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सुहाग के त्योहार वट सावित्री पर महिलाओं ने मांगी पति की लंबी आयु, कच्चा धागे बांधकर की वृक्ष परिक्रमा - वट सावित्री पूजा 2022

वट सावित्री पूजा के मौके पर पटना में महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु की कामना की. इस मौके पर बरगद के पेड़ के नीचे सुहागिन महिलाओं का हुजूम रहा. आज का दिन सुहागिन महिलाओं के लिए काफी खास है. इस बार सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2022), शनि जयंती और वट सावित्री पूजा के एक ही दिन होने से इसका फल भी कई गुना बढ़ गया है

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Published : May 30, 2022, 1:13 PM IST

पटनाः वट सावित्री पूजा (Vat Savitri Pooja 2022) के मौके पर पटनासिटी में सुहागिन महिलाओं (Women Worshiped Vat Savitri In Patna) ने अखंड सौभाग्यवती होने और पति को दीर्घायु के लिय वट वृक्ष की पूजा की. इस दौरान महिलाओं ने बरगद के पेड़ में रंगीन कच्चा धागा बांधकर 11 बार वट की परिक्रमा की. कहा जाता है कि भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिये माता लक्ष्मी ने भी आज के दिन वट वृक्ष की पूजा कर भगवान विष्णु को खुश किया था. इसलिए सुहागिन महिलाएं भी आज के दिन ये पूजा करती हैं.

ये भी पढ़ें - Vat Savitri Vrat: अखंड सौभाग्य का व्रत है वट सावित्री, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

वट वृक्ष के नीचे सुहागिनों का हुजूमः पटनासिटी के मालसलामी स्थित पटना घाट पर सुबह से ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती नजर आईं. इस दौरान महिलाओं ने अपने पति के सुहाग को अमर रहने की कामना की. साथ ही कथा भी सुनी. इस मौके पर घाट के पास बरगद के पेड़ के नीचे सुहागिन महिलाओं का हुजूम रहा.

ये भी पढ़ें - Vat Savitri Vrat: मौर्या लोक में मेहंदी लगवाने के लिए जुटी महिलाएं

ये हैं मान्यताएंः बताया जाता है पतिवर्ता स्त्री सावित्री ने अपने पति का प्राण हरने आये यमराज से जिद्द कर वट वृक्ष के निचे ही अपने पति के प्राण वापस लौटा लिया था. उसी पौराणिक कथाओं पर आज भी महिलाएं व्रत कर वट वृक्ष की पूजा करती हैं और पति के सुहाग को अमर रहने की कामना करती हैं. दूसरी मान्यता यह भी है कि भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिये माता लक्ष्मी ने भी आज के दिन वट वृक्ष की पूजा कर भगवान विष्णु को खुश किया था.

'पौराणिक कथानुसार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिये वट वृक्ष पूजन किया था. भगवान विष्णु ने इस पूजा से खुश होकर माता लक्ष्मी को वरदान दिया और कहा कि जो भी सुहागिन महिला वट वृक्ष के नीचे मेरी आराधना करेगी उसका व्रत सफल होगा'- अमरीश कुमार पांडे, पंडित

पित्र दोष से प्राप्त होती है मुक्तिः मान्यता के अनुसार अमावस्या के दिन पूजा पाठ करने से पित्र दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है. कालसर्प दोष और पित्र दोष के लिए करें विशेष पूजा पाठ-जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष है या पित्र दोष है उन्हें इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण से त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए. काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए तीन सूक्त का पाठ करवाना चाहिए भगवान विष्णु को विशेष अर्घ्य दे कर के पूजा करना चाहिए इससे इस दोष से मुक्ति मिल सकती है.

इस साल बना है अद्भुत संयोगः बना आपको बता दें कि इस बार काफी सालों बाद अद्भुत संयोग बना है. सोमवती अमावस्या, शनि जयंती और वट सावित्री पूजा के एक ही दिन होने से इसका फल कई गुना बढ़ गया है. आज का दिन सुहागिन महिलाओं के लिए काफी खास है. हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत 29 मई, दिन रविवार को दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से शुरू हुआ. जिसका समापन 30 मई, सोमवार को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर होगा. वट सावित्री व्रत के लिए अमावस्या की उदयातिथि देखी जाती है. सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि 30 मई को पड़ रही है. इसलिए इसका समापन 30 मई को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर होगा.

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पटनाः वट सावित्री पूजा (Vat Savitri Pooja 2022) के मौके पर पटनासिटी में सुहागिन महिलाओं (Women Worshiped Vat Savitri In Patna) ने अखंड सौभाग्यवती होने और पति को दीर्घायु के लिय वट वृक्ष की पूजा की. इस दौरान महिलाओं ने बरगद के पेड़ में रंगीन कच्चा धागा बांधकर 11 बार वट की परिक्रमा की. कहा जाता है कि भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिये माता लक्ष्मी ने भी आज के दिन वट वृक्ष की पूजा कर भगवान विष्णु को खुश किया था. इसलिए सुहागिन महिलाएं भी आज के दिन ये पूजा करती हैं.

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वट वृक्ष के नीचे सुहागिनों का हुजूमः पटनासिटी के मालसलामी स्थित पटना घाट पर सुबह से ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती नजर आईं. इस दौरान महिलाओं ने अपने पति के सुहाग को अमर रहने की कामना की. साथ ही कथा भी सुनी. इस मौके पर घाट के पास बरगद के पेड़ के नीचे सुहागिन महिलाओं का हुजूम रहा.

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ये हैं मान्यताएंः बताया जाता है पतिवर्ता स्त्री सावित्री ने अपने पति का प्राण हरने आये यमराज से जिद्द कर वट वृक्ष के निचे ही अपने पति के प्राण वापस लौटा लिया था. उसी पौराणिक कथाओं पर आज भी महिलाएं व्रत कर वट वृक्ष की पूजा करती हैं और पति के सुहाग को अमर रहने की कामना करती हैं. दूसरी मान्यता यह भी है कि भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिये माता लक्ष्मी ने भी आज के दिन वट वृक्ष की पूजा कर भगवान विष्णु को खुश किया था.

'पौराणिक कथानुसार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु की लंबी आयु के लिये वट वृक्ष पूजन किया था. भगवान विष्णु ने इस पूजा से खुश होकर माता लक्ष्मी को वरदान दिया और कहा कि जो भी सुहागिन महिला वट वृक्ष के नीचे मेरी आराधना करेगी उसका व्रत सफल होगा'- अमरीश कुमार पांडे, पंडित

पित्र दोष से प्राप्त होती है मुक्तिः मान्यता के अनुसार अमावस्या के दिन पूजा पाठ करने से पित्र दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है. कालसर्प दोष और पित्र दोष के लिए करें विशेष पूजा पाठ-जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष है या पित्र दोष है उन्हें इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण से त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए. काले तिल से पितरों का तर्पण करना चाहिए तीन सूक्त का पाठ करवाना चाहिए भगवान विष्णु को विशेष अर्घ्य दे कर के पूजा करना चाहिए इससे इस दोष से मुक्ति मिल सकती है.

इस साल बना है अद्भुत संयोगः बना आपको बता दें कि इस बार काफी सालों बाद अद्भुत संयोग बना है. सोमवती अमावस्या, शनि जयंती और वट सावित्री पूजा के एक ही दिन होने से इसका फल कई गुना बढ़ गया है. आज का दिन सुहागिन महिलाओं के लिए काफी खास है. हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत 29 मई, दिन रविवार को दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से शुरू हुआ. जिसका समापन 30 मई, सोमवार को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर होगा. वट सावित्री व्रत के लिए अमावस्या की उदयातिथि देखी जाती है. सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि 30 मई को पड़ रही है. इसलिए इसका समापन 30 मई को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर होगा.

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