पटनाः बिहार में नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्ज दिए जाने की मांग को लेकर जब शिक्षकों ने आंदोलन किया तो सरकार ने शिक्षक संगठनों से वार्ता का आश्वासन दिया. दो महीने से अधिक समय हो गए, लेकिन सरकार ने शिक्षक संगठनों से वार्ता की कोई पहल नहीं की और शिक्षक संगठनों ने भी अपने आंदोलन के चरणबद्ध प्रदर्शन को ठप कर दिए.
ये भी पढ़ेंः Bihar Teacher Protest: शिक्षक अभ्यर्थियों पर पुलिस का लाठीचार्ज, राजभवन कूच के दौरान सड़क पर संग्राम
बिहार में कमजोर हुआ शिक्षक आंदोलन? आपको बता दें कि 11 जुलाई की प्रदर्शन में शामिल होने वाले नियोजित शिक्षक जो शिक्षक संगठन की राजनीति से बाहर है, लेकिन अपनी मांगों को लेकर विभिन्न शिक्षक संगठनों के आह्वान पर एकत्रित हुए थे. यह शिक्षक अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक राजू सिंह ने बताया कि कुछ शिक्षक संगठनों ने राजनीतिक दलों के प्रभाव में आकर आंदोलन को जरूर कमजोर किया है, लेकिन शिक्षकों का आंदोलन बंद नहीं हुआ है. हम आज भी अपनी स्थिति पर कायम हैं और एक बार फिर से दूसरे चरण का आंदोलन शुरू करने की तैयारी चल रही है.
" राज्यकर्मी का दर्जा की मांग करने वाले शिक्षकों ने कई शिक्षक संगठनों को मिलाकर एक नया मोर्चा तैयार किया है जिसका नाम रखा गया है शिक्षक संघर्ष मोर्चा. इस मोर्चे के तहत बीते दिनों विद्यालयों में काला पट्टी बांधकर कार्य किया गया और उसके बाद प्रखंड स्तर पर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया. जल्द ही शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पटना में एक बैठक होने वाली है. जिसमें दूसरे चरण के आंदोलन की शुरुआत होगी."- राजू सिंह, प्रदेश संयोजक, प्रारंभिक शिक्षक संघ
'शिक्षकों आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश' : राजू सिंह ने बताया कि कुछ शिक्षक संगठन पार्टीवादी मानसिकता से ग्रसित है और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा विभिन्न शिक्षक संगठनों के शीर्ष नेतृत्वकर्ता को अपने चंगुल में ले लिए हैं. जब-जब शिक्षक संगठन एकजुट होते हैं और शिक्षकों का आंदोलन मजबूत होता है, यह राजनीतिक पार्टियां साजिश के तहत अलग-अलग शिक्षक संगठनों को अपने चंगुल में लेकर शिक्षकों के आंदोलन को कमजोर करने में लग जाती हैं. राज्य कर्मी का दर्जा चाहने वाले संघर्ष पसंद शिक्षक राजनीतिक पार्टियों की मंशा को भली-भांति समझ चुके हैं.
सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे शिक्षकः बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ मूल के प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद कुमार यादव ने कहा कि सरकार ने अब तक जो भी समय दिया सभी समय सीमा पार हो चुकी है, लेकिन शिक्षकों की मांगों पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. वह प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को एक सप्ताह का अल्टीमेटम देते हैं कि इस दौरान नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दें, पुरानी पेंशन नीति पर विचार करें और आंदोलनकारी शिक्षकों पर हुई कार्रवाई को वापस लें. अन्यथा 1 सप्ताह बाद पटना में सभी शिक्षक संगठन एक बैनर तले एकत्रित होंगे और सरकार से आर पार की लड़ाई लड़ेंगे और पूरी जिम्मेदारी इसकी सरकार की होगी.
अधर में लटकी नियोजित शिक्षकों की मांगः बताते चलें कि नियोजित शिक्षकों की लंबे समय से मांग रही है कि उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए. 5 अगस्त को शिक्षकों की मांग पर महागठबंधन विधान मंडल दल की बैठक सीएम आवास में आयोजित की गई. बैठक में सीएम नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को बुलाकर कहा कि देखिए इसमें क्या कुछ हो सकता है, बैठक में शामिल नेताओं ने कहा कि वार्ता सकारात्मक रही, राज्यकर्मी के दर्जा को लेकर एक कमेटी का गठन किया जाएगा. अभी की स्थिति यह है कि इस बैठक के बाद शिक्षकों को ना तो राज्यकर्मी का दर्जा मिला ना ही निलंबित शिक्षकों की निलंबन वापस लिया गया. ना ही अब तक कोई कमेटी का गठन किया गया है.