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शनिवार को 'न्याय के देवता' की पूजा का है खास महत्व, सभी दुख होते हैं दूर - ऐसे करें शनिदेव की पूजा

शनिवार का व्रत और शनिवार का पूजन किसी भी शनिवार के दिन शुरू किया जा सकता है. इसका पालन करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना होता है. उसके बाद ही शनिदेव की पूजा करनी चाहिए.

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शनिदेव
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Published : Jan 4, 2020, 11:11 AM IST

पटना: शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि वह सभी के कर्मों का फल देते हैं. कोई भी बुरा काम उनसे छुपा नहीं. इसीलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व है. हर शनिवार को शनि देवता की पूजा की जाती है. मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो इससे शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी सुधरती है.

बता दें कि शनिवार का व्रत और शनिवार का पूजन किसी भी शनिवार के दिन शुरू किया जा सकता है. इसका पालन करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना होता है. उसके बाद ही शनिदेव की पूजा करनी चाहिए. शनिवार का पूजा पाठ बहुत ही शुभ माना गया है. शनिदेव की पूजा दुःख, कलह, क्लेश और साथ ही असफलता से दूर करती है. शनिदेव की पूजा करने से किसी भी प्रकार के शनिदोष से मुक्ति मिल सकती है.

वहीं, बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिनका शनिवार के दिन कोई नुकसान हो जाता है. कितनी भी कोशिश करने के बाद भी शनि उन पर भारी रहता है. अगर किसी के साथ ऐसा हो, तो उनको विशेष पूजन विधि से शनिदेव को प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए.

ऐसे करें शनिदेव की पूजा

  • सुबह में उठकर स्नान कर के साफ कपड़े पहनकर पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं
  • लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं
  • मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें
  • काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र और तेल आदि से पूजा करें
  • पूजन के दौरान शनि के दस नामों का उच्चारण करें- कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर
  • शनिदेव का यह मंत्र पढे़ 'शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे। केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव'॥

मुख्य बातें

  • शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाएं
  • शनि चालीसा का जाप करें
  • शनि पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा करें

पटना: शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि वह सभी के कर्मों का फल देते हैं. कोई भी बुरा काम उनसे छुपा नहीं. इसीलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व है. हर शनिवार को शनि देवता की पूजा की जाती है. मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो इससे शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी सुधरती है.

बता दें कि शनिवार का व्रत और शनिवार का पूजन किसी भी शनिवार के दिन शुरू किया जा सकता है. इसका पालन करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना होता है. उसके बाद ही शनिदेव की पूजा करनी चाहिए. शनिवार का पूजा पाठ बहुत ही शुभ माना गया है. शनिदेव की पूजा दुःख, कलह, क्लेश और साथ ही असफलता से दूर करती है. शनिदेव की पूजा करने से किसी भी प्रकार के शनिदोष से मुक्ति मिल सकती है.

वहीं, बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिनका शनिवार के दिन कोई नुकसान हो जाता है. कितनी भी कोशिश करने के बाद भी शनि उन पर भारी रहता है. अगर किसी के साथ ऐसा हो, तो उनको विशेष पूजन विधि से शनिदेव को प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए.

ऐसे करें शनिदेव की पूजा

  • सुबह में उठकर स्नान कर के साफ कपड़े पहनकर पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं
  • लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं
  • मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें
  • काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र और तेल आदि से पूजा करें
  • पूजन के दौरान शनि के दस नामों का उच्चारण करें- कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर
  • शनिदेव का यह मंत्र पढे़ 'शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे। केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव'॥

मुख्य बातें

  • शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाएं
  • शनि चालीसा का जाप करें
  • शनि पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा करें
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