पटना: बिहार में पुलिस वालों पर अनियमितता के आरोपों पर कार्रवाई तो की जाती है लेकिन नपते हैं छोटे पुलिस कर्मी. कहीं ना कहीं आईपीएस अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है. बीते दिनों ऐसे कई बड़े मामले सामने आए जिसमें आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. इतना ही नहीं कार्रवाई करने वाले अधिकारी के खिलाफ ही एक्शन ले लिया गया. विस्तार से जानें..
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नवादा एसपी पर FIR कराना पड़ा था महंगा: पुलिस मुख्यालय ( Police Headquarters Avoid Action Against IPS) की अनुशंसा पर बिहार सरकार के गृह विभाग के आरक्षी शाखा द्वारा अपर पुलिस महानिदेशक कमजोर वर्ग अनिल किशोर यादव (ADG of Police Weaker Sections Anil Kishore Yadav) को हाल ही में कमजोर वर्ग से ट्रांसफर कर एडीजी प्रशिक्षण की नई जिम्मेदारी दे दी गई है. इस परिवर्तन को नवादा एसपी गौरव मंगला के खिलाफ एफआईआर दर्ज (FIR on Nawada SP) कराने से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल मामला 8 सितंबर का नवादा नगर थाना का है. जहां काम में लापरवाही होने की वजह से एसपी साहब ने दारोगा समेत पांच पुलिसकर्मियों को थाने की हाजत में घंटों कैद कर रखा. थाने में रखी स्टेशन डायरी अपडेट ना होने की वजह से एसपी गौरव मंगला का गुस्सा भड़क गया. जिसके बाद उन्होंने एसआई को लगभग दो घंटे के लिए लॉकअप में लॉक कर दिया. इस मामले को लेकर बिहार पुलिस एसोसिएशन ने नाराजगी भी जाहिर की थी. इसके बाद पुलिस अपर महानिदेशक, कमजोर वर्ग अनिल किशोर यादव ने इस मामले में एसपी के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था. इसके बाद नवादा से लेकर पुलिस मुख्यालय तक तूफान मच गया था.
समस्तीपुर में सफाई कर्मी की मौत का मामला : वहीं समस्तीपुर जिले के रोसड़ा नगर पंचायत के सफाई कर्मी राम सेवक राम के हिरासत में हुई मौत के मामले में दरभंगा के पुलिस महानिरीक्षक ललन मोहन प्रसाद और समस्तीपुर के एसपी हृदय कांत पर दोषी अधिकारियों को बचाने की कोशिश का आरोप लगा है. रामसेवक की मौत पिछले साल 5 नवंबर को पीएमसीएच में इलाज के दौरान हो गई थी. आरोप था कि उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखकर प्रताड़ित किया गया था.
अनिल किशोर यादव ने पत्र लिख जताया एतराज: पुलिस मुख्यालय के विशेष सूत्रों के मुताबिक एडीजी कमजोर वर्ग अनिल किशोर यादव ने दरभंगा की आईजी और समस्तीपुर के एसपी को 7 दिन पहले कड़ा पत्र लिखा है जिसमें दोनों आईपीएस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की चेतावनी दी गई थी. इसमें एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी पदाधिकारी कर्मियों पर एफआईआर ना करने के लिए दोनों को कड़ी चेतावनी दी गई थी.
जांच में दोषी पाए गए थे कई पुलिस कर्मी: दरअसल इस मामले के अनुसंधान के लिए अपराध अनुसंधान विभाग एवं कमजोर वर्ग प्रभाग से जांच टीम भेजी गई थी. इस टीम के रिपोर्ट के आधार पर एससी एसटी एक्ट के प्रावधानों के तहत एफआईआर के आदेश दिए गए. पुलिस पर आरोप है कि पुलिस ने पंचुपुर निवासी रामसेवक को अवैध रूप से हिरासत में रखकर इतना पीटा कि इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने सीआईडी कमजोर वर्ग से जांच कराई थी. जांच में कई पुलिसकर्मी दोषी पाए गए थे.
छोटी मछलियों पर कार्रवाई: अगस्त 2018 में तत्कालीन SSP मनु महाराज ने अवैध वसूली के मामले में दीदारगंज और मालसलामी के तत्कालीन थानेदारों को निलंबित और वहां तैनात 93 पुलिसकर्मियों को एक साथ लाइन हाजिर कर दिया था. फरवरी 2017 में रुपये लेकर शराब वाहन छोड़ने के आरोप में बेउर थाने के थानेदार सहित 29 पुलिसकर्मियों की लाइन हाजिर कर विभागीय कार्रवाई की गई. वर्ष 2019 में रिश्वत लेकर सिक्का लुटेरों को छोड़ने के आरोप में बेउर के तत्कालीन थानेदार सहित पांच पुलिसकर्मियों को जेल भेजा गया. फरवरी 2022 में बिहटा में बालू लदे वाहनों से वसूली करने में चौराहे पर तैनात चालक जवान, चौकीदार सहित छह गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. अगस्त 2022 को दीदारगंज चेक पोस्ट पर तैनात पांच जवानों को रिश्वत लेकर शराब तस्कर को छोड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
बोले एडीजी- 'सभी पर होती है कार्रवाई': बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेन्द्र सिंह गंगवार की मानें तो जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत बिहार पुलिस मुख्यालय कार्य कर रही है. सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक के पुलिस अधिकारियों पर हाल के दिनों में शराबबंदी कानून के तहत कार्रवाई की गई है. इसके अलावा अपने कार्य में लापरवाही रिश्वत या मध निषेध कानून के तहत लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जा रही है.
"बिहार पुलिस के 6000 पुलिसकर्मियों पर चल रहे विभागीय कार्रवाई लंबित थी जिनका ज्यादा से ज्यादा निपटारा कर दिया गया है. पुलिस मुख्यालय द्वारा किसी भी प्रकार का भेदभाव छोटे अधिकारी और राजपत्रित पदाधिकारियों के बीच नहीं किया जाता है. बालू के अवैध खनन में संलिप्त कुछ डीएसपी से लेकर आईपीएस अधिकारी तक के अधिकारियों की संलिप्तता पाए जाने के बाद उन पर भी विभागीय कार्रवाई चल रही है."- जितेन्द्र सिंह गंगवार, एडीजी, बिहार पुलिस मुख्यालय