पटनाः बिहार सरकार राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में भ्रष्टाचार कम करने के लिए एक के बाद एक नियम लागू कर रही है. पिछले दिनों विभाग के मंत्री ने भी चार्जर निगमन से कहा था कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में काफी भ्रष्टाचार है. जमीन म्यूटेशन चेन्नई व्यवस्था के बाद अब विभाग ने जमाबंदी पंजी को लेकर नया फैसला लागू किया है. राजस्व कर्मचारी जमाबंदी पंजी में कोई मनमानी नहीं कर सके इसके लिए अंचलाधिकारी को इसका संरक्षक बना गया है.
कचहरी में रखना होगा दस्तावेज
अब कोई भी कर्मचारी जमाबंदी पंजी को किसी भी हालात में अपने घर नहीं ले जा सकेंगे. हर हाल में पंचायत सरकार भवन या राजस्व कचहरी में ही सभी दस्तावेज रखे जाएंगे. जहां ऐसे सरकारी भवन नहीं होंगे वहां अंचल कार्यालय में ही दस्तावेज रखने होंगे और प्रतिदिन का काम भी वही करना होगा. विभाग का निर्देश निकलने के पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले में विभाग को साफ निर्देश दिया था कि कोई कर्मी सरकारी दस्तावेज घर लेकर नहीं जाएगा. इसके बाद मुख्य सचिव दीपक कुमार ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर सभी डीएम को निर्देशित किया था. दरअसल जमाबंदी पंजी ही किसी जमीन का मालिकाना हक जानने के लिए मूल सरकारी दस्तावेज होता है. जमीन की खरीद बिक्री के बाद उसी पंजी के आधार पर म्यूटेशन भी होता है.
ऐसे होती थी परेशानी
अब तक राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के कर्मचारी जमाबंदी पंजी का इस्तेमाल निजी दस्तावेज की तरह करते रहे हैं. जिसके कारण किसी भी जमीन खरीदने या बेचने वाले को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था. कर्मचारी की मिलीभगत से कागज का हेरफेर कर किसी के भी नाम जमाबंदी कायम कर दिया करते थे.जिसके बाद अंचलाधिकारी से इसकी सहमति ले लेते थे. कई बार तो पुरानी जमाबंदी का पन्ना फाड़ का कर्मचारी हटा देते थे और फिर नए नाम से जल्दी खोल देते थे. जिसके चलते जमीन संबंधी विवाद लगातार बढ़ता जा रहा था.
म्यूटेशन की व्यवस्था शुरू
राज्य सरकार ने हाल में म्यूटेशन की नई व्यवस्था शुरू की है. जमीन रजिस्ट्री के साथ ही खुद ब खुद में म्यूटेशन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. म्यूटेशन के लिए अब जमीन मालिकों ऑनलाइन आवेदन करने की भी जरूरत नहीं होगी. जमीन की रजिस्ट्री नहीं हुई होते ही पूरा रिकॉर्ड अंचलाधिकारी के पास चला जाएगा.