पटना: आज नवरात्रि का आठवां (Eighth Day Of Navratri) दिन है. नवदुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के आठवें दिन महाष्टमी व्रत या दुर्गा अष्टमी व्रत का विशेष महत्व होता है. जो लोग नवरात्रि के प्रारंभ वाले दिन व्रत रखते हैं, वे दुर्गा अष्टमी का भी व्रत जरूर रखते हैं. दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी (Mahagauri Puja) स्वरूप की आराधना की जाती है. पंचांग के अनुसार इस बार नवरात्र 8 दिन का ही हो रहा है.
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को पाने के लिए कई वर्षों तक मां पार्वती ने कठोर तप किया था. जिससे उनके शरीर का रंग काला पड़ गया था. जब भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए थे, तो उन्होंने उनको गौर वर्ण का वरदान दिया. इससे मां पार्वती महागौरी भी कहलाईं. महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी को व्रत करने और मां महागौरी की आराधना करने से व्यक्ति को सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही मंत्र का जाप भी करना चाहिए.
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि श्रद्धालुओं को स्नान ध्यान करके महागौरी की पूजा आराधना आरंभ करनी चाहिए. पूजा आराधना करने के बाद पाठ, हवन आदि करके आरती करनी चाहिए. इसके साथ ही 9 कन्याओं को भोजन कराया जाना चाहिए. कन्याओं को कुमकुम तिलक करके उनकी कलाइयों पर कलावा बांधकर उनकी रुचि के अनुसार भोजन कराया जाना चाहिए.
भोजन के उपरांत उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. साथ ही शक्ति सामर्थ्य के अनुसार उन्हें दक्षिणा देकर विदाई की जाती है. कन्या पूजन में एक भैरव बाबा के रूप में बालक को भी भोजन कराया जाता है. इस तरह से पूजा अर्चना करने से श्रद्धालुओं को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. आचार्य ने बताया कि महागौरी की पूजा करने से भक्तों के तमाम दु:ख दूर होते हैं. इसके साथ ही सुख की प्राप्ति होती है.
आचार्य ने बताया कि जो लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ 9 दिन नहीं कर पाते हैं, वे श्रद्धालु अष्टमी के दिन निराहार रहकर मां की पूजा आराधना कर सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि जो श्रद्धालु भक्त निराहार नहीं रह सकते हैं, वह फल का सेवन कर सकते हैं. कन्या पूजन से पहले इस बात का ध्यान का रखना चाहिए कि घर में साफ-सफाई होनी चाहिए. शास्त्रों में दो साल की कन्या को पूजने से दुख और दरिद्रता दूर होती है. 3 साल की कन्या त्रिमूर्ति के रूप में मानी जाती हैं. त्रिमूर्ति कन्या का पूजन करने से घर में धन-धान्य आते हैं.
चार साल की कन्या को कल्याणी माना जाता है. वहीं पांच साल की कन्या रोहिणी कहलाती है. इनकी पूजा करने से रोग-दुख दूर होता है. छह साल की कन्या को कालिका रूप कहा जाता है. कालिका रूप से विद्या और विजय की प्राप्ति होती है. सात वर्ष की कन्या को चंडिका. जबकि आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी कहलाती है. नौ वर्ष की कन्या देवी दुर्गा कहलाती है और दस वर्ष की कन्या सुभद्र कहलाती है.
शारदीय नवरात्रि की तिथियां
7 अक्टूबर 2021 | गुरुवार | प्रतिपदा घटस्थापना | मां शैलपुत्री पूजा |
8 अक्टूबर 2021 | शुक्रवार | द्वितीया | मां ब्रह्मचारिणी पूजा |
9 अक्टूबर 2021 | शनिवार | तृतीय, चतुर्थी | मां चंद्रघंटा पूजा, मां कुष्मांडा पूजा |
10 अक्टूबर 2021 | रविवार | पंचमी | मां स्कंदमाता पूजा |
11 अक्टूबर 2021 | सोमवार | षष्ठी | मां कात्यायनी पूजा |
12 अक्टूबर 2021 | मंगलवार | सप्तमी | मां कालरात्रि पूजा |
13 अक्टूबर 2021 | बुधवार | अष्टमी | मां महागौरी दुर्गा पूजा |
14 अक्टूबर 2021 | गुरुवार | महानवमी | मां सिद्धिदात्री पूजा |
15 अक्टूबर 2021 | शुक्रवार | विजयादशमी | विजयदशमी, दशहरा |