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Bihar Politics : नीतीश का कांग्रेस से 'इजहार-ए-मोहब्बत' लेकिन ये इश्क नहीं आसान! - मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के अंदर ही आग लगी है, लेकिन उनकी नजर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों को एकजुट करने पर है. इसके लिए उन्होंने कांग्रेस से मुहब्बत का इजहार करते हुए सभी दलों को एकजुट करने के लिए आगे आने का निमंत्रण भी दे दिया. लेकिन कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के लिए यह राह इतनी आसान नहीं है. कांग्रेस भी नीतीश कुमार के 'प्रेमजाल' में फंसने से पहले पूरी तरह परख लेना चाहती है.

Nitish Kumar Etv Bharat
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Published : Feb 20, 2023, 9:22 PM IST

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में आयोजित भाकपा माले के राष्ट्रीय अधिवेशन में कहा था कि देश में व्यापक विपक्षी एकता का निर्माण हो, यह समय की मांग है. हम कांग्रेस के जवाब का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने मंच पर बैठे कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद से कहा था कि यह संदेश कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा दिया जाए. उन्होंने कहा कि यदि हम सभी मिलकर चलें तो भाजपा 100 के नीचे आ जाएगी.

ये भी पढ़ें - Salman Khurshid: ..I LOVE YOU तक आई बात, मंच से सलमान खुर्शीद ने तेजस्वी-नीतीश को दिया जवाब

मेन फ्रंट की बात : इसी मंच से सलमान खुर्शीद ने कहा था कि नीतीश कुमार के बिहार मॉडल की चर्चा हर जगह होनी चाहिए. हम भी वही चाहते हैं जो आप चाहते हैं, मामला बस इतना है कि पहले 'आई लव यू' कौन बोलेगा. नीतीश कुमार वैसे तो कांग्रेस के साथ आने की बात करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर राहुल गांधी के नाम पर मुहर नहीं लगाते. हां, इतना जरूर है कि नीतीश कभी भी थर्ड फ्रंट की नहीं मेन फ्रंट की बात कर रहे हैं.

नीतीश की छवि से सभी परिचित : नीतीश भी जानते हैं कि कांग्रेस के बिना और कई अन्य क्षेत्रीय दलों के बिना मेन फ्रंट की कल्पना नहीं की जा सकती. वैसे, नीतीश के इस निवेदन को कांग्रेस कितनी अहमियत देगी इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है. नीतीश की पार्टी बिहार में ही तीसरे नंबर पर है. इसके अलावा जिस तरह नीतीश की छवि गठबंधन बदलने की रही है, उससे कांग्रेस भी परिचित है.

''नीतीश कुमार के मन में प्रधानमंत्री बनने की महत्वकांक्षा है. नीतीश की राजनीति में विश्वसनीयता नहीं है, वे चाहते हैं कि देश भर में वे विपक्षी एकता की अगुवाई करें. यह कभी हो सकता है? जो मुख्यमंत्री 17 साल शासन करने के बाद भी समाधान यात्रा पर निकलते हैं तो समझा जा सकता है.''- गिरिराज सिंह, केंद्रीय मंत्री

''छोड़िए.. क्या बात करते हैं. नीतीश कुमार से बिहार तो संभल नहीं रहा है और चले हैं, विपक्षी एकता करने. इनकी स्थिति यह हो गई है कि कांग्रेस के सामने यह मिन्नतें कर रहे हैं.''- रविशंकर प्रसाद, बीजेपी सांसद

'कांग्रेस के बिना कोई विपक्षी गठबंधन नहीं' : इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस के बिना कोई विपक्षी गठबंधन नहीं हो सकता है और कांग्रेस के बिना कोई भी गठबंधन विफल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस समान विचारधारा वाली पार्टियों को साथ लेने की कोशिश कर रही है. जयराम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान का भी स्वागत किया कि कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी को बिना किसी देरी के विपक्षी एकता पर फैसला लेना चाहिए.

कुशवाहा ने चुना अलग रास्ता : जेडीयू से सोमवार को वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी से इस्तीफा देकर नई पार्टी बना ली. फिलहाल, जदयू में खुद आंतरिक कलह मचा है और नीतीश विपक्षी एकता कर भाजपा को हटाने का दावा कर रहे हैं. इधर कांग्रेस भी भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए जमकर मेहनत कर रही है. लेकिन यह माना जा रहा है कि फिलहाल नीतीश के लिए यह राह इतना आसान नहीं है.

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में आयोजित भाकपा माले के राष्ट्रीय अधिवेशन में कहा था कि देश में व्यापक विपक्षी एकता का निर्माण हो, यह समय की मांग है. हम कांग्रेस के जवाब का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने मंच पर बैठे कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद से कहा था कि यह संदेश कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा दिया जाए. उन्होंने कहा कि यदि हम सभी मिलकर चलें तो भाजपा 100 के नीचे आ जाएगी.

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मेन फ्रंट की बात : इसी मंच से सलमान खुर्शीद ने कहा था कि नीतीश कुमार के बिहार मॉडल की चर्चा हर जगह होनी चाहिए. हम भी वही चाहते हैं जो आप चाहते हैं, मामला बस इतना है कि पहले 'आई लव यू' कौन बोलेगा. नीतीश कुमार वैसे तो कांग्रेस के साथ आने की बात करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर राहुल गांधी के नाम पर मुहर नहीं लगाते. हां, इतना जरूर है कि नीतीश कभी भी थर्ड फ्रंट की नहीं मेन फ्रंट की बात कर रहे हैं.

नीतीश की छवि से सभी परिचित : नीतीश भी जानते हैं कि कांग्रेस के बिना और कई अन्य क्षेत्रीय दलों के बिना मेन फ्रंट की कल्पना नहीं की जा सकती. वैसे, नीतीश के इस निवेदन को कांग्रेस कितनी अहमियत देगी इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है. नीतीश की पार्टी बिहार में ही तीसरे नंबर पर है. इसके अलावा जिस तरह नीतीश की छवि गठबंधन बदलने की रही है, उससे कांग्रेस भी परिचित है.

''नीतीश कुमार के मन में प्रधानमंत्री बनने की महत्वकांक्षा है. नीतीश की राजनीति में विश्वसनीयता नहीं है, वे चाहते हैं कि देश भर में वे विपक्षी एकता की अगुवाई करें. यह कभी हो सकता है? जो मुख्यमंत्री 17 साल शासन करने के बाद भी समाधान यात्रा पर निकलते हैं तो समझा जा सकता है.''- गिरिराज सिंह, केंद्रीय मंत्री

''छोड़िए.. क्या बात करते हैं. नीतीश कुमार से बिहार तो संभल नहीं रहा है और चले हैं, विपक्षी एकता करने. इनकी स्थिति यह हो गई है कि कांग्रेस के सामने यह मिन्नतें कर रहे हैं.''- रविशंकर प्रसाद, बीजेपी सांसद

'कांग्रेस के बिना कोई विपक्षी गठबंधन नहीं' : इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस के बिना कोई विपक्षी गठबंधन नहीं हो सकता है और कांग्रेस के बिना कोई भी गठबंधन विफल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस समान विचारधारा वाली पार्टियों को साथ लेने की कोशिश कर रही है. जयराम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान का भी स्वागत किया कि कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी को बिना किसी देरी के विपक्षी एकता पर फैसला लेना चाहिए.

कुशवाहा ने चुना अलग रास्ता : जेडीयू से सोमवार को वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी से इस्तीफा देकर नई पार्टी बना ली. फिलहाल, जदयू में खुद आंतरिक कलह मचा है और नीतीश विपक्षी एकता कर भाजपा को हटाने का दावा कर रहे हैं. इधर कांग्रेस भी भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए जमकर मेहनत कर रही है. लेकिन यह माना जा रहा है कि फिलहाल नीतीश के लिए यह राह इतना आसान नहीं है.

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