पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में एक बार फिर सामने आई है. आरजेडी को 75 सीटें मिली है, जबकि बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है. इस बार उसे 74 सीटें हासिल हुई हैं. वही सबसे बड़ा नुकसान जेडीयू को हुआ है. जो मात्र 43 सीटों पर सिमट गई है. इन सबके बीच इस बात पर चर्चा तेज है कि तमाम कोशिशों के बावजूद महागठबंधन आखिर कैसे बहुमत से चूक गया.
आरजेडी की ओर से तमाम तरह की कोशिशें हुई. जिनमें एक प्रमुख चुनावी मुद्दा रहा 10 लाख नौकरी. इसके साथ ही जिस तरीके से महागठबंधन में कांग्रेस के साथ सीटों का बंटवारा हुआ और वामदलों को लंबे समय के बाद एक प्लेटफॉर्म पर आकर एक साथ लड़ने का मौका मिला तो ऐसा लग रहा था कि इस बार महागठबंधन एनडीए को पीछे छोड़ देगा. लेकिन रोमांचक मुकाबले में आखिरकार महागठबंधन पीछे छूट गया और एक बार फिर एनडीए 125 सीटों के साथ सबसे बड़े गठबंधन के तौर पर सरकार बनाने में सफल हो गया.
नतीजों में गड़बड़ी का आरोप
आखिर वह कौन सी वजह रही जिसके कारण तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नहीं बन पाए.आरजेडी के नेता बीजेपी और जेडीयू को दोष दे रहे हैं. उनका आरोप है कि हार सामने देख अधिकारियों की मिलीभगत से नतीजों में गड़बड़ी की गई है. आरजेडी की प्रदेश प्रवक्ता डॉ. उर्मिला ठाकुर ने कहा कि नीतीश कुमार से इस तरह की बेईमानी की उम्मीद नहीं थी.
'हार के लिए आरजेडी ही दोषी'
हालांकि इस हार के लिए राजनीतिक विश्लेषक आरजेडी को ही दोषी ठहरा रहे हैं. प्रोफेसर डीएम दिवाकर ने कहा कि आखिर किस हिसाब से महागठबंधन में कांग्रेस को 70 सीटें दी गई. कांग्रेस ने अपनी सीटों पर कोई मेहनत नहीं की. जिसे कारण वह पिछले विधानसभा चुनाव में जीती हुई अपनी सीटें भी नहीं बचा पाई और इसका खामियाजा महागठबंधन को भुगतना पड़ा.
ओवैसी ने की सेंधमारी
इसके अलावा प्रोफेसर डीएम दिवाकर ने यह भी कहा की 70 सीटों पर कांग्रेस के साथ गठजोड़ की बजाय अगर इनमें से कुछ सीटें हम और वीआईपी जैसी पार्टियों के लिए रखी जाती तो नतीजे कुछ और होते. वो यह भी कहते हैं कि सीमांचल में असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी कर के सबसे बड़ा नुकसान महागठबंधन को ही पहुंचाया है. जिसका खामियाजा महागठबंधन को हार के रूप में भुगतना पड़ा है.