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पटना पुस्तक मेला में स्लम छात्रों की शिक्षा के लिए युवा जुटा रहे चंदा, बोले- '2030 तक पूर्ण शिक्षित हो बिहार'

स्लम बच्चों की शिक्षा के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे युवक पंकज कुमार बताते हैं कि स्लम के बच्चें जो नशीली पदार्थों के शिकार हो रहे हैं, उन्हें अच्छी शिक्षा देने का वे लोग प्रयास कर रहे हैं.

स्लम छात्रों की शिक्षा के लिए युवा जुटा रहे चंदा
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Published : Nov 18, 2019, 3:21 PM IST

पटना: राजधानी के गांधी मैदान में चल रहे पुस्तक मेला में कई नई चीजें देखने को मिल रही है. पुस्तक मेले के प्रवेश द्वार पर सॉफ्टवेयर डेवलपर का काम करने वाले कुछ युवा रोजाना ड्यूटी खत्म करने के बाद शाम में मेला पहुंचकर स्लम के बच्चों को शिक्षित करने के लिए पैसे इकट्ठा कर रहे हैं. इसके लिए वे पुस्तक मेला में आने जाने वाले सभी लोगों के सामने एक बॉक्स लेकर घूम रहे हैं. जिसमें वे गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए राशि जमा कर रहे हैं.

रोजाना शाम को 3 घंटे श्रम कर जुटा रहे पैसे
पुस्तक मेला में 3 से 4 की संख्या में मौजूद ये युवा रोजाना शाम में 3 घंटे श्रम कर गरीब छात्रों को शिक्षा देने के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. वे रोजाना लगभग ₹2000 तक इकट्ठा कर लेते हैं. वहीं, मेले में आने वाले छात्र-छात्राएं स्लम बच्चों के शिक्षा के लिए सहायता करने में सबसे ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

स्लम छात्रों की शिक्षा के लिए युवा जुटा रहे चंदा

'2030 तक बिहार में शिक्षा का दर शत प्रतिशत हो'
चाइल्ड एजुकेशन ट्रस्ट के तहत स्लम बच्चों की शिक्षा के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे युवक पंकज कुमार बताते हैं कि स्लम के बच्चें जो नशीली पदार्थों के शिकार हो रहे हैं, उन्हें अच्छी शिक्षा देने का वे लोग प्रयास कर रहे हैं. पंकज ने बताया कि ड्यूटी खत्म करने के बाद वे और उनके साथी गरीब बच्चों को शिक्षा देने के लिए रोजाना 3 घंटे का समय निकालते हैं. साथ ही उनका लक्ष्य 2030 तक बिहार में शिक्षा का दर शत प्रतिशत करना है.

पटना: राजधानी के गांधी मैदान में चल रहे पुस्तक मेला में कई नई चीजें देखने को मिल रही है. पुस्तक मेले के प्रवेश द्वार पर सॉफ्टवेयर डेवलपर का काम करने वाले कुछ युवा रोजाना ड्यूटी खत्म करने के बाद शाम में मेला पहुंचकर स्लम के बच्चों को शिक्षित करने के लिए पैसे इकट्ठा कर रहे हैं. इसके लिए वे पुस्तक मेला में आने जाने वाले सभी लोगों के सामने एक बॉक्स लेकर घूम रहे हैं. जिसमें वे गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए राशि जमा कर रहे हैं.

रोजाना शाम को 3 घंटे श्रम कर जुटा रहे पैसे
पुस्तक मेला में 3 से 4 की संख्या में मौजूद ये युवा रोजाना शाम में 3 घंटे श्रम कर गरीब छात्रों को शिक्षा देने के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. वे रोजाना लगभग ₹2000 तक इकट्ठा कर लेते हैं. वहीं, मेले में आने वाले छात्र-छात्राएं स्लम बच्चों के शिक्षा के लिए सहायता करने में सबसे ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

स्लम छात्रों की शिक्षा के लिए युवा जुटा रहे चंदा

'2030 तक बिहार में शिक्षा का दर शत प्रतिशत हो'
चाइल्ड एजुकेशन ट्रस्ट के तहत स्लम बच्चों की शिक्षा के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे युवक पंकज कुमार बताते हैं कि स्लम के बच्चें जो नशीली पदार्थों के शिकार हो रहे हैं, उन्हें अच्छी शिक्षा देने का वे लोग प्रयास कर रहे हैं. पंकज ने बताया कि ड्यूटी खत्म करने के बाद वे और उनके साथी गरीब बच्चों को शिक्षा देने के लिए रोजाना 3 घंटे का समय निकालते हैं. साथ ही उनका लक्ष्य 2030 तक बिहार में शिक्षा का दर शत प्रतिशत करना है.

Intro:राजधानी पटना के गांधी मैदान में चल रहे पुस्तक मेला में कई नई नई चीजें देखने को मिल रही है. पुस्तक मेला के प्रवेश द्वार पर सॉफ्टवेयर डेवलपर का काम करने वाले कुछ युवा रोजाना ड्यूटी खत्म करने के बाद शाम में पहुंचकर स्लम के छात्रों को शिक्षित करने के लिए एक बॉक्स में पैसा इकट्ठा कर रहे हैं. इसके लिए वह पुस्तक मेला में आने जाने वाले सभी लोगों के सामने यह युवा गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए हाथ फैला रहे हैं और कुछ भी आर्थिक मदद करने की अपील कर रहे हैं. चाइल्ड एजुकेशन ट्रस्ट के तहत युवा स्लम छात्रों को शिक्षित करने के लिए पैसा जुटा रहे हैं.


Body:पुस्तक मेला में तीन से चार की संख्या में मौजूद युवा रोजाना शाम में 3 घंटे श्रम के छात्रों को शिक्षा देने के लिए चंदा इकट्ठा करते हैं और लगभग रोजाना ₹2000 तक इकट्ठा कर लेते हैं. पुस्तक मेला में आने वाले छात्र-छात्राएं स्लम छात्रों के शिक्षा के लिए सबसे अधिक सहायता राशि देने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.


Conclusion:स्लम बच्चों की शिक्षा के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे युवक पंकज कुमार बताते हैं कि स्लम के बच्चे जो सुलेशन और अन्य नशीली पदार्थों के शिकार हो रहे हैं उन्हें अच्छी शिक्षा देने का वह प्रयास कर रहे हैं. पंकज ने बताया कि ड्यूटी खत्म करने के बाद वह गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए रोजाना 3 घंटे का अपना समय निकालते हैं. उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य है कि 2030 तक बिहार में शिक्षा का दर शत प्रतिशत हो जाए और सभी बच्चे शिक्षित हो जाएं. इसके लिए वह फंड इक्कट्ठा कर रहे हैं और इन पैसों से स्लम इलाके में शिक्षक की नियुक्ति की जाती है जो इन गरीब छात्रों को शिक्षा देते है.
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