पटनाः जनता दल यूनाइटेड में कभी कद्दावर नेता माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Former Union Minister RCP Singh) ने इन दिनों पार्टी नेताओं की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं. जिस प्रकार से उनके समर्थक 'बिहार का मुख्यमंत्री कैसा हो, आरसीपी सिंह जैसा हो' के नारा लगा रहे हैं, उससे पार्टी के नेता परेशान हैं. वहीं, इन नेताओं का कहना है कि जदयू में तो नीतीश कुमार ही नेता हैं. अगर कोई दूसरे किसी को मुख्यमंत्री बनाने का नारा लगाता है तो वह जदयू का कार्यकर्ता नहीं हो सकता. हालांकि इन दिनों नारे लगातार लग रहे हैं और कोई एक्शन भी नहीं हो रहा है. वैसे नीतीश कुमार (Waiting For Nitish Kumar Decision Regarding Action On RCP) की पहले से रणनीति रही है दिग्गज नेताओं के साथ कठोर एक्शन नहीं लेने की. ये बात भी सच है कि नीतीश ऐसी परिस्थिति जरूर कर देते हैं कि दिग्गज नेता खुद पार्टी से बाहर निकल जाते हैं. जानकारों का कहना है कि कमोबेश आरसीपी सिंह के लिए नीतीश वही स्थिति पैदा कर रहे हैं.
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कुछ कर नहीं पा रहे पार्टी के शीर्ष नेताः पिछले दिनों आरसीपी सिंह के समर्थकों ने कई स्थानों पर उनके समर्थन में जमकर नारे लगाए. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक ने इस पर बयान दिया और नाराजगी जताई. इसे अनुशासनहीनता बताने की कोशिश की, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिलहाल कोरोना संक्रमित हैं और इसलिए पार्टी के शीर्ष नेता कुछ कर नहीं पा रहे हैं. नीतीश कुमार के स्वस्थ होने के बाद संभव है आरसीपी सिंह को लेकर कोई एक्शन प्लान बने.
अधिकांश नेताओं ने खुद पार्टी छोड़ दीः वैसे अगर देखा जाए तो शरद यादव, दिग्विजय सिंह, जॉर्ज फर्नांडिस, नागमणि, रेणु कुशवाहा, अरुण कुमार सरीखे कई नेता ऐसे हैं, जिन पर नीतीश कुमार ने एक्शन नहीं लिया, लेकिन परिस्थिति जरूर नीतीश ने ऐसी पैदा कर दी कि अधिकांश ने खुद पार्टी छोड़ दिया यहां तक की कभी ललन सिंह ने भी नीतीश कुमार से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी थी और उपेंद्र कुशवाहा ने भी. कमोबेश नीतीश ने आरसीपी सिंह के लिए भी उसी तरह की स्थिति पैदा कर दी है.
"नीतीश कुमार के बाद दो नंबर की कुर्सी पर दावेदारी आरसीपी सिंह की ही मानी जाती थी. पार्टी के अधिकांश डिसीजन नीतीश कुमार के नाम पर आरसीपी सिंह ही लेते थे. अभी की परिस्थिति में आरसीपी सिंह अलग-थलग पड़ गए हैं, इसके कारण बौखलाहट भी है और फिलहाल अपने गांव में ही रह रहे हैं. नीतीश कुमार की कार्यशैली भी रही है. पहले भी कई दिग्गज नेताओं शरद यादव, जॉर्ज फर्नांडिस, दिग्विजय सिंह सहित कई के साथ इसी तरह की परिस्थिति पैदा करते रहे हैं"- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
वहीं, नीतीश कुमार के कभी नजदीकी माने जाने वाले आरजेडी नेता उदय नारायण चौधरी का कहना है कि आरसीपी सिंह कभी पॉलीटिशियन नहींरहे , वो शुरू से नीतीश कुमार के साथ रहे हैं. कभी सचिव के रूप में कभी ओएसडी के रूप में और जब रेल मंत्री थे. उसी समय से आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के साथ हैं. दिग्गज नेताओं के खिलाफ एक्शन नहीं लेना नीतीश कुमार की वर्किंग स्टाइल है.
जेडीयू से नाराज चल रहे आरसीपीः दरअसल, जेडीयू की ओर से आरसीपी सिंह को राज्यसभा नहीं भेजा गया है और इसके कारण उनका केंद्र में मंत्री पद भी चला गया. पटना में जो आवास था वह भी ले लिया गया. इसीलिए उनके समर्थक जिस प्रकार से नारे लगा रहे हैं उसके विरोध में आरसीपी सिंह कहीं भी बोल नहीं रहे हैं और न ही समर्थकों को मना कर रहे हैं. यहां तक कि सोशल मीडिया पर समर्थकों के स्वागत की तारीफ कर रहे है. यही पार्टी के नेताओं खासकर राष्ट्रीय अध्यक्ष को अखर रहा है. लेकिन जब तक नीतीश कुमार का सिग्नल नहीं मिल जाता तब तक कार्रवाई होगी इसकी संभावना कम है. नीतीश कुमार पहले भी दिग्गज नेताओं पर कार्रवाई से बचते रहे हैं, आरसीपी सिंह मामले में भी कोई बड़ा एक्शन लेंगे इसकी उम्मीद कम है.