पटना: बिहार की इकलौती महिला मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनसे जुड़ी वेब सीरीज महारानी (Maharani Web Series) इन दिनों काफी चर्चा में है. इसमें राबड़ी देवी के कम पढ़ा लिखा होने को लेकर कटाक्ष किया गया है. इस मामले में विवाद बढ़ने पर फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर उमाशंकर सिंह ने सफाई दी है.
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वेब सीरीज के एक दृश्य में एक डायलॉग है "हमसे 50 लीटर दूध दुहा लीजिए...500 गोबर का गोइठा ठोकवा लीजिए, लेकिन एक दिन में इतने फाइल पर अंगूठा नहीं लगा सकती". इसके साथ ही बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर पेट में दांत वाले डायलॉग की भी चर्चा हो रही है.
राबड़ी की बेटी ने जताई थी आपत्ति
फिल्म रिलीज होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को अनपढ़ कहने वालों पर उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया के जरिए नाराजगी जताई है. उन्होंने कथित बुद्धिजीवियों को राक्षस करार दिया था. रोहिणी ने अपने ट्वीट में लिखा...
पढ़ लिखकर बुद्धिजीवी बनकर
क्या कर लिया तुमने
मानवता को भुलाकर
राक्षसी प्रवृत्ति को अपनाकर
लूट लिया बालिका गृह कांड में
मासूम अबला की इज्जत तुमने।।
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पढ़-लिखकर बुद्धिजीवी बनकर..
— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) May 30, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
क्या कर लिया तुमने..?
मानवता को भुलाकर..
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राक्षसी प्रवृत्ति को अपनाकर..
लूट लिया बालिका गृह कांड में ..
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क्या कर लिया तुमने..?
मानवता को भुलाकर..
राक्षसी प्रवृत्ति को अपनाकर..
लूट लिया बालिका गृह कांड में ..
मासूम अबला की इज्जत तुमने..!!
'फिल्म के किरदार काल्पनिक'
वेब सीरीज महारानी के स्क्रिप्ट राइटर उमाशंकर सिंह है. उमाशंकर बिहार से हैं और मुंबई में रहते हैं. महारानी के राबड़ी देवी कनेक्शन से उठ रहे विवाद के बाद उमाशंकर ने सफाई दी है. उनका कहना है कि फिल्म काल्पनिक है. इसके किसी किरदार का किसी पार्टी या व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है.
"यह फिल्म पूरी तरह एक फिक्शन है. फिल्म बिहार की सियासत से प्रभावित है तो जाहिर तौर पर इसमें कुछ किरदार राबड़ी देवी और अन्य लोगों से मिलते-जुलते दिखते हैं. यह सिर्फ बिहार की सियासत की पृष्ठभूमि दिखाने के लिए है. हकीकत में किसी व्यक्ति विशेष या किसी पार्टी से इस फिल्म के किसी किरदार का कोई लेना देना नहीं है."- उमाशंकर सिंह, स्क्रिप्ट राइटर, महारानी
राबड़ी के कार्यकाल को किया गया है महिमामंडित
फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम ने बताया कि इस फिल्म के जरिए एक तरह से राबड़ी देवी के कार्यकाल को महिमामंडित करने की कोशिश की गई है. वित्त सचिव से लेकर रणवीर सेना से सवर्णों के संबंध तक के किरदार और वाकये कहीं ना कहीं बिहार की सियासत से जुड़े तथ्यों से बिल्कुल परे हैं. फिल्म को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की कवायद में कई अजीबोगरीब बातें इस वेब सीरीज में दिखती हैं, जिनका हकीकत से कोई लेना देना नहीं है.
राजद के लिए बनाई गई है 'महारानी'
"मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वेब सीरीज महारानी राजद के लिए बनाई गई है. इसका विरोध वेब सीरीज को प्रचार देने की रणनीति का हिस्सा है ताकि बिहार के अधिक से अधिक लोग इसे देखें. फिल्म में दर्शकों को राबड़ी देवी के शासनकाल के पॉजिटिव एंगल से रू-ब-रू कराने की कोशिश की गई है. फिल्म में राबड़ी देवी को महिला सशक्तिकरण का प्रतीक दिखाया गया है. दिखाया गया है कि वह भ्रष्टाचार की पर्दाफाश करती हैं. भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के कारण अपने पति तक को विधानसभा के अंदर गिरफ्तार करा देती हैं."- विनोद अनुपम, फिल्म समीक्षक
नेताओं पर बनती रही हैं फिल्में
गौरतलब है कि राजनीतिक विषय या नेताओं पर फिल्में बनती रहीं हैं. उनपर विवाद भी खड़ा हुआ है. फिर चाहे फिल्म रीलीज होने की टाइमिंग हो या फिर फिल्म का कंटेंन्ट. जैसे...
नरेंद्र मोदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बायोपिक और वेब सीरीज दोनों बनी हैं. फिल्म का नाम पीएम नरेंद्र मोदी है. नरेंद्र मोदी का किरदार विवेक ओबेरॉय ने निभाया है. वेब सीरीज का नाम 'मोदीः जर्नी ऑफ अ कॉमन मैन' है.
मनमोहन सिंह: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल पर लिखी गई किताब 'दी एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' पर फिल्म बनी है. फिल्म में मनमोहन सिंह का किरदार अनुपम खेर ने निभाया था.
बाल ठाकरे: शिवसेना के संस्थापक और महाराष्ट्र के बड़े नेता रहे बाल ठाकरे पर बनी फिल्म का नाम ठाकरे है. यह 2019 में रिलीज हुई. बाल ठाकरे का किरदार नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने निभाया था.
अन्ना हजारे: समाजसेवी और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के नेता रहे अन्ना हजारे पर भी फिल्म बनी है. हिंदी का नाम 'अन्ना किशन बाबूराव हजारे' था. अन्ना का किरदार शंशाक उदापुरकर ने निभाया था.
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