पटना: बिहार में पश्चिमी विक्षोभ से मौसम में बदलाव (Bihar Weather Today) देखने को मिला है. बिहार की राजधानी पटना समेत कई जगहों पर माघ में सावन भादो की तरह बारिश (Bihar Rain Alert) ने पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. 24 घंटे के दौरान पटना समेत प्रदेश के 38 जिलों में मेघ गर्जन व तेज हवा के साथ झमाझम बारिश दर्ज की गई. मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार राज्य में फरवरी में सामान्य से 107 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई. शुक्रवार को बिहार के कई जगहों पर भारी बारिश के साथ जमकर ओलावृष्टि हुई. मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, 5 फरवरी को राज्य के उत्तर-पूर्व और दक्षिणी क्षेत्रों में अलग-अलग स्थानों पर मध्यम बारिश हो सकती है, जबकि बाकी हिस्सों में मौसम शुष्क रहेगा.
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पटना में पिछले 24 घंटे में 36.2 एमएम बारिश हुई है. इसलिए मौसम विभाग ने बीते दिनों पटना, लखीसराय, बेगूसराय, वैशाली, मुजफ्फरपुर, खगड़िया, सहरसा, मुंगेर, नवादा, समस्तीपुर और शेखपुरा में येलो अलर्ट जारी किया था. लेकिन बदलते मौसम को देखते हुए मौसम विज्ञान केंद्र पटना (Meteorological Center Patna) में शुक्रवार की देर रात सिवान और सराण में ऑरेंज अलर्ट (Orange Alert In Bihar) जारी किया. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, बिहार के इन जिलों में आने वाले अगले 2 से 3 घंटों के दौरान हल्की से मध्यम मेघगर्जन, वज्रपात के साथ बारिश होने की संभावना है. इन जिलों के कुछ भागों में करीब 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवा चलने की संभावना व्यक्त की है.
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बिहार में बारिश क अलर्ट जारी करते हुए विभाग ने लोगों से घरों के अंदर ही रहने की अपील की है. मौसम विभाग ने लोगों से अपील की है कि जब बारिश हो या बिजली कड़के तो लोग पक्के मकान में शरण लें. इस दौरान पूरी सावधानी बरतें. खुले मैदान, नदियां, जलजमाव वाले क्षेत्र, आम और लीची के बागान जैसे जगहों पर बिजली गिरने की संभावनाएं अधिक हैं.
बिहार के कई जिलों में शुक्रवार को आसमान से आफत गिरी है. मोतिहारी में वज्रपात से मां बेटी की मौत (Lightning killed two in Motihari) हो गई. वहीं नालंदा में एक घर पर ठनका गिरा (House collapsed due to thunderstorm in Nalanda) है, जिसमें कई लोग घायल हो गए है. वहीं, बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के पिपरासी प्रखंड क्षेत्र में शुक्रवार को दोपहर हुए मुसलाधार बारिश में लगभग 20 मिनट तक लगातार ओले पड़ते रह गए. ओले गिरने की रफ्तार इतनी तेज थी कि सड़कों और लोगों के दरवाजों पर जमीन के स्थान पर केवल ओले ही ओले दिख रहे थे. खेतों में गिरे ओले के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ है. आइये जानते है इन अलर्ट्स का क्या मतलब होता है.
ब्लू अलर्ट (Blue Alert) : जिन इलाकों में बारिश की संभावना होती है उसके लिए मौसम विभाग ब्लू अलर्ट जारी करता है. इस दौरान जिले के कई इलाकों में गरज के साथ बारिश के आसार की चेतावनी होती है.
येलो अलर्ट (Yellow Alert) : भारी बारिश, तूफान, बाढ़ या ऐसी प्राकृतिक आपदा से पहले लोगों को सचेत करने के लिए मौसम विभाग येलो अलर्ट जारी करता है. इस चेतावनी का मतलब है कि 7.5 से 15 मिमी की भारी बारिश होने की संभावना है. अलर्ट जारी होने के कुछ घंटों तक बारिश जारी रहने की संभावना रहती है. बाढ़ आने की आशंका भी रहती है.
ऑरेंज अलर्ट (Orange Alert) : चक्रवात के कारण मौसम के बहुत अधिक खराब होने की आशंका होती है जो कि सड़क और वायु परिवहन को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ जान और माल की क्षति भी कर सकता है. ऐसे में ऑरेंज अलर्ट जारी किया जाता है. जैसे-जैसे मौसम और खराब होता है, येलो अलर्ट को अपडेट करके ऑरेंज कर दिया जाता है. ऑरेंज अलर्ट में लोगों को घरों में रहने की सलाह दी जाती है.
रेड अलर्ट (Red Alert) : जब मौसम खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और भारी नुकसान होने का खतरा रहता है तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है. जब भी कोई चक्रवात अधिक तीव्रता के साथ आता है तो मौसम विभाग की ओर से तूफान की रेंज में पड़ने वाले इलाकों के लिए रेड अलर्ट जारी किया जाता है. ऐसे में प्रशासन से जरूरी कदम उठाने के लिए कहा जाता है.
ग्रीन अलर्ट (Green Alert) : कई बार विभाग मौसमी बदलावों की संभावना पर ग्रीन अलर्ट की घोषणा करता है. हालांकि, बारिश तो होगी लेकिन वह सामान्य स्थिति रहेगी. यानी संबंधित जगह पर कोई खतरा नहीं है. आपको बता दें कि ब्लू अलर्ट और येलो अलर्ट का सिग्नल क्या होता है? जिन इलाकों में बारिश की संभावना होती है. उसके लिए मौसम विभाग ब्लू अलर्ट (Blue Alert) जारी करता है. इस दौरान जिले के कई इलाकों में गरज के साथ बारिश के आसार की चेतावनी होती है. वहीं, मौसम विभाग के अनुसार येलो अलर्ट के तहत लोगों को सचेत रहने के लिए अलर्ट किया जाता है. यह अलर्ट जस्ट वॉच का सिग्नल है.
बिजली गिरने पर क्या करेंः सिर के बाल खड़े हो जाएं या झुनझुनी होने लगे तो फौरन नीचे बैठकर कान बंद कर लें. यह इस बात का संकेत है कि आपके आस-पास बिजली गिरने वाली है. दोनों पैरों को आपस में सटा लें, दोनों हाथों को घुटनों पर रख कर अपने सिर को जमीन की तरफ जितना संभव हो झुका लें. सिर को जमीन से सटने न दें. जमीन पर कभी न लेटें. पेड़ बिजली को आकर्षित करते हैं, इसलिए पेड़ के नीचे खड़े न हों. समूह में न खड़े रहें, अलग-अलग हो जाएं. जहां हैं, वहीं रहें. हो सके तो पैरों के नीचे सूखी चीजें जैसे-लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा या सूखे पत्ते रख लें. घर से बाहर हैं तो धातु से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल न करें. बाइक, बिजली के पोल या मशीन से दूर रहें. बिजली से चलने वाले उपकरणों से दूर रहें. खिड़कियों, दरवाजे, बरामदे और छत से दूर रहें.
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