पटना: पालीगंज अनुमंडल अस्पताल में एंबुलेंस सेवा बीते एक सप्ताह से बंद है. इससे मरीजों की परेशानी काफी बढ़ गई है. आए दिन एंबुलेंस खराब होने की समस्या होती है. एंबुलेंस खराब रहने के कारण प्रसव के लिए आई महिलाओं को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है.
अस्पताल प्रबन्धक की लापरवाही
बता दें कि पालीगंज अनुमंडल अस्पताल पटना-औरंगाबाद NH 139 और पटना-पालीगंज SH 2 पथ पर अवस्थित है. जिसके कारण आये दिन सड़क हादसे होते रहते हैं. जिसमें लोग गम्भीर रूप से घायल भी होते हैं. जिनको प्राथमिक इलाज के बाद पटना PMCH भेजा जाता है. वहीं प्रसव के दौरान गम्भीर हालत में प्रसूति महिला को बेहतर इलाज के लिए एम्बुलेंस से पटना भेजा जाता है. अस्पताल प्रबन्धक एम्बुलेंस के रख रखाव पर ध्यान नहीं देते जिसके कारण आये दिन एम्बुलेंस खराब पड़ा रहता है.
अस्पताल में एंबुलेंस नहीं होना गंभीर मामला
सरकार बड़े-बड़े होर्डिंग व समाचार के माध्यम से अस्पताल मरीजों को बेहतर सुविधा का दावा भी करती है. लेकिन हकीकत कुछ और बयां करती है. मरीज गम्भीर हालत में अस्पताल पहुंचते है लेकिन समय पर संसाधन उपलब्ध नहीं रहने के कारण पटना जाने के दौरान रास्ते में दम तोड़ देते हैं. अनुमंडल अस्पताल स्वास्थय प्रबन्धक परिजत कुमार तिवारी ने ईटीवी रिपोर्टर से बातचीत में बताया कि संस्थान में दो एम्बुलेंस है. जिसमे एक एम्बुलेंस खराब हो गया है. जिसकी जानकारी टेक्नीशियन को दे दी गई है. एक दो दिनों में एम्बुलेंस को ठीक कर लिया जाएगा.
दानापुर अनुमण्डल अस्पताल का आल्ट्रसाउंड कमरा बना covid जांच किट का भंडारण
दानापुर अनुमंडलीय अस्पताल में सरकार ने आल्ट्रसाउंड मशीन की सुविधा मुहैया करायी है. लेकिन पिछले ढ़ाई-तीन माह से आल्ट्रसाउंड कमरे में ही कोविड 19 जांच कीट रखा जा रहा है. जिससे गर्भवती महिलाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
आल्ट्रसाउंड कमरे में कोविड 19 जांच कीट
बताया जाता है कि स्वास्थ्य प्रबंधक के मौखिक आदेश पर पिछले ढ़ाई-तीन माह से आल्ट्रसाउंड कमरे में कोविड 19 जांच कीट रखा गया है. जबकि अस्पताल में कई कमरे खाली पड़े हुए हैं. जिससे आल्ट्रसाउंड जांच कराने वाले मरीजों को भारी परेशानी झेलना पड़ती है. पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख डा अनिल वर्मा आल्ट्रसाउंड कमरे में कोविड जांच कीट देखकर दंग रह गये और जल्द हटाने का भी निर्देश दिया.
निजी आल्ट्रसाउंड केंद्र पर जांच कराने को मजबूर
बता दे कि पिछले नवंबर माह में मात्र 14 मरीज का आल्ट्रसाउंड जांच किया गया है. जबकि प्रत्येक दिन अस्पताल की महिला चिकित्सक द्वारा एक दर्जन से अधिक मरीजों का आल्ट्रसाउंड जांच का पुर्जा बनाया जाता है. गरीब मरीज निजी आल्ट्रसाउंड केंद्र पर जांच कराने जाने को मजबूर है.