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पपीते की खेती कर मिसाल बना यह युवा किसान, लॉकडाउन में भी कर रहा लाखों का कारोबार

किसान अविनाश ने बताया कि बाजार में पपीते की डिमांड इतनी है कि व्यापारी खुद उनके खेतो में पहुंच कर उत्पाद को ले जा रहे हैं. उनकी सफलता को देखकर गांव के दूसरे किसान भी उनसे प्रेरणा ले रहे हैं.

पपीते की खेती
पपीते की खेती
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Published : May 4, 2020, 12:14 PM IST

Updated : May 4, 2020, 12:24 PM IST

मुजफ्फरपुर: एक मशहूर कहावत है. 'जहां चाह वहां राह'. इस कहावत को जिले के सरैया प्रखंड के भटौलीया गांव निवासी युवा किसान अविनाश कुमार ने चरितार्थ कर दिखाया है. अविनाश ने पारंपरिक खेती का मोह छोड़ नगदी फसल के रूप में पपीते की खेती शुरू की. पपीते की खेती ने युवा किसान की तकदीर बदल कर रख दी है. वे इस संकट काल में भी लाखों का कारोबार कर रहे हैं.

'बंदी में भी हो रही आमदनी'
इसको लेकर पपीते की खेती करने वाले किसान अविनाश ने बताया कि लॉकडाउन के कारण लगभग सभी कारोबार ठप है. लेकिन हमको किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही है. बाजार में पपीते की डिमांड इतनी है कि व्यापारी खुद उनके खेतो में पहुंच कर उनके उत्पाद को ले जा रहे हैं. जिससे लॉक डाउन के बीच भी उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.

किसान अविनाश कुमार
किसान अविनाश कुमार

दूसरे किसानों को दिखा रहे सफलता की राह
किसान अविनाश ने बताया कि पहले वे सामान्य किसानों की तरह अपने खेत में गेहूं और धान की खेती करते थे. इस वजह से उन्हें आमदनी कम और नुकसान ज्यादा हो रहा था. जिसके बाद उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से पपीते की खेती शुरू किया. मेहनत और आगे बढ़ने के ललक ने उन्हें आज एक सफल संपन्न किसान बना दिया. उनकी सफलता को देखकर गांव के दूसरे किसान भी उनसे प्रेरणा ले रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

प्रतिवर्ष 5-6 लाख की हो रही आमदनी
सफल तरीके से पपीते की खेती करने वाले किसान ने बताया कि वे इस समय दो एकड़ जमीन पर अत्याधुनिक तरीके से पपीते की खेती कर रहे हैं. वे कई उन्नत किस्म पूसा नन्हा, रेड लेडी और प्रभेद जैसे उन्नत पपीते की खेती कर रहे हैं. पपीते के खेती से उन्हें प्रतिवर्ष पांच से छह लाख रुपये की आमदनी हो रही है.

खेत में काम कर रही महिलाएं
खेत में काम कर रही महिलाएं

मुजफ्फरपुर: एक मशहूर कहावत है. 'जहां चाह वहां राह'. इस कहावत को जिले के सरैया प्रखंड के भटौलीया गांव निवासी युवा किसान अविनाश कुमार ने चरितार्थ कर दिखाया है. अविनाश ने पारंपरिक खेती का मोह छोड़ नगदी फसल के रूप में पपीते की खेती शुरू की. पपीते की खेती ने युवा किसान की तकदीर बदल कर रख दी है. वे इस संकट काल में भी लाखों का कारोबार कर रहे हैं.

'बंदी में भी हो रही आमदनी'
इसको लेकर पपीते की खेती करने वाले किसान अविनाश ने बताया कि लॉकडाउन के कारण लगभग सभी कारोबार ठप है. लेकिन हमको किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही है. बाजार में पपीते की डिमांड इतनी है कि व्यापारी खुद उनके खेतो में पहुंच कर उनके उत्पाद को ले जा रहे हैं. जिससे लॉक डाउन के बीच भी उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.

किसान अविनाश कुमार
किसान अविनाश कुमार

दूसरे किसानों को दिखा रहे सफलता की राह
किसान अविनाश ने बताया कि पहले वे सामान्य किसानों की तरह अपने खेत में गेहूं और धान की खेती करते थे. इस वजह से उन्हें आमदनी कम और नुकसान ज्यादा हो रहा था. जिसके बाद उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से पपीते की खेती शुरू किया. मेहनत और आगे बढ़ने के ललक ने उन्हें आज एक सफल संपन्न किसान बना दिया. उनकी सफलता को देखकर गांव के दूसरे किसान भी उनसे प्रेरणा ले रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

प्रतिवर्ष 5-6 लाख की हो रही आमदनी
सफल तरीके से पपीते की खेती करने वाले किसान ने बताया कि वे इस समय दो एकड़ जमीन पर अत्याधुनिक तरीके से पपीते की खेती कर रहे हैं. वे कई उन्नत किस्म पूसा नन्हा, रेड लेडी और प्रभेद जैसे उन्नत पपीते की खेती कर रहे हैं. पपीते के खेती से उन्हें प्रतिवर्ष पांच से छह लाख रुपये की आमदनी हो रही है.

खेत में काम कर रही महिलाएं
खेत में काम कर रही महिलाएं
Last Updated : May 4, 2020, 12:24 PM IST
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