पटना: बिहार के विभिन्न जिलों में सेना भर्ती में अग्निपथ योजना का विरोध (Agnipath Scheme Protest in Bihar) दूसरे दिन गुरुवार को भी जारी है. बक्सर, छपरा, कैमूर, आरा, नवादा और जहानाबाद सहित कई जिलों में छात्र इस योजना के विरोध में रेलवे ट्रैक और सड़कों पर उतरे और हंगामा किया. इस दौरान यातायात बाधित रही. सेना में भर्ती के लिए लाई गई 'अग्निपथ योजना' के विरोध में बिहार के छपरा और कैमूर में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन की बोगियों को आग के हवाले (Students Set Fire To Train In Kaimur) कर दिया. बसों और बाजारों में तोड़फोड़ की गई.
ये भी पढ़ें: अग्निपथ योजना को लेकर नवादा में बवाल, उपद्रवियों ने BJP कार्यालय को फूंका
बिहार में हिंसक हुआ 'अग्निपथ' आंदोलन : अग्निपथ स्कीम के तहत अग्निवीर बनने से पहले ही अभ्यर्थी गुस्से में हैं. बिहार में इसका असर कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है. लगातार दूसरे दिन छात्र सड़कों पर हैं. बक्सर से शुरू हुआ बवाल आरा, कैमूर और छपरा तक पहुंच चुका है. छात्र सेना में चार साल की भर्ती वाली इस योजना से नाराज हैं. छात्रों का कहना है कि चार साल की नौकरी के बाद 25 प्रतिशत छात्रों को तो नौकरी मिल जाएगी लेकिन 75 फीसदी लोग बेरोजगार हो जायेंगे.
'अंग्निपथ स्कीम' से क्यों नाराज है छात्र : दरअसल, 2020 से आर्मी अभ्यर्थियों की कई परीक्षाएं हुई थी. किसी का मेडिकल बाकी था तो किसी का रिटेन. ऐसे सभी अभ्यर्थियों की योग्यता एक झटके में रद्द कर दी गई. पहले ये नौकरी स्थाई हुआ करती थी. मतलब सरकारी नौकरी का ख्वाब इससे नौजवान पूरा करते थे. नई स्कीम की तहत बताया गया कि अब चार साल की नौकरी होगी. इसमें सिर्फ 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थाई किया जाएगा. 75 प्रतिशत चार साल बाद रिटायर हो जाएंगे. उनको पेंशन समेत बाकी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. बिहार जैसे राज्य में जहां ज्यादातर युवाओं का एक ही लक्ष्य कह लीजिए या सपना सरकारी नौकरी होता है, ऐसे में सपना टूटता देख छात्र सड़कों पर उतर गए.
''सिर्फ़ चार साल नौकरी करने के बाद हम कहां जाएंगे. चार साल की सर्विस के बाद तो हम बेघर हो जाएंगे. यही वजह है कि हमने सड़क जाम कर दी है. देश के नेताओं को अब पता चलेगा कि लोग जाग गए हैं.' प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इस योजना को तुरंत वापस लिया जाए.'' - प्रदर्शनकारी छात्र
ये भी पढ़ें: VIDEO: अग्निपथ स्कीम के विरोध में छपरा में प्रदर्शन, अभ्यर्थियों ने ट्रेन में लगायी आग
''भर्ती पहले की तरह की जाए, टूर ऑफ ड्यूटी (टीओडी) को वापस लिया जाए और परीक्षा पहले की तरह आयोजित की जाए. कोई भी सेना में सिर्फ 4 साल के लिए नहीं जाएगा. हम सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. महीनों के प्रशिक्षण और छुट्टी के साथ 4 साल की सेवा कैसी होगी? सिर्फ 3 साल के प्रशिक्षण के बाद हम देश की रक्षा कैसे करेंगे? सरकार को वापस लेनी होगी यह योजना.'' - प्रदर्शनकारी छात्र
छात्रों का सवाल: ऐसे में सवाल उठ रहे थे कि चार साल पूरे होने के बाद भले ही 25 फीसदी अग्निवीरों को स्थायी कैडर में भर्ती कर लिया जाएगा. लेकिन शेष 75 फीसदी युवाओं के पास चार साल बाद क्या विकल्प होगा. इस पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि बहुत से मंत्रालयों और राज्य सरकारों ने यह इच्छा जताई की है कि उनके मंत्रालयों, कॉरपोरेशनों में अगर कोई भर्ती आती है जो उन्हें इसमें प्राथमिकता दी जाएगी.
बिहार से सेना में 1.04 लाख जवान : सेना के तीनों अंगों जल सेना, थल सेना और वायु सेना में सबसे ज्यादा जवान यूपी और बिहार से आते हैं. रक्षा मंत्रालय द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक सेना में शामिल 2.18 लाख जवान यूपी से हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर बिहार है जहां से 1.04 लाख जवान सेना में शामिल होकर देश की रक्षा कर रहे हैं. बिहार और यूपी के बाद तीसरे नंबर पर राजस्थान है, जहां से 1.03 लाख जवान सेना में हैं.
क्या है 'अग्निपथ' योजना : केंद्र की अग्निपथ योजना के तहत इस साल 46 हजार युवाओं को सहस्त्र बलों में शामिल किया जाना है. योजना के मुताबिक युवाओं की भर्ती चार साल के लिए होगी और उन्हें ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा. अग्निवीरों की उम्र 17 से 21 वर्ष के बीच होगी और 30-40 हजार प्रतिमाह वेतन मिलेगा. योजना के मुताबिक भर्ती हुए 25 फीसदी युवाओं को सेना में आगे मौका मिलेगा और बाकी 75 फीसदी को नौकरी छोड़नी पड़ेगी.
ये भी पढ़ें: VIDEO: 'अग्निपथ' के विरोध में कैमूर में बवाल, छात्रों ने ट्रेन को फूंका