1997-98 को हराशंख वर्ष के रूप में देखते हैं, क्योंकि इस वर्ष बनमनखी की रोनक और लक्ष्मी दोनों चली गई. जानकार बताते है कि ये कभी क्षेत्र गन्नांचल के नाम से जाने जाते थे. गन्ना उपज के लिए इस क्षेत्र का मिट्टी प्रसिद्ध है. इस इलाके में चारो ओर सिर्फ गन्ना की खेती होती थी.

लालू राज में बंद हुई मिल
जनता सरकार और विपक्ष दोनों से सवाल पूछ रही है. कई सरकार आई गई लोकिन मिल का कुछ नहीं हो सका. लालू यादव की सरकार में मिल बंद हुई तो सुशासन की सरकार भी बंद पड़े मिल को चालू नहीं करा सका. चुनाव के समय में मिल पर राजनीतिक सुगबुगाहट क्यों तेज हो जाती है. चुनाव बीतने के बाद माहौल जस का तस सभी दावें और वादे बिल्कुल ध्वस्त हो जाते हैं. लालू की सरकार में बंद हुई सुशासन की सरकार में और बद से बदतर हो गई. मिल को दोनों सरकार ने मिलकर बर्बाद कर दिया. लोगों का कहना है कि सरकार की प्रबल इच्छा शक्ति होगी तो पुनः मिल को चालू किया जा सकता है.

चार माह पूर्व किया था सर्वे
इसी वर्ष 22 जून को बिहार सरकार की गन्ना मंत्री बीमा भारती, स्थानीय विधायक सह पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, मुंबई के एक कंपनी रेहेजा एण्ड प्रसाद के डायरेक्टर, बियाडा और गन्ना विभाग के अधिकारियों की टीम ने बनमनखी चीनी मिल के अवशेष और जमीन का जायजा लिया था. इस निरीक्षण के दौरान गन्ना मंत्री बीमा भारती ने कहा था कि बनमनखी चीनी मिल को लेकर पटना में गन्ना विभाग, उद्योग विभाग और बियाडा के अधिकारियों के साथ बैठक कर बियाडा को ट्रांसफर चीनी मिल की जमीन को रेहेजा एंड प्रसाद कंपनी को ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया था. चीनी मिल पुनः चालू होने के संबंध में मुख्यमंत्री से भी बात हुई थी. इसके बाद बहुत जल्द भूमि पूजन कर निर्माण कार्य शुरू करवाया जाएगा. इस मौके पर मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने कहा था कि यह जमीन सरकार बियाडा को ट्रांसफर कर दी है. अब बियाडा जमीन नई कंपनी को देने का काम अंतिम चरण में है.

एक साल में उत्पादन शुरू करने की बात
इस निरीक्षण के क्रम में कंपनी के डायरेक्टर गोपाल प्रसाद ने कहा था कि बनमनखी में चीनी मिल के निर्माण को लेकर 1 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. इस मिल की उत्पादक क्षमता 5 हजार टन की होगी. इसके साथ ही मिल से इथनोल केमिकल के साथ-साथ 30 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन होगा. उन्होंने कहा था कि सरकार जमीन देती है तो शीघ्र मिल के जमीन को अधिग्रहण कर कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा. एक साल के अंदर इस मिल से चीनी उत्पादन का काम शुरू हो जाएगा. उन्होंने कहा था कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बनमनखी चीनी मिल से क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार भी मिलना शुरू हो जाएगा.

गन्ना मंत्री नीतीश मिश्र का आश्वासन बेकार
2005 में जब पहली बार सुशासन की सरकार बनी थी, तो सरकार गठन के एक साल बाद नीतीश सरकार के तत्कालीन गन्ना मंत्री नीतीश मिश्र बनमनखी के बंद पड़े मिल को देखने आए थे. मंत्री ने निरीक्षण के दौरान ही बनमनखी के हजारों लोगों को अश्वस्त करके गए थे कि इस बंद पड़े मिल को पुनः चालू कर दिया जाएगा. मंत्री जी आने की सूचना को सुन बनमनखी के हजारों आम-अवाम, गन्ना किसानों ने किसान गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित की थी. इस कार्यक्रम में सभी लोगों ने बंद चीनी मिल को पुनः चालू करवाने की मांग रखी थी, लेकिन आज तक मंत्री जी की बात हवा हवाई ही बनकर रह गई.
मिल खुलने से अप्रत्यक्ष रूप से मिलेगा रोजगार
चीनी मिल खुल जाने से बनमनखी ही नहीं बल्कि कोसी-सीमांचल के किसान फिर से गन्ना उपजाकर खुशहाल और समृद्ध बन जाएंगे. इसके अलावा मिल चालू हो जाने के बाद इस क्षेत्र के गरीब चीनी मिल के आसपास दर्जनों छोटे-बड़े दुकान खोलकर अपना परिवार का गुजर बसर कर पाएंगे.

प्रत्यक्ष रूप से मिलेगा रोजगार
रेहेजा एण्ड प्रसाद कंपनी के डायरेक्टर गोपाल प्रसाद ने बताया कि बनमनखी चीनी मिल की जमीन अगर उन्हें मिल जाती है तो वहां तीन तरह के रोजगार लगाएंगे. इसमें चीनी उत्पाद, इथनाॅल केमिकल उत्पाद और 30 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. इसमे डेली बेसिस और परमानेंट से करीब 1500 लोगों को रोजगार मिलेगा. चीनी मिल में 180 परमानेंट, इथनाॅल में 60 और बिजली में 140 लोगों को परमानेंट नौकरी मिलेगी. इसके अलावा जिस हिसाब से रिक्वायरमेंट होगा उस हिसाब से रोजगार का सोर्स घटेगा और बढे़गा.

पूर्णिया: बिहार का प्रथम सहकारिता चीनी मिल पूर्णिया जिला के बनमनखी अनुमंडल मुख्यालय में स्थित है. यह अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए जंग लड़ रही है. अब चीनी मिल की स्थिति दिन-प्रतिदिन बद से बदतर हो गई है. इसके साथ ही अब ये खंडर इमारत हर आने-जाने वाले लोगों को अपना दर्द बयां कर रही है.

1955 ई में कांग्रेस के केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने किया था उद्घाटन
बनमनखी चीनी मिल 118 एकड़ 55 डी. भूभाग में अवस्थित है. इसकी स्थापना 1955 ई. में कांग्रेस सरकार के शासन काल में केंद्रीय सहकारिता मंत्री ऐकेडे ने उद्घाटन किया था. इसके बाद वर्ष 1970 ई. से मिल से उत्पाद शुरू हुआ था. इस समय मिल की क्षमता प्रतिदिन एक हजार क्विंटल ईख पेरने और एक हजार बोरी चीनी तैयार करने की थी. इस समय मिल में करीब 1000 स्त्री व पुरुष कार्यरत थे. इसमें करीब 300 स्थाई, 500 अस्थाई और 200 दैनिक मजदूरों का चूल्हा जलता था. इस मिल को एशिया का सबसे बड़ा आधुनिक चीनी मिल का खिताब भी इनके नाम है.

महज 27-28 वर्ष की अल्प आयु में बंद हुई मिल
वर्ष 1997-98 में मिल महज की 27-28 वर्ष की अल्प आयु में ही मौत हो गई. 27-28 वर्ष की अल्प आयु में मिल ने कई ऐसे सुहाने सपने देखे और उस सपने ने दम भी तोड़ा कुछ सपने दफन भी हुए हैं. यहां के लोग वर्ष 1997-98 को हराशंख वर्ष के रूप में देखते हैं, क्योंकि इस वर्ष बनमनखी की रोनक और लक्ष्मी दोनों चली गई. जानकार बताते है कि ये कभी क्षेत्र गन्नांचल के नाम से जाने जाते थे. गन्ना उपज के लिए इस क्षेत्र का मिट्टी प्रसिद्ध है. इस इलाके में चारो ओर सिर्फ गन्ना की खेती होती थी.

लालू राज में बंद हुई मिल
जनता सरकार और विपक्ष दोनों से सवाल पूछ रही है. कई सरकार आई गई लोकिन मिल का कुछ नहीं हो सका. लालू यादव की सरकार में मिल बंद हुई तो सुशासन की सरकार भी बंद पड़े मिल को चालू नहीं करा सका. चुनाव के समय में मिल पर राजनीतिक सुगबुगाहट क्यों तेज हो जाती है. चुनाव बीतने के बाद माहौल जस का तस सभी दावें और वादे बिल्कुल ध्वस्त हो जाते हैं. लालू की सरकार में बंद हुई सुशासन की सरकार में और बद से बदतर हो गई. मिल को दोनों सरकार ने मिलकर बर्बाद कर दिया. लोगों का कहना है कि सरकार की प्रबल इच्छा शक्ति होगी तो पुनः मिल को चालू किया जा सकता है.

चार माह पूर्व किया था सर्वे
इसी वर्ष 22 जून को बिहार सरकार की गन्ना मंत्री बीमा भारती, स्थानीय विधायक सह पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, मुंबई के एक कंपनी रेहेजा एण्ड प्रसाद के डायरेक्टर, बियाडा और गन्ना विभाग के अधिकारियों की टीम ने बनमनखी चीनी मिल के अवशेष और जमीन का जायजा लिया था. इस निरीक्षण के दौरान गन्ना मंत्री बीमा भारती ने कहा था कि बनमनखी चीनी मिल को लेकर पटना में गन्ना विभाग, उद्योग विभाग और बियाडा के अधिकारियों के साथ बैठक कर बियाडा को ट्रांसफर चीनी मिल की जमीन को रेहेजा एंड प्रसाद कंपनी को ट्रांसफर करने का निर्णय लिया गया था. चीनी मिल पुनः चालू होने के संबंध में मुख्यमंत्री से भी बात हुई थी. इसके बाद बहुत जल्द भूमि पूजन कर निर्माण कार्य शुरू करवाया जाएगा. इस मौके पर मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने कहा था कि यह जमीन सरकार बियाडा को ट्रांसफर कर दी है. अब बियाडा जमीन नई कंपनी को देने का काम अंतिम चरण में है.

एक साल में उत्पादन शुरू करने की बात
इस निरीक्षण के क्रम में कंपनी के डायरेक्टर गोपाल प्रसाद ने कहा था कि बनमनखी में चीनी मिल के निर्माण को लेकर 1 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. इस मिल की उत्पादक क्षमता 5 हजार टन की होगी. इसके साथ ही मिल से इथनोल केमिकल के साथ-साथ 30 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन होगा. उन्होंने कहा था कि सरकार जमीन देती है तो शीघ्र मिल के जमीन को अधिग्रहण कर कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा. एक साल के अंदर इस मिल से चीनी उत्पादन का काम शुरू हो जाएगा. उन्होंने कहा था कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बनमनखी चीनी मिल से क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार भी मिलना शुरू हो जाएगा.

गन्ना मंत्री नीतीश मिश्र का आश्वासन बेकार
2005 में जब पहली बार सुशासन की सरकार बनी थी, तो सरकार गठन के एक साल बाद नीतीश सरकार के तत्कालीन गन्ना मंत्री नीतीश मिश्र बनमनखी के बंद पड़े मिल को देखने आए थे. मंत्री ने निरीक्षण के दौरान ही बनमनखी के हजारों लोगों को अश्वस्त करके गए थे कि इस बंद पड़े मिल को पुनः चालू कर दिया जाएगा. मंत्री जी आने की सूचना को सुन बनमनखी के हजारों आम-अवाम, गन्ना किसानों ने किसान गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित की थी. इस कार्यक्रम में सभी लोगों ने बंद चीनी मिल को पुनः चालू करवाने की मांग रखी थी, लेकिन आज तक मंत्री जी की बात हवा हवाई ही बनकर रह गई.
मिल खुलने से अप्रत्यक्ष रूप से मिलेगा रोजगार
चीनी मिल खुल जाने से बनमनखी ही नहीं बल्कि कोसी-सीमांचल के किसान फिर से गन्ना उपजाकर खुशहाल और समृद्ध बन जाएंगे. इसके अलावा मिल चालू हो जाने के बाद इस क्षेत्र के गरीब चीनी मिल के आसपास दर्जनों छोटे-बड़े दुकान खोलकर अपना परिवार का गुजर बसर कर पाएंगे.

प्रत्यक्ष रूप से मिलेगा रोजगार
रेहेजा एण्ड प्रसाद कंपनी के डायरेक्टर गोपाल प्रसाद ने बताया कि बनमनखी चीनी मिल की जमीन अगर उन्हें मिल जाती है तो वहां तीन तरह के रोजगार लगाएंगे. इसमें चीनी उत्पाद, इथनाॅल केमिकल उत्पाद और 30 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. इसमे डेली बेसिस और परमानेंट से करीब 1500 लोगों को रोजगार मिलेगा. चीनी मिल में 180 परमानेंट, इथनाॅल में 60 और बिजली में 140 लोगों को परमानेंट नौकरी मिलेगी. इसके अलावा जिस हिसाब से रिक्वायरमेंट होगा उस हिसाब से रोजगार का सोर्स घटेगा और बढे़गा.

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