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बिहार चुनाव में नौकरी और पलायन सभी मुद्दों पर भारी, युवा जिसके साथ उसकी जीत तय !

राष्ट्रीय जनता दल ने 10 लाख रोजगार देने की घोषणा की है, तो वहीं दूसरी तरफ थक हार कर भारतीय जनता पार्टी को भी 19 लाख रोजगार सृजन का वायदा किया है. यानी युवा जिसके साथ उसकी जीत तय मानी जा रही है.

Patna
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Published : Oct 27, 2020, 11:02 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार में कई मुद्दों पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोपों की राजनीति हो रही है लेकिन पलायन और बेरोजगारी का मुद्दा सभी मुद्दों पर भारी है. विशेष रूप से विधानसभा चुनाव में जैसे ही राष्ट्रीय जनता दल ने 10 लाख रोजगार देने की घोषणा की तो बिहार विधानसभा चुनाव का मुद्दा तय हो गया. क्योंकि इस सरकारी 10 लाख रोजगार के चुनावी वायदे ने कहीं ना कहीं युवाओं के असली दर्द को सामने ला दिया.

बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं युवा
पटना में किसी तरह अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे ऐसे ही युवक साहिल ने बताया कि किस तरह वह महामारी की वजह से मुंबई में अपना जॉब छोड़कर पटना आ गया. लेकिन यहां उसका गुजारा नहीं हो पा रहा. उन्होंने कहा कि जिस सरकार के भरोसे यहां आए थे, उसने ना तो नौकरी की व्यवस्था की और ना ही ट्रेन की व्यवस्था की. ऐसे सरकार की क्या जरूरत. ऐसे लाखों लोग हैं जो बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

आंकड़ों के मुताबिक बेरोजगारी की दर

  • बिहार में बेरोजगारी की दर करीब 40 फीसदी से भी ज्यादा.
  • स्थायी रोजगार के मामले में राष्ट्रीय औसत करीब 24 फीसदी.
  • वहीं बिहार स्थायी रोजगार के मामले में महज 10 फीसदी पर.

ग्रेजुएट बेरोजगार के औसत

  • राष्ट्रीय औसत करीब 17 फीसदी.
  • बिहार की औसत करीब 23 फीसदी.

वहीं सबसे बुरी स्थिति बिहार में 15 से 29 साल के युवाओं की है. इस उम्र वर्ग में बेरोजगारी के मामले में बिहार केरल के बाद दूसरे नंबर पर है.

तेजस्वी कर रहे हैं नौकरी संवाद
राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार ने बताया कि इस बार नए वोटर्स के साथ 35 साल तक के युवा मतदाता सिर्फ और सिर्फ रोजगार के मुद्दे पर राजनीतिक दलों की ओर देख रहे हैं जो ज्यादा स्थाई रोजगार और उनके भविष्य को संवारने की बात करेगा, जाहिर तौर पर वहीं राजनीतिक दल उनका सपोर्ट हासिल कर पाएगा. यहीं वजह है कि एक तरफ जहां तेजस्वी यादव कई प्रमुख बातों को दरकिनार करते हुए सिर्फ और सिर्फ युवाओं के रोजगार और पलायन के मुद्दे पर अपनी चुनावी सभा में जोर दे रहे हैं और नौकरी संवाद भी कर रहे हैं.

वहीं दूसरी तरफ थक हार कर भारतीय जनता पार्टी को भी 19 लाख रोजगार सृजन का वायदा करना पड़ा. इधर जदयू भी स्किल डेवलपमेंट के जरिए युवाओं का भविष्य निखारने का वायदा कर रही है. यानी कहीं न कहीं राजनीतिक दलों को यह एहसास हो गया है कि इस बार युवा वोटर्स ही अगले 5 साल के लिए बिहार का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे.

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार में कई मुद्दों पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोपों की राजनीति हो रही है लेकिन पलायन और बेरोजगारी का मुद्दा सभी मुद्दों पर भारी है. विशेष रूप से विधानसभा चुनाव में जैसे ही राष्ट्रीय जनता दल ने 10 लाख रोजगार देने की घोषणा की तो बिहार विधानसभा चुनाव का मुद्दा तय हो गया. क्योंकि इस सरकारी 10 लाख रोजगार के चुनावी वायदे ने कहीं ना कहीं युवाओं के असली दर्द को सामने ला दिया.

बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं युवा
पटना में किसी तरह अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे ऐसे ही युवक साहिल ने बताया कि किस तरह वह महामारी की वजह से मुंबई में अपना जॉब छोड़कर पटना आ गया. लेकिन यहां उसका गुजारा नहीं हो पा रहा. उन्होंने कहा कि जिस सरकार के भरोसे यहां आए थे, उसने ना तो नौकरी की व्यवस्था की और ना ही ट्रेन की व्यवस्था की. ऐसे सरकार की क्या जरूरत. ऐसे लाखों लोग हैं जो बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

आंकड़ों के मुताबिक बेरोजगारी की दर

  • बिहार में बेरोजगारी की दर करीब 40 फीसदी से भी ज्यादा.
  • स्थायी रोजगार के मामले में राष्ट्रीय औसत करीब 24 फीसदी.
  • वहीं बिहार स्थायी रोजगार के मामले में महज 10 फीसदी पर.

ग्रेजुएट बेरोजगार के औसत

  • राष्ट्रीय औसत करीब 17 फीसदी.
  • बिहार की औसत करीब 23 फीसदी.

वहीं सबसे बुरी स्थिति बिहार में 15 से 29 साल के युवाओं की है. इस उम्र वर्ग में बेरोजगारी के मामले में बिहार केरल के बाद दूसरे नंबर पर है.

तेजस्वी कर रहे हैं नौकरी संवाद
राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार ने बताया कि इस बार नए वोटर्स के साथ 35 साल तक के युवा मतदाता सिर्फ और सिर्फ रोजगार के मुद्दे पर राजनीतिक दलों की ओर देख रहे हैं जो ज्यादा स्थाई रोजगार और उनके भविष्य को संवारने की बात करेगा, जाहिर तौर पर वहीं राजनीतिक दल उनका सपोर्ट हासिल कर पाएगा. यहीं वजह है कि एक तरफ जहां तेजस्वी यादव कई प्रमुख बातों को दरकिनार करते हुए सिर्फ और सिर्फ युवाओं के रोजगार और पलायन के मुद्दे पर अपनी चुनावी सभा में जोर दे रहे हैं और नौकरी संवाद भी कर रहे हैं.

वहीं दूसरी तरफ थक हार कर भारतीय जनता पार्टी को भी 19 लाख रोजगार सृजन का वायदा करना पड़ा. इधर जदयू भी स्किल डेवलपमेंट के जरिए युवाओं का भविष्य निखारने का वायदा कर रही है. यानी कहीं न कहीं राजनीतिक दलों को यह एहसास हो गया है कि इस बार युवा वोटर्स ही अगले 5 साल के लिए बिहार का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे.

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