पटना: जदयू में इन दिनों सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. नीतीश कुमार के हाथों से उनका कोर वोट बैंक फिसलता नजर आ रहा है. कुशवाहा और कुर्मी जिसे लव कुश भी कहते हैं, नीतीश कुमार की मजबूत पकड़ मानी जाती रही है, लेकिन पार्टी से एक-एक कर कुशवाहा नेता बाहर निकल रहे हैं.
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बागी पर कार्रवाई से बच रहे नीतीश!: पहले उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू छोड़ा फिर सुहेली मेहता ने पार्टी छोड़ दिया. अब जदयू के एमएलसी रामेश्वर महतो ने पार्टी नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. साथ ही प्रदेश अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. इससे पहले मंत्री अशोक चौधरी पर भी आरोप लगाते रहे हैं लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ का कहना है कुशवाहा वोट बैंक के कारण के कारण नीतीश कुमार बागी पर कार्रवाई करने से बचते दिख रहे हैं.
कुशवाहा वोट बैंक को बचाने की कोशिश: वहीं पार्टी के कुशवाहा नेताओं का दावा है कि नीतीश कुमार ही कुशवाहा के नेता हैं और कुशवाहा का पुश्तैनी घर जदयू है. कुछ लोगों के जाने और आने से असर पड़ने वाला नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा जदयू में कुशवाहा के बड़े नेता के रूप में लाये गए थे लेकिन उनके जदयू छोड़ने के बाद एक के बाद एक कुशवाहा नेता जदयू को अलविदा कह रहे हैं.
कुशवाहा को पार्टी में खास तवज्जो: ऐसे नीतीश कुमार ने कुशवाहा वोट बैंक साधने के लिए कुशवाहा नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेवारी भी दी है. प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को बनाया है. जयंत राज कुशवाहा को मंत्री बनाया है. वहीं राष्ट्रीय कमेटी में भगवान सिंह कुशवाहा को जगह दी है और भी कई महत्वपूर्ण जगहों पर कुशवाहा नेताओं को लगाया गया है.
कुशवाहा नेताओं में घमासान: पिछले दिनों नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री आवास में कुशवाहा नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक भी की थी. इसके अलावा कुशवाहा मंच भी जदयू के लिए काम कर रहा है. जिसमें जदयू के मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष तक शामिल हैं, लेकिन इसके बावजूद पार्टी के अंदर कुशवाहा नेताओं के बीच घमासान बंद नहीं हो रहा है.
रामेश्वर महतो ने खोला मोर्चा: जदयू एमएलसी रामेश्वर महतो ने पार्टी नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुशवाहा नेताओं की बैठक बुलाई थी लेकिन इसमें रामेश्वर महतो को नहीं बुलाए जाने पर उन्होंने गहरी नाराजगी जतायी थी और इसके लिए उमेश कुशवाहा को दोषी ठहरा रहे हैं.
उमेश कुशावाहा भी जता चुके हैं नाराजगी: उमेश कुशवाहा पर पार्टी को कमजोर करने का भी आरोप लगाया जा रहा है. दूसरी तरफ उमेश कुशवाहा रामेश्वर महतो को धूर्त और स्वार्थी बता रहे हैं और यह भी कह रहे हैं कि वह हमारे अंग नहीं है. इसलिए उनकी बात का नोटिस नहीं लेते हैं. लेकिन जदयू के अंदर कुशवाहा नेताओं में बेचैनी साफ दिख रही है.
"जदयू कुशवाहा का पुश्तैनी घर है. कोई कुछ बोले कोई फर्क नहीं पड़ता है. कुशावाहा समाज के नेता नीतीश कुमार हैं. व्यक्तिगत स्वार्थ में लोग बयान देते रहते हैं. पार्टी में सही प्लेटफॉर्म में अपनी बात रखनी चाहिए."- वासुदेव कुशवाहा, प्रदेश महासचिव, जदयू
राजनीतिक विशेषज्ञों की राय: वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि रामेश्वर महतो, उपेंद्र कुशवाहा गुट के आदमी हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने अभी हाल ही में बयान दिया है कि जदयू के कई नेता उनके संपर्क में हैं, शुभ मुहूर्त का इंतजार है. रामेश्वर महतो के विधान परिषद का कार्यकाल अगले साल पूरा हो रहा है और इस साल लोकसभा का चुनाव है.
"उनके चुनाव लड़ने की भी चर्चा है और इसी कारण उन्होंने मोर्चा खोल रखा है. नीतीश कुमार लव कुश वोट बैंक के सहारे राजनीति करते रहे हैं तो उनकी मजबूरी है. पहले भी कार्रवाई करने से बचते रहे हैं."- अरुण पांडे , राजनीतिक विशेषज्ञ
कुशवाहा और कुर्मी वोट बैंक: बता दें कि बिहार में 9 से 10 फ़ीसदी के करीब कुशवाहा और कुर्मी वोट बैंक हैं, जिसे लव-कुश वोट बैंक भी कहा जाता है. नीतीश कुमार का यह कोर वोट बैंक है और इसके बूते ही नीतीश पिछले दो दशक से बिहार की राजनीति में पकड़ मजबूत बनाए हुए हैं. नीतीश कुमार का कुशवाहा मोह किसी से छुपा नहीं है.ले किन अब उसमें डेंट लग रहा है.
जदयू छोड़ने वाले में कुशवाहा नेताओं की तादाद लगातार बढ़ रही है. ऐसे तो नीतीश कुमार के नजदीकी कुर्मी जाति से आने वाले आरसीपी सिंह भी नीतीश को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. बीजेपी की नजर कुशवाहा वोट बैंक पर है और इसलिए प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी कुशवाहा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी को दी है. उपेंद्र कुशवाहा भी बीजेपी गठबंधन में जाएंगे यह तय माना जा रहा है. ऐसे में नीतीश कुमार के लिए कुशवाहा वोट बैंक को रोक पाना एक बड़ी चुनौती है. यह एक बड़ा कारण है जो नीतीश कुमार को बागी कुशवाहा नेताओं पर कार्रवाई करने से रोक रहा है.