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जनता दरबार में आया 16 करोड़ के इंजेक्शन का मामला...सीएम ने कहा- कोई सीमा होता है..जाइए स्वास्थ्य विभाग के पास

सीएम के दरबार में अपनी बच्ची को बचाने की गुहार लेकर एक महिला पहुंची. उसने बताया कि उसकी डेढ़ साल की बेटी को स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-वन (Spinal Muscular Atrophy-1) की बीमारी है. इसका एक इंजेक्शन 16 करोड़ रूपए का है. लेकिन सीएम ने कुछ नहीं कहा और महिला को स्वास्थ्य विभाग के पास भेज दिया.

CM Nitish in Janata Darbar
CM Nitish in Janata Darbar
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Published : Apr 11, 2022, 12:26 PM IST

पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish in Janata Darbar) आज फिर से जनता दरबार में आम लोगों की शिकायतें सुन रहे हैं. बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान लगभग डेढ़ महीने तक जनता दरबार स्थगित था, जो आज फिर से शुरू हो गया है. सीएम के दरबार में एक महिला अपनी फरियाद लेकर पहुंची. फरियादी ने कहा कि सर डेढ़ साल की मेरी एक बिटिया है जिसे स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-वन (Spinal Muscular Atrophy-1) की बीमारी है, जिसके इलाज के लिए 16 करोड़ का एक इंजेक्शन (injection of Rs 16 crore) आता है. इंजेक्शन लगने पर ही वो बच पाएगी नहीं तो बच नहीं पाएगी सर.

पढ़ें- अयांश को लेकर बोले CM नीतीश- सरकारी खजाने से मदद देना संभव नहीं

जनता दरबार पहुंचा 16 करोड़ के इंजेक्शन का मामला: महिला की फरियाद सुनने के बाद सीएम ने काफी देर तक उसके आवेदन को देखा. महिला को उम्मीद थी कि सीएम जरूर कुछ आश्वासन देंगे. लेकिन थोड़ी देर बाद नीतीश कुमार ने महिला को स्वास्थ्य विभाग के पास भेज दिया. महिला के जाते ही सीएम ने अधिकारियों से इस बारे में चर्चा शुरू कर दी. सीएम ने कहा कि 16 करोड़ का इंजेक्शन. इस पर सीएम के साथ मौजूद अधिकारी ने कहा कि सर हमने कह दिया कि 3 लाख देंगे. फिर सीएम ने पूछा कि एक केस और आया था ना. अधिकारी ने कहा हां सर दानापुर से आया था. इस पर सीएम ने कहा कि एक सीमा के आगे कैसे मदद की जाएगी.

पढ़ें- ETV भारत की मुहिम से भावुक हुए तेज प्रताप, कहा- 'बिहार का बेटा है अयांश, कुछ नहीं होने देंगे उसे'

अयांश मामले में सीएम ने मदद देने में जतायी दी असमर्थता: आपको बता दें कि दुर्लभ बीमारी (Rare Disease) से जूझ रहे पटना के दानापुर के अयांश के माता-पिता ने भी सीएम से गुहार लगायी थी. तब सीएम ने साफ कर दिया था कि सरकारी खजाने से बच्चे की मदद करना संभव नहीं है. दरअसल इस बीमारी के लक्षण के साथ जन्म लेने वाले बच्चे अधिक से अधिक 2 साल तक जिंदा रह पाते हैं. फिर भी इसका अगर ठीक ढंग से ट्रीटमेंट हो जाए, तो बच्चे को नया जीवन मिल सकता है. राजधानी पटना के रूपसपुर (Rupaspur) इलाके में रहने वाले आलोक सिंह और नेहा सिंह के 10 महीने के बेटे अयांश को भी दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी है.

स्पाइनल मस्कुलर बीमारी क्या है?
डॉक्टर बताते हैं कि यह एक जेनेटिक डिसऑर्डर बीमारी है और इस बीमारी से ग्रसित बच्चों की मांसपेशियां कमजोर होना शुरू हो जाती है. धीरे-धीरे हरकत करना बंद कर देते हैं और आगे चलकर स्थिति ऐसी आ जाती है कि बच्चा बिना किसी सपोर्ट के सांस तक नहीं ले पाता है. बीमारी की शुरुआती स्टेज में बच्चे के गर्दन का कंट्रोल खत्म हो जाता है और फिर धीरे-धीरे हाथ पैर ढीले पड़ने लगते हैं.

इस बीमारी का ट्रीटमेंट जीन थेरेपी से होता है और ट्रीटमेंट के तहत एक स्वस्थ जेनेटिक मॉलिक्यूल को रीड की हड्डी में इंजेक्ट किया जाता है. जहां से हेल्दी जीन आगे बढ़ते हुए कमजोर पड़ चुके मांसपेशियों में फिर से नई जान डालता है. समय रहते अगर SMA-1 से पीड़ित बच्चे को इंजेक्शन का डोज नहीं दिया जाता है, तो बच्चे की जान चली जाती है.

पढ़ें- ईटीवी भारत की मुहिम को मिला खेसारी का साथ, कहा- मैं हर संभव मदद में जुटा हूं, आप सबों से भी हाथ जोड़कर...

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पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish in Janata Darbar) आज फिर से जनता दरबार में आम लोगों की शिकायतें सुन रहे हैं. बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान लगभग डेढ़ महीने तक जनता दरबार स्थगित था, जो आज फिर से शुरू हो गया है. सीएम के दरबार में एक महिला अपनी फरियाद लेकर पहुंची. फरियादी ने कहा कि सर डेढ़ साल की मेरी एक बिटिया है जिसे स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-वन (Spinal Muscular Atrophy-1) की बीमारी है, जिसके इलाज के लिए 16 करोड़ का एक इंजेक्शन (injection of Rs 16 crore) आता है. इंजेक्शन लगने पर ही वो बच पाएगी नहीं तो बच नहीं पाएगी सर.

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जनता दरबार पहुंचा 16 करोड़ के इंजेक्शन का मामला: महिला की फरियाद सुनने के बाद सीएम ने काफी देर तक उसके आवेदन को देखा. महिला को उम्मीद थी कि सीएम जरूर कुछ आश्वासन देंगे. लेकिन थोड़ी देर बाद नीतीश कुमार ने महिला को स्वास्थ्य विभाग के पास भेज दिया. महिला के जाते ही सीएम ने अधिकारियों से इस बारे में चर्चा शुरू कर दी. सीएम ने कहा कि 16 करोड़ का इंजेक्शन. इस पर सीएम के साथ मौजूद अधिकारी ने कहा कि सर हमने कह दिया कि 3 लाख देंगे. फिर सीएम ने पूछा कि एक केस और आया था ना. अधिकारी ने कहा हां सर दानापुर से आया था. इस पर सीएम ने कहा कि एक सीमा के आगे कैसे मदद की जाएगी.

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अयांश मामले में सीएम ने मदद देने में जतायी दी असमर्थता: आपको बता दें कि दुर्लभ बीमारी (Rare Disease) से जूझ रहे पटना के दानापुर के अयांश के माता-पिता ने भी सीएम से गुहार लगायी थी. तब सीएम ने साफ कर दिया था कि सरकारी खजाने से बच्चे की मदद करना संभव नहीं है. दरअसल इस बीमारी के लक्षण के साथ जन्म लेने वाले बच्चे अधिक से अधिक 2 साल तक जिंदा रह पाते हैं. फिर भी इसका अगर ठीक ढंग से ट्रीटमेंट हो जाए, तो बच्चे को नया जीवन मिल सकता है. राजधानी पटना के रूपसपुर (Rupaspur) इलाके में रहने वाले आलोक सिंह और नेहा सिंह के 10 महीने के बेटे अयांश को भी दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी है.

स्पाइनल मस्कुलर बीमारी क्या है?
डॉक्टर बताते हैं कि यह एक जेनेटिक डिसऑर्डर बीमारी है और इस बीमारी से ग्रसित बच्चों की मांसपेशियां कमजोर होना शुरू हो जाती है. धीरे-धीरे हरकत करना बंद कर देते हैं और आगे चलकर स्थिति ऐसी आ जाती है कि बच्चा बिना किसी सपोर्ट के सांस तक नहीं ले पाता है. बीमारी की शुरुआती स्टेज में बच्चे के गर्दन का कंट्रोल खत्म हो जाता है और फिर धीरे-धीरे हाथ पैर ढीले पड़ने लगते हैं.

इस बीमारी का ट्रीटमेंट जीन थेरेपी से होता है और ट्रीटमेंट के तहत एक स्वस्थ जेनेटिक मॉलिक्यूल को रीड की हड्डी में इंजेक्ट किया जाता है. जहां से हेल्दी जीन आगे बढ़ते हुए कमजोर पड़ चुके मांसपेशियों में फिर से नई जान डालता है. समय रहते अगर SMA-1 से पीड़ित बच्चे को इंजेक्शन का डोज नहीं दिया जाता है, तो बच्चे की जान चली जाती है.

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