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चुनौती बेहिसाब! पिता के 'बंगले' पर चाचा की नजर, कैसे बचा पाएंगे चिराग? - बंगला बचाने की चुनौती

एलजेपी में बगावत के बाद चिराग पासवान के सामने पार्टी को बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है. क्योंकि संसदीय दल के नेता की मान्यता मिलने के बाद पशुपति पारस के गुट ने पार्टी पर भी अपना दावा जताया है.

देखें रिपोर्ट
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Published : Jun 14, 2021, 10:32 PM IST

Updated : Jun 15, 2021, 11:52 AM IST

पटना: कभी बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान की तूती बोलती थी, लेकिन आज बेटे चिराग पासवान (Chirag Paswan) के सामने 'बंगला' बचाने की चुनौती है. क्योंकि चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. फिलहाल चिराग पशोपेश में हैं. वे आगे की रणनीति का खुलासा नहीं कर पा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- राजनीतिक सिक्के के दो पहलू: UP में पड़ा था भतीजा भारी, बिहार में चाचा ने दे दी पटखनी

चक्रव्यूह में फंसे चिराग पासवान
सूबे की सियासत रामविलास पासवान का लंबे समय तक जलवा रहा है. पार्टी पर भी उनका ही एकछत्र राज था. उन्होंने वर्ष 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की थी. जिस दमदार तरीके से उन्होंने पार्टी को खड़ा किया, उनके निधन के बाद उतनी ही तेजी से पार्टी की नैया डगमगाने लगी है. उनके पुत्र चिराग पासवान कई राजनीतिक चुनौतियों से घिरे हुए हैं.

देखें रिपोर्ट

'बंगला' बचाने की बड़ी चुनौती
चाचा पशुपति पारस की बगावत के कारण आज हालात ऐसे हैं कि चिराग पासवान के लिए अब पार्टी का चुनाव चिह्न 'बंगला' बचाने तक की चुनौती खड़ी हो गई है. पारस ने 5 सांसदों के साथ अलग गुट बना लिया है. उनकी ओर से पार्टी पर भी दावे किए जा रहे हैं.

चिराग की हालत पर जेडीयू खुश
हालांकि चिराग पासवान फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं, लेकिन बंगले पर दावेदारी को लेकर पेंच फंस गया है. 'दुश्मन' के घर आग लगने से जेडीयू की बांछें खिल गई है. पूर्व विधान पार्षद रामबदन राय के मुताबिक चिराग ने विधानसभा चुनाव में एनडीए को नुकसान पहुंचाया था, आज खुद खामियाजा भुगत रहे हैं.

एलजेपी पर पारस का दावा- हम
वहीं, हम पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव कहते हैं कि कोई रामविलास पासवान के बाद जीतन राम मांझी दलितों के सबसे बड़े नेता हैं. चिराग को भी उनके नेतृत्व में आकर काम करना चाहिए. जहां तक सवाल एलजेपी पर दावे का है तो मुझे लगता है कि पशुपति पारस का ही वाजिब दावा बनता है.

अभी लड़ाई लंबी चलेगी
राजनीति को जानने वाले मानते हैं कि पार्टी पर वास्तव में किसका दावा बनेगा, अभी ये कहना आसान नहीं है. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार की मानें तो अभी लंबी लड़ाई चलने वाली है. पार्टी की पार्लियामेंट्री बोर्ड राज्य कार्यकारिणी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की भूमिका यह तय करेगी कि पार्टी पर किसका दावा होगा?

ये भी पढ़ें- लोकसभा अध्यक्ष ने पशुपति पारस को दी LJP संसदीय दल के नेता की मान्यता

पशुपति बने संसदीय दल के नेता
6 में से 5 सांसदों के साथ बगावत करने वाले पशुपति पारस को पहली सफलता भी मिल गई है. क्योंकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उन्हें एलजेपी संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता दे दी है. इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मिलकर सभी सांसदों ने एक पत्र सौंपा था.

2000 में एलजेपी की स्थापना
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने साल 2000 में जनता दल (यूनाइटेड) से अलग होकर लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) का गठन किया था. मौजूदा समय में चिराग पासवान राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जबकि उनके चचेरे भाई प्रिंस राज बिहार इकाई के अध्यक्ष हैं.

पटना: कभी बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान की तूती बोलती थी, लेकिन आज बेटे चिराग पासवान (Chirag Paswan) के सामने 'बंगला' बचाने की चुनौती है. क्योंकि चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. फिलहाल चिराग पशोपेश में हैं. वे आगे की रणनीति का खुलासा नहीं कर पा रहे हैं.

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चक्रव्यूह में फंसे चिराग पासवान
सूबे की सियासत रामविलास पासवान का लंबे समय तक जलवा रहा है. पार्टी पर भी उनका ही एकछत्र राज था. उन्होंने वर्ष 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की थी. जिस दमदार तरीके से उन्होंने पार्टी को खड़ा किया, उनके निधन के बाद उतनी ही तेजी से पार्टी की नैया डगमगाने लगी है. उनके पुत्र चिराग पासवान कई राजनीतिक चुनौतियों से घिरे हुए हैं.

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'बंगला' बचाने की बड़ी चुनौती
चाचा पशुपति पारस की बगावत के कारण आज हालात ऐसे हैं कि चिराग पासवान के लिए अब पार्टी का चुनाव चिह्न 'बंगला' बचाने तक की चुनौती खड़ी हो गई है. पारस ने 5 सांसदों के साथ अलग गुट बना लिया है. उनकी ओर से पार्टी पर भी दावे किए जा रहे हैं.

चिराग की हालत पर जेडीयू खुश
हालांकि चिराग पासवान फिलहाल अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं, लेकिन बंगले पर दावेदारी को लेकर पेंच फंस गया है. 'दुश्मन' के घर आग लगने से जेडीयू की बांछें खिल गई है. पूर्व विधान पार्षद रामबदन राय के मुताबिक चिराग ने विधानसभा चुनाव में एनडीए को नुकसान पहुंचाया था, आज खुद खामियाजा भुगत रहे हैं.

एलजेपी पर पारस का दावा- हम
वहीं, हम पार्टी के प्रवक्ता विजय यादव कहते हैं कि कोई रामविलास पासवान के बाद जीतन राम मांझी दलितों के सबसे बड़े नेता हैं. चिराग को भी उनके नेतृत्व में आकर काम करना चाहिए. जहां तक सवाल एलजेपी पर दावे का है तो मुझे लगता है कि पशुपति पारस का ही वाजिब दावा बनता है.

अभी लड़ाई लंबी चलेगी
राजनीति को जानने वाले मानते हैं कि पार्टी पर वास्तव में किसका दावा बनेगा, अभी ये कहना आसान नहीं है. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार की मानें तो अभी लंबी लड़ाई चलने वाली है. पार्टी की पार्लियामेंट्री बोर्ड राज्य कार्यकारिणी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की भूमिका यह तय करेगी कि पार्टी पर किसका दावा होगा?

ये भी पढ़ें- लोकसभा अध्यक्ष ने पशुपति पारस को दी LJP संसदीय दल के नेता की मान्यता

पशुपति बने संसदीय दल के नेता
6 में से 5 सांसदों के साथ बगावत करने वाले पशुपति पारस को पहली सफलता भी मिल गई है. क्योंकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उन्हें एलजेपी संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता दे दी है. इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मिलकर सभी सांसदों ने एक पत्र सौंपा था.

2000 में एलजेपी की स्थापना
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने साल 2000 में जनता दल (यूनाइटेड) से अलग होकर लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) का गठन किया था. मौजूदा समय में चिराग पासवान राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जबकि उनके चचेरे भाई प्रिंस राज बिहार इकाई के अध्यक्ष हैं.

Last Updated : Jun 15, 2021, 11:52 AM IST
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