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पंचायत चुनाव: विकास योजनाओं में गड़बड़ी से मतदाता नाराज, जनप्रतिनिधियों को सिखाएंगे सबक!

पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) को लेकर हर जगह प्रत्याशी विकास का दावा कर रहे हैं, लेकिन जनता पिछले 5 साल के विकास कार्यों का आकलन कर ही नतीजा सुनाने के मूड में दिख रही है. पटना के नौबतपुर प्रखंड के चिरौरा में इंदिरा आवास योजना से लेकर सड़क और नल-जल योजना में हुई गड़बड़ी से लोग खासा नाराज हैं.

चिरौरा पंचायत में इंद्रा आवास में गरबरी
चिरौरा पंचायत में इंद्रा आवास में गरबरी
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Published : Sep 28, 2021, 3:45 PM IST

पटना: गरीबों के विकास (Development) के लिए सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे करती हो, लेकिन धरातल पर तस्वीर कुछ अलग ही नजर आती है. राज्य में इस समय पंचायत की सरकार चुनने के लिए चुनाव कराए जा रहे हैं. प्रत्याशी जनता के बीच जाकर वोट मांग रहे हैं. इसके साथ ही जनता भी प्रत्याशियों को लेकर कई गुणा-भाग कर रही है. पटना (Patna) जिले के नौबतपुर प्रखंड के चिरौरा में भी लोग उम्मीदवारों के दावों में विकास की उम्मीद ढूंढ रहे हैं. यहां के लोग निवर्तमान मुखिया समेत तमाम जनप्रतिनिधियों से नाराज हैं.

ये भी पढ़ें: पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी की भाभी पंचायत चुनाव हारीं

ईटीवी भारत की टीम जैसे ही उस पंचायत में पहुंची, वहां के स्थानीय लोगों का गुस्सा पंचायत के मुखिया पर भड़क उठा. स्थानीय लोगों का गुस्सा होना भी लाजमी था, क्योंकि हालात वहां के वाकई बेहद खराब हैं. स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इंदिरा आवास में जमकर बंदरबांट किया है. जिस वजह से कई गरीब परिवारों को इंदिरा आवास का लाभ नहीं मिल पाया है. लोग अभी भी मिट्टी के घरों में रहने को मजबूर हैं. बरसात में घर कब गिर जाए, इसी आशंका में लोग एक-एक दिन गुजार रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

चिचौरा पंचायत के लगभग 50 घर ऐसे हैं, जो काफी गरीब लोग हैं. ये लोग मिट्टी के घरों में रहते हैं, लेकिन वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा इंदिरा आवास से उनको वंचित रखा गया. इतना ही नहीं, कुछ वार्डों को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी गांव में सरकार की सात निश्चय योजना के अंतर्गत नल जल और गली नली जैसी योजना धरातल पर नहीं उतरी हुई है. कुछ घर ऐसे भी हैं, जिसमें आज तक शौचालय नहीं बना है.

वहीं, नल जल का काम शुरू तो हुआ है, लेकिन वह भी आधा-अधूरा पड़ा है. आलम ये है कि एक सरकारी नल पर सैकड़ों लोग आश्रित हैं. खाना बनाना हो तो चापाकल से पानी भरकर ले जाते हैं. खाना बनाते हैं और कपड़ा धोना, स्नान करना तमाम चीजें उस सरकारी चापाकल पर ही होती हैं. रोड के नाम पर कच्ची सड़क है, जिस पर पानी लगा हुआ है. स्थानीय लोगों ने मुखिया को कई बारे में कहा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. बरसात होने पर घुटने भर पानी से होकर ही इन्हें गुजरना पड़ता है.

स्थानीय बुजुर्ग मतदाता ज्वाला प्रशाद शर्मा ने कहा कि चिरौरा पंचायत के गोपालपुर के कई वार्ड में सड़क नहीं बन पाई है. इतना ही नहीं इंदिरा आवास योजना को लेकर बताया कि केवल 30 लोगों को ही इसका लाभ मिल पाया है. उन्होंने दावा किया कि योजना में जमकर धांधली हुई है. जरूरतमंदों को आवास नहीं दिया गया और अपने लोगों को एक घर में दो-दो आवास दे दिया गया.

ये भी पढ़ें: VIDEO: चुनाव जीतने पर खुशी बर्दाश्त नहीं कर पाए मुखिया और उनके समर्थक, उठायी बंदूक और करने लगे फायरिंग

स्थानीय मंजू देवी ने पंचायत के प्रतिनिधियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि डबरा में रोड है. कई बार शिकायत करने के बाद भी सड़क नहीं बनवाया गया. नल है पर जल नहीं, रोज पानी नल से नहीं मिल पाता है और मजबूरी में इन महिलाओं को चापाकल से पानी भर कर ले जाना पड़ता है.

इस बार पंचायत चुनाव में काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है. जो मुखिया अपने कार्यकाल के दौरान पंचायत का विकास नहीं कर पाए हैं, उन्हें इस बार जनता सबक सिखाने के मूड में दिख रही है. पहले चरण की मतगणना के दिन यह साफ तौर पर देखा गया है कि बहुत सारे ऐसे ही मुखिया थे, जो पिछले चुनाव में जीते थे लेकिन वह इस बार हार गए हैं.

पटना: गरीबों के विकास (Development) के लिए सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे करती हो, लेकिन धरातल पर तस्वीर कुछ अलग ही नजर आती है. राज्य में इस समय पंचायत की सरकार चुनने के लिए चुनाव कराए जा रहे हैं. प्रत्याशी जनता के बीच जाकर वोट मांग रहे हैं. इसके साथ ही जनता भी प्रत्याशियों को लेकर कई गुणा-भाग कर रही है. पटना (Patna) जिले के नौबतपुर प्रखंड के चिरौरा में भी लोग उम्मीदवारों के दावों में विकास की उम्मीद ढूंढ रहे हैं. यहां के लोग निवर्तमान मुखिया समेत तमाम जनप्रतिनिधियों से नाराज हैं.

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ईटीवी भारत की टीम जैसे ही उस पंचायत में पहुंची, वहां के स्थानीय लोगों का गुस्सा पंचायत के मुखिया पर भड़क उठा. स्थानीय लोगों का गुस्सा होना भी लाजमी था, क्योंकि हालात वहां के वाकई बेहद खराब हैं. स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इंदिरा आवास में जमकर बंदरबांट किया है. जिस वजह से कई गरीब परिवारों को इंदिरा आवास का लाभ नहीं मिल पाया है. लोग अभी भी मिट्टी के घरों में रहने को मजबूर हैं. बरसात में घर कब गिर जाए, इसी आशंका में लोग एक-एक दिन गुजार रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

चिचौरा पंचायत के लगभग 50 घर ऐसे हैं, जो काफी गरीब लोग हैं. ये लोग मिट्टी के घरों में रहते हैं, लेकिन वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा इंदिरा आवास से उनको वंचित रखा गया. इतना ही नहीं, कुछ वार्डों को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी गांव में सरकार की सात निश्चय योजना के अंतर्गत नल जल और गली नली जैसी योजना धरातल पर नहीं उतरी हुई है. कुछ घर ऐसे भी हैं, जिसमें आज तक शौचालय नहीं बना है.

वहीं, नल जल का काम शुरू तो हुआ है, लेकिन वह भी आधा-अधूरा पड़ा है. आलम ये है कि एक सरकारी नल पर सैकड़ों लोग आश्रित हैं. खाना बनाना हो तो चापाकल से पानी भरकर ले जाते हैं. खाना बनाते हैं और कपड़ा धोना, स्नान करना तमाम चीजें उस सरकारी चापाकल पर ही होती हैं. रोड के नाम पर कच्ची सड़क है, जिस पर पानी लगा हुआ है. स्थानीय लोगों ने मुखिया को कई बारे में कहा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. बरसात होने पर घुटने भर पानी से होकर ही इन्हें गुजरना पड़ता है.

स्थानीय बुजुर्ग मतदाता ज्वाला प्रशाद शर्मा ने कहा कि चिरौरा पंचायत के गोपालपुर के कई वार्ड में सड़क नहीं बन पाई है. इतना ही नहीं इंदिरा आवास योजना को लेकर बताया कि केवल 30 लोगों को ही इसका लाभ मिल पाया है. उन्होंने दावा किया कि योजना में जमकर धांधली हुई है. जरूरतमंदों को आवास नहीं दिया गया और अपने लोगों को एक घर में दो-दो आवास दे दिया गया.

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स्थानीय मंजू देवी ने पंचायत के प्रतिनिधियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि डबरा में रोड है. कई बार शिकायत करने के बाद भी सड़क नहीं बनवाया गया. नल है पर जल नहीं, रोज पानी नल से नहीं मिल पाता है और मजबूरी में इन महिलाओं को चापाकल से पानी भर कर ले जाना पड़ता है.

इस बार पंचायत चुनाव में काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है. जो मुखिया अपने कार्यकाल के दौरान पंचायत का विकास नहीं कर पाए हैं, उन्हें इस बार जनता सबक सिखाने के मूड में दिख रही है. पहले चरण की मतगणना के दिन यह साफ तौर पर देखा गया है कि बहुत सारे ऐसे ही मुखिया थे, जो पिछले चुनाव में जीते थे लेकिन वह इस बार हार गए हैं.

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